हैदराबाद : हाल के वर्षों में कोविड-19 के कहर को हमसबों ने देखा है. लगातार कई सालों तक इसने भारी तबाही मचाई. इस महामारी ने दुनिया के हर हिस्सो को अपने कब्जे में लिया. आज भी संसार इससे मुक्त नहीं हो पाया है. अब तक 70 लाख के करीब इंसान इस रोग की चपेट में आने के बाद अपनी जान गंवा चुके हैं. भविष्य में कोरोना जैसा संक्रामक बीमारी के प्रकोप से समाज, देश-दुनिया को सुरक्षित करना. इसके बाद भी अगर बीमारी का प्रसार बढ़ता है तो इससे निपटने के लिए अग्रिम निवेश के महत्व को रेखांकित करता है.
इसी को ध्यान में रखकर संयुक्त राष्ट्र के आह्वान पर 27 दिसंबर 2020 को पहली बार अंतरराष्ट्रीय महामारी तैयारी दिवस मनाया गया था. इसके माध्यम से महामारी रोकथाम, निपटने के लिए तैयारी और साझेदारी की वकालत करता है. यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज को आगे बढ़ाने व प्राइमरी हेल्थ सर्विस को मजबूत करने के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाने के लिए दुनिया भर के शासकों को प्रेरित करता है. इस मिशन को प्राप्त करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन दुनिया भर के देशों के साथ मिलकर काम करता है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा सभी देशों, संयुक्त राष्ट्र से जुड़ी एजेंसियों, क्षेत्रीय संगठनों, निजी-गैर-सरकारी संगठनों, शैक्षणिक संस्थाओं, व्यक्तियों को अंतरराष्ट्रीय महामारी तैयारी दिवस आयोजन के लिए प्रेरित करता है. बता दें महामहारी से निपटने या बेहतर प्रबंधन के लिए सामूहिक साझेदारी, शिक्षा और जागरूकता जरूरी है. इसके लिए जरूरी है कि हर समुदाय-समाज, राज्य-देश के नागरिकों के बीच संवाद किया जाय और इसके महत्व के बारे में अवगत कराया जाय.
कोविड-19 एक मानवीय त्रासदी है. इसके साथ ही इसने एक पीढ़ीगत अवसर भी पैदा किया है. एक अधिक समान और टिकाऊ दुनिया को फिर से बनाने का अवसर है. महामारी और उससे पहले फैले व्यापक असंतोष की प्रतिक्रिया एक नए सामाजिक अनुबंध और एक नए वैश्विक समझौते पर आधारित होनी चाहिए जो सभी के लिए समान अवसर पैदा करे और सभी के अधिकारों और स्वतंत्रता का सम्मान करे.
एंटोनियो गुटेरेस, महासचिव, संयुक्त राष्ट्र
भारत में प्रमुख महामारियां
- 1915 - 1926: एन्सेफलाइटिस लेथर्गिका (Encephalitis Lethargica)
- 1918 - 1920: स्पैनिश फ्लू (Spanish Flu)
- 1961 - 1975: हैजा महामारी (Cholera pandemic)
- 1968 - 1969: फ्लू महामारी (Flu Pandemic)
- 1974: चेचक महामारी (Smallpox Epidemic)
- 1994: सूरत में प्लेग (Plague in Surat)
- 2002 - 2004: सार्स (Severe Acute Respiratory Syndrome-SARS)
- 2006: डेंगू और चिकनगुनिया का प्रकोप (Dengue And Chikungunya Outbreak)
- 2009: गुजरात हेपेटाइटिस का प्रकोप (Gujarat Hepatitis Outbreak)
- 2014 - 2015: ओडिशा पीलिया का प्रकोप (Odisha Jaundice Outbreak)
- 2014-2015: स्वाइन फ्लू का प्रकोप (Swine Flu Outbreak)
- 2017: एन्सेफलाइटिस का प्रकोप (Encephalitis outbreak)
- 2018: निपाह वायरस का प्रकोप (Nipah Virus outbreak)
- 2019 कोरोनावाइरस (Coronavirus)
अंतरराष्ट्रीय महामारी तैयारी दिवस का महत्व: अंतरराष्ट्रीय महामारी तैयारी दिवस कई मायनों में महत्वपूर्ण है. इसकी मदद से आपदा के समय तुरंत कदम उठाकर इसके प्रसार को रोककर जीवन को सुरक्षित किया जा सकता है.
- यह हमें वैश्विक तत्परता की तत्काल आवश्यकता की याद दिलाता है
- आपदा से निपटने में सहयोग की भूमिका को रेखांकित करता है.
- संकट के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों के निस्वार्थ योगदान का सम्मान करता हैय
- महामारी की रोकथाम के बारे में जनता में जागरूकता जगाता है.
- संयुक्त राष्ट्र और डब्ल्यूएचओ को प्रतिक्रियाओं के समन्वय में अग्रणी के रूप में मान्यता देता है.
- तैयारियों को बढ़ाने के लिए समावेशी रणनीतियों की वकालत करता है.
- पिछली महामारियों से सीखे गए महत्वपूर्ण सबक पर प्रकाश डालता है.
भारत में JN.1 वैरिएंट: जैसे-जैसे कोविड के नये वैरियंट JN.1 स्ट्रेन के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इसके साथ ही नए वैरिएंट के संकेतों और लक्षणों को समझना महत्वपूर्ण है. कोविड के लिए निर्धारित सभी सुरक्षा मानकों को अपना कर इससे सुरक्षित रहा जा सकता है.
संकेत और लक्षण:
- बुखार
- बहती नाक
- गला खराब होना
- सिर दर्द
- कुछ मामलों में मामूली गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं
- अत्यधिक थकान
- थकावट और मांसपेशियों में कमजोरी