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Eradication Of Poverty : 1 फीसदी अमीरों के पास भारत में 40 फीसदी से अधिक संपत्ति, बढ़ती आबादी गरीबी उन्मूलन में बड़ी चुनौती

आज अंतरराष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस है. इस दिवस का उद्देश्य गरीबी में जीवन जीने वाले लोगों और व्यापक समाज के बीच समझ और संवाद का माहौल पैदा करना है. इस दिन दुनिया भर में गरीबी, हिंसा और भूख की समस्या पर सबों का ध्यान खींचना है. पढ़ें पूरी खबर..International Day For The Eradication Of Poverty 2023, Poverty In India, Elements of Poverty, Goals For Eradication Of Poverty.

International Day For The Eradication Of Poverty
गरीबी उन्मूलन
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 17, 2023, 12:04 AM IST

Updated : Oct 17, 2023, 12:06 PM IST

हैदराबाद : 17 अक्टूबर 1987 से हर साल गरीबी उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है. 1948 में मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा पर हस्ताक्षर पेरिस के ट्रोकैडेरो में किए गए थे. इसी जगह पर 1987 में आज के दिन एक लाख के करीब लोग अत्यधिक भूख, गरीबी और हिंसा के पीड़ितों के समर्थन में आवाज बुलंद करने के लिए जुटे थे. इस दौरान गरीबों के अधिकारों का सम्मान करने के लिए मांगें की गईं. अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाने के लिए और गरीबों के प्रति अपनी एकजुटता दिखाने के लिए हर साल 17 अक्टूबर को लोग वहां इकट्ठा होते हैं.

यूनेस्को का मानना है कि गरीबी के खिलाफ स्थायी लड़ाई के लिए व्यक्तियों को मजबूत करने की आवश्यकता है. उन्हें मजबूर करने के लिए जो रोजगार के आवश्यक साधन शिक्षा, विज्ञान के माध्यम से क्षमताएं और रचनात्मक अर्थव्यवस्था पर बल दिया गया है. इसके लिए यूनेस्को ने अपनी विशेषज्ञता 2030 एजेंडा फॉर सस्टेनेबल की सेवा में लगाया है, जिसमें विकास और विशेष रूप से लक्ष्य-1, 'हर जगह गरीबी को उसके सभी रूपों में समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया है.'

गरीबी उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस 2023 के लिए थीम, 'सभ्य कार्य और सामाजिक सुरक्षा: सभी के लिए सम्मान को व्यवहार में लाना' है. इस साल का थीम उन लोगों के लिए है गरीबी के कारण ज्यादा मेहनत करना पड़ता है. उन्हें मजबूरी में अनियमित परिस्थितियों में लंबे समय तक खतरनाक काम करना होता है. इसके बाद भी अपने परिवार के लिए पर्याप्त आय अर्जित नहीं कर पाते हैं. थीम में सभी कामगारों के लिए गरीमा, सामाजिक सुरक्षा, उचित वेतन और सुरक्षा प्रदान होनी चाहिए. यह विषय राजनीतिक नेताओं और नीति निर्माताओं से मानवीय गरिमा का उपयोग करने का आह्वान भी है.

  • Climate change hits the poorest and most vulnerable the hardest.

    Tuesday’s International Day for the Eradication of Poverty is a reminder that investing in sustainable livelihoods, climate-resilient infrastructure, and #SocialProtection is key to #EndPoverty.

    — UN Environment Programme (@UNEP) October 17, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

'गरीबी सिर्फ पैसे की कमी नहीं है, बल्कि उससे कहीं अधिक है.' विश्व बैंक के अनुसार 'गरीबी भूख है. गरीबी आश्रय का अभाव है. बीमार होना और डॉक्टर को न दिखा पाना गरीबी है. स्कूल तक पहुंच न होना और पढ़ना न आना गरीबी है. गरीबी का मतलब नौकरी न होना, भविष्य का डर है. एक-एक दिन का समय निकालना है. गरीबी के कई चेहरे होते हैं, जो जगह-जगह और समय-समय पर बदलते रहते हैं. इसका कई तरह से वर्णन किया गया है. अक्सर, गरीबी एक ऐसी स्थिति है जिससे लोग बचना चाहते हैं. इसलिए गरीबी पर कार्रवाई का आह्वान है. गरीबों के लिए अमीरों के बराबर समान अवसर हों. गरीबों के लिए दुनिया को बदलने का आह्वान ताकि कई और लोगों के पास खाने के लिए पर्याप्त, पर्याप्त आश्रय और पहुंच हो सके. शिक्षा और स्वास्थ्य, हिंसा से सुरक्षा, और उनके समुदायों में जो होता है उस पर आवाज उठाना.'

भारत में गरीबी में योगदान देने वाले कारक:

  • 1.4 अरब से अधिक लोगों के साथ भारत दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है.
  • देश में धन का असमान वितरण है. 1 फीसदी अमीर भारतीयों के पास देश की 40 फीसदी से अधिक की संपत्ति है.
  • आज के समय में भी गरीब भारतीयों के गुणवत्ता शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल सबों के लिए सुलभ नहीं है.
  • बहुआयामी गरीबी सूचकांक के अनुसार, भारत में बाल मृत्यु दर है 1.5 फीसदी और स्कूल में उपस्थिति 3.9 फीसदी है.
  • गरीब लोगों को अक्सर लिंग, जाति, धर्म के आधार पर भेदभाव का सामना करना पड़ता है. नौकरियां ढूंढना और अवसरों तक पहुंचना उनके लिए कठिन है.

भारत में गरीबी:

  • हाल के दशकों में लगातार विकास के बाद भी भारत में गरीबी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. विश्व बैंक के अनुसार, 2019 में 22.4 फीसदी भारतीय राष्ट्रीय गरीबी रेखा से नीचे रहते थे.
  • नीति आयोग की ओर से जारी राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2023 के अनुसार, 2015-16 और 2019-21 के बीच 135 मिलियन लोग पलायन कर गये.
  • भारत के बहुआयामी गरीबों का प्रतिशत अंक 2015-16 में 24.85% से बढ़कर 2019-2021 में 14.96% हो गया. ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी में सबसे तेज गिरावट देखी गई. यह गिरावट 32.59% से 19.28% रहा.
  • 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अंतर्गत 707 प्रशासनिक जिलों के लिए अनुमान के संबंध में कहा गया है कि बहुआयामी गरीबों के अनुपात में सबसे तेज कमी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान जैसे राज्यों में देखी गई.
  • वहीं ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की रैंक 2015 में 80 से खराब होकर 2023 में 111 हो गई है, यानी 31 अंकों की गिरावट दर्ज की गई है.
  • भारत में बच्चों की कमजोरी की दर विश्व में सबसे अधिक 18.7 प्रतिशत है, जो गंभीर कुपोषण को दर्शाती है.

बहुआयामी गरीबी: एक व्यक्ति जो गरीब है, उसे एक ही समय में कई नुकसान झेलने पड़ सकते हैं. गरीबी उनके जीवन के कई क्षेत्रों पर प्रभाव डाल सकता है जैसे
स्वास्थ्य:

  1. कुपोषण.
  2. उच्च शिशु मृत्यु दर.

शिक्षा:

  1. खराब शिक्षा.
  2. बाल विवाह.

जीवन स्तर:

  1. जल संसाधन की कमी.
  2. स्थाई छत/मकान न होना.
  3. कम क्रय शक्ति.
  4. खाना पकाना फुले.
  5. स्वच्छता.
  6. संपत्ति.

अन्य:

  1. बाल श्रम.
  2. लोगों का शोषण.
  3. मौलिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आपराधिक गतिविधि.

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हैदराबाद : 17 अक्टूबर 1987 से हर साल गरीबी उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है. 1948 में मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा पर हस्ताक्षर पेरिस के ट्रोकैडेरो में किए गए थे. इसी जगह पर 1987 में आज के दिन एक लाख के करीब लोग अत्यधिक भूख, गरीबी और हिंसा के पीड़ितों के समर्थन में आवाज बुलंद करने के लिए जुटे थे. इस दौरान गरीबों के अधिकारों का सम्मान करने के लिए मांगें की गईं. अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाने के लिए और गरीबों के प्रति अपनी एकजुटता दिखाने के लिए हर साल 17 अक्टूबर को लोग वहां इकट्ठा होते हैं.

यूनेस्को का मानना है कि गरीबी के खिलाफ स्थायी लड़ाई के लिए व्यक्तियों को मजबूत करने की आवश्यकता है. उन्हें मजबूर करने के लिए जो रोजगार के आवश्यक साधन शिक्षा, विज्ञान के माध्यम से क्षमताएं और रचनात्मक अर्थव्यवस्था पर बल दिया गया है. इसके लिए यूनेस्को ने अपनी विशेषज्ञता 2030 एजेंडा फॉर सस्टेनेबल की सेवा में लगाया है, जिसमें विकास और विशेष रूप से लक्ष्य-1, 'हर जगह गरीबी को उसके सभी रूपों में समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया है.'

गरीबी उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस 2023 के लिए थीम, 'सभ्य कार्य और सामाजिक सुरक्षा: सभी के लिए सम्मान को व्यवहार में लाना' है. इस साल का थीम उन लोगों के लिए है गरीबी के कारण ज्यादा मेहनत करना पड़ता है. उन्हें मजबूरी में अनियमित परिस्थितियों में लंबे समय तक खतरनाक काम करना होता है. इसके बाद भी अपने परिवार के लिए पर्याप्त आय अर्जित नहीं कर पाते हैं. थीम में सभी कामगारों के लिए गरीमा, सामाजिक सुरक्षा, उचित वेतन और सुरक्षा प्रदान होनी चाहिए. यह विषय राजनीतिक नेताओं और नीति निर्माताओं से मानवीय गरिमा का उपयोग करने का आह्वान भी है.

