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मंडाविया ने दिया आयुष को मुख्यधारा की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा में शामिल करने पर जोर - Dr Mansukh Mandaviya

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने राष्ट्रीय आयुष मिशन कॉन्क्लेव में इस बात पर जोर दिया कि आयुष को मुख्यधारा जन स्वास्थ्य देखभाल आपूर्ति में एकीकृत किया जाए.

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Published : May 18, 2023, 9:42 PM IST

नई दिल्ली: वर्तमान स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को पूरी तरह से सशक्त बनाने के लिए 'आयुष' को मुख्यधारा की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा में एकीकृत करना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एकीकरण रोगी देखभाल के लिए अधिक व्यापक और समग्र दृष्टिकोण प्रदान कर सकता है, जिसमें पारंपरिक चिकित्सा और स्वास्थ्य देखभाल की आयुष प्रणाली दोनों की ताकत शामिल है. गुरुवार को नई दिल्ली में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया (Dr Mansukh Mandaviya) ने ये बात कही.

  • भारