हैदराबाद : ₹- भारतीय रुपये की इस पहचान से अब ज्यादातर लोग वाकिफ हैं. जो नहीं हैं उन्हें हम आज इससे पूरी तरह से वाकिफ कराते हैं. भारतीय रुपये को ये पहचान मिले आज 11 साल हो गए हैं. आज यानि 15 जुलाई को ही साल 2010 में केंद्र सरकार ने इस सिंबल को हरी झंडी दी थी. आज आपको इस सिंबल से जुड़ी हर जानकारी देते हैं.
15 जुलाई 2010 को जब भारतीय रुपये को ये पहचान मिली, तब तक दुनिया में सिर्फ चार मुद्राएं ऐसी थी जिन्हें प्रतीक या सिंबल रूप में जाना जाता था. भारतीय रुपये (₹) से पहले अमेरिकी डॉलर ($), ब्रिटिश पाउंड (£), जापानी येन (¥) यूरो (€) ही प्रतीक के रूप में जाने जाते थे. किसी भी देश की मुद्रा उस देश की आर्थिक हैसियत को पूरी दुनिया को बताता है. भारतीय मुद्रा दुनिया की ऐसी 5वीं मुद्रा है जिसे प्रतीक के रूप में जाना जाता है. आज यानि 15 जुलाई को ही भारतीय रुपये के सिंबल का चयन किया गया था.
भारतीय रुपये को पहचान मिलने की कहानी
- भारतीय मुद्रा के प्रतीक चिन्ह की कवायद साल 2009 में शुरू हुई.
- 5 मार्च 2009 को भारत सरकार ने देशभर में एक प्रतियोगिता आयोजित की गई. जिसमें आम लोगों से रुपये के प्रतीक चिन्ह के डिजाइन मांगे गए.
- तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने उस साल के बजट सत्र के दौरान कहा था कि रुपये का प्रतीक भारतीय संस्कृति और मूल्यों को समेटे हुए होना चाहिए.
- देशभर से 3331 डिजाइन आए, जिनमें से 5 सर्वश्रेष्ठ डिजाइन को अंतिम सूची में जगह मिली थी.
- 24 जून 2010 को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इन्हें रखा गया लेकिन इस पर कोई आम राय नहीं बन पाई.
- 15 जुलाई 2010 को फिर से मंत्रिमंडल में इन डिजाइन पर चर्चा हुई और डी. उदय कुमार के डिजाइन का चयन भारतीय करंसी के सिंबल के रूप में किया गया. इसके साथ ही रुपये के सिंबल को मंजूरी मिल गई. इसके बाद इस सिंबल को सार्वजनिक रूप से जारी किया गया.
कौन हैं डी. उदय कुमार
तमिलनाडु के डी. उदय कुमार ने IIT बॉम्बे से आर्किटेक्चर और विजुअल डिजाइन में मास्टर डिग्री हासिल की, इससे पहले उन्होंने चेन्नई की अन्ना यूनिवर्सिटी से साल 2001 में आर्किटेक्चर में ग्रेजुएशन किया था. उनके पिता डीएमके पार्टी से विधायक रह चुके हैं. जब उन्होंने भारतीय रुपये के लिए डिजाइन पेस किया तब वो आईआईटी गुवाहाटी में एसोसिएट प्रोफेसर थे.
भारतीय रुपये का सिंबल बनाने की प्रतियोगिता की घोषणा के बाद से ही वो इसे डिजाइन करने में जुट गए थे. उदय कुमार ने बताया था कि इसे डिजाइन करने में करीब 4 महीने लग गए थे वो आखिरी दिन तक इसे तैयार करने में जुटे रहे. उदय को ये डिजाइन बनाने के लिए ढाई लाख रुपये की इनामी राशि मिली थी.
रुपये का सिंबल (₹) है खास
रुपये का ये सिंबल में देवनागरी के अक्षर र और रोमन लिपि के R की जुगलबंदी देखने को मिलती है. पहली नजर में ही इस प्रतीक में दोनों अक्षर नजर आते हैं. इसके अलावा रुपये के सिंबल के शीर्ष पर दो समांतर रेखाएं भी हैं. डिजाइन बनाने वाले डी उदय कुमार के मुताबिक इन दो रेखाएं और इनके बीच देश के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का प्रतीक हैं. सिंबल के शीर्ष पर खिंची दो समांतर रेखाएं अर्थव्यवस्था के संतुलन को दर्शाती हैं.
भारतीय रुपये की अलग पहचान
भारत के अलावा इंडोनेशिया, मालदीव, मॉरिशियस, पाकिस्तान, नेपाल, श्री लंका आदि देशों की मुद्रा का नाम रुपया या रुफिया है. ऐसे में इस सिंबल ने भारतीय रुपये को दुनियाभर में अलग पहचान दिलाई है. इससे पहले भारतीय मुद्रा को INR यानि भारतीय रुपये लिखा जाता था लेकिन अब लिखी गई राशि से पहले रुपये का सिंबल लगाना है काफी होता है.
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