नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day 2023 ) पर देश की बहादुर बेटियों की बात करें तो यह लिस्ट नीरजा भनोट के बिना अधूरी है. इस बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर देश की बहादुर बेटी नीरजा भनोट (Brave daughter of Indis Neerja Bhanot) के बारे में हम लेकर आए हैं खास बातें, जिसे पढ़कर आप गर्व करेंगे. नीरजा मुंबई में PAN AM Airlines की क्रू मेंबर में शामिल थीं. 5 सितंबर 1986 को आतंकियो से 360 यात्रियों की जान बचाने के दौरान आतंकियों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी. उनके पास पहले खुद को बचाने का रास्ता था, लेकिन बहादुर नीरजा ने दूसरों की जान बचाने का फैसला लिया और जान की बाजी लगा दी.
360 यात्रियों की जान बचाने के दौरान आतंकियों ने मार दी थी गोली
वीरता के लिए भारत के सर्वोच्च शांतिकालीन पुरस्कार अशोक चक्र पाने वाली सबसे कम उम्र की नीरजा भनोट का जन्म 7 सितंबर, 1963 को हुआ था. बहादुर नीरजा ने पैन एम फ्लाइट 73 के यात्रियों की जान बचाते हुए अपनी जान दे दी, जिसे पाकिस्तान के कराची में एक स्टॉपओवर के दौरान आतंकवादियों द्वारा अपहरण कर लिया गया था. उस समय नीरजा केवल 22 साल की थीं, जब 5 सितंबर, 1986 को उनके 23वें जन्मदिन से महज दो दिन पहले गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. आपको बता दें तीन बच्चों को उनकी गोलियों से बचाने की कोशिश के दौरान उन्हें आतंकियों ने गोली मार दी थी.
उनकी कहानी लोगों को प्रेरित करती है, और उनके साहस को याद करने के लिए, भनोट के परिवार ने नीरजा भनोट पैन एम ट्रस्ट की स्थापना की. ट्रस्ट भारतीय महिलाओं को मदद करता है, जो संकट के दौरान अपने साहसी कार्यों के लिए सामाजिक अन्याय और एयरलाइन चालक दल के सदस्यों को दूर करती हैं. 2016 में, सोनम कपूर अभिनीत उनकी बायोपिक, 'नीरजा' को एक श्रद्धांजलि के रूप में रिलीज किया गया था. बायोपिक एक स्टाइलिश थ्रिलर है जिसमें भनोट के निजी जीवन, उसकी मां के साथ उसके रिश्ते और उसके साहस के कार्य की कुछ झलकियां हैं.
मॉडल के रूप में शुरू किया था करियर
नीरजा ने मुंबई में एक मॉडल के रूप में अपना करियर शुरू किया और एक सफल मॉडलिंग करियर बनाया. वह दिवंगत अभिनेता राजेश खन्ना की बहुत बड़ी फैन भी थीं. 1985 में, नीरजा ने फ्लाइट अटेंडेंट की नौकरी के लिए पैन अमेरिकन वर्ल्ड एयरवेज में आवेदन किया और चयन के बाद वह प्रशिक्षण के लिए मियामी चली गईं. उनके 23वें जन्मदिन से महज दो दिन पहले उन्हें आतंकियों ने गोली मार दी थी. नीरजा के पास फ्लाइट से बचने का विकल्प था, लेकिन उसने यात्रियों को नहीं छोड़ने का फैसला किया.
मुंबई में है नीरजा भनोट चौक
मुंबई में एक चौराहे का नाम उनके नाम पर 'नीरजा भनोट चौक' रखा गया है. 2004 में भारतीय डाक सेवा ने उनकी बहादुरी की याद में एक डाक टिकट जारी किया था. बता दें 1987 में, उन्हें यात्रियों को बचाने और अनुकरणीय साहस के लिए उनकी दयालुता के लिए देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान तमगाह-ए-पाकिस्तान से भी सम्मानित किया गया था.
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