  • Climate change hits the poorest and most vulnerable the hardest.

    Tuesday’s International Day for the Eradication of Poverty is a reminder that investing in sustainable livelihoods, climate-resilient infrastructure, and #SocialProtection is key to #EndPoverty.

    — UN Environment Programme (@UNEP) October 17, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

'गरीबी सिर्फ पैसे की कमी नहीं है, बल्कि उससे कहीं अधिक है.' विश्व बैंक के अनुसार 'गरीबी भूख है. गरीबी आश्रय का अभाव है. बीमार होना और डॉक्टर को न दिखा पाना गरीबी है. स्कूल तक पहुंच न होना और पढ़ना न आना गरीबी है. गरीबी का मतलब नौकरी न होना, भविष्य का डर है. एक-एक दिन का समय निकालना है. गरीबी के कई चेहरे होते हैं, जो जगह-जगह और समय-समय पर बदलते रहते हैं. इसका कई तरह से वर्णन किया गया है. अक्सर, गरीबी एक ऐसी स्थिति है जिससे लोग बचना चाहते हैं. इसलिए गरीबी पर कार्रवाई का आह्वान है. गरीबों के लिए अमीरों के बराबर समान अवसर हों. गरीबों के लिए दुनिया को बदलने का आह्वान ताकि कई और लोगों के पास खाने के लिए पर्याप्त, पर्याप्त आश्रय और पहुंच हो सके. शिक्षा और स्वास्थ्य, हिंसा से सुरक्षा, और उनके समुदायों में जो होता है उस पर आवाज उठाना.'

भारत में गरीबी में योगदान देने वाले कारक:

  • 1.4 अरब से अधिक लोगों के साथ भारत दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है.
  • देश में धन का असमान वितरण है. 1 फीसदी अमीर भारतीयों के पास देश की 40 फीसदी से अधिक की संपत्ति है.
  • आज के समय में भी गरीब भारतीयों के गुणवत्ता शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल सबों के लिए सुलभ नहीं है.
  • बहुआयामी गरीबी सूचकांक के अनुसार, भारत में बाल मृत्यु दर है 1.5 फीसदी और स्कूल में उपस्थिति 3.9 फीसदी है.
  • गरीब लोगों को अक्सर लिंग, जाति, धर्म के आधार पर भेदभाव का सामना करना पड़ता है. नौकरियां ढूंढना और अवसरों तक पहुंचना उनके लिए कठिन है.

भारत में गरीबी:

  • हाल के दशकों में लगातार विकास के बाद भी भारत में गरीबी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. विश्व बैंक के अनुसार, 2019 में 22.4 फीसदी भारतीय राष्ट्रीय गरीबी रेखा से नीचे रहते थे.
  • नीति आयोग की ओर से जारी राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक 2023 के अनुसार, 2015-16 और 2019-21 के बीच 135 मिलियन लोग पलायन कर गये.
  • भारत के बहुआयामी गरीबों का प्रतिशत अंक 2015-16 में 24.85% से बढ़कर 2019-2021 में 14.96% हो गया. ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी में सबसे तेज गिरावट देखी गई. यह गिरावट 32.59% से 19.28% रहा.
  • 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अंतर्गत 707 प्रशासनिक जिलों के लिए अनुमान के संबंध में कहा गया है कि बहुआयामी गरीबों के अनुपात में सबसे तेज कमी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान जैसे राज्यों में देखी गई.
  • वहीं ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की रैंक 2015 में 80 से खराब होकर 2023 में 111 हो गई है, यानी 31 अंकों की गिरावट दर्ज की गई है.
  • भारत में बच्चों की कमजोरी की दर विश्व में सबसे अधिक 18.7 प्रतिशत है, जो गंभीर कुपोषण को दर्शाती है.

बहुआयामी गरीबी: एक व्यक्ति जो गरीब है, उसे एक ही समय में कई नुकसान झेलने पड़ सकते हैं. गरीबी उनके जीवन के कई क्षेत्रों पर प्रभाव डाल सकता है जैसे
स्वास्थ्य:

  1. कुपोषण.
  2. उच्च शिशु मृत्यु दर.

शिक्षा:

  1. खराब शिक्षा.
  2. बाल विवाह.

जीवन स्तर:

  1. जल संसाधन की कमी.
  2. स्थाई छत/मकान न होना.
  3. कम क्रय शक्ति.
  4. खाना पकाना फुले.
  5. स्वच्छता.
  6. संपत्ति.

अन्य:

  1. बाल श्रम.
  2. लोगों का शोषण.
  3. मौलिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आपराधिक गतिविधि.

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Last Updated : Oct 17, 2023, 12:06 PM IST
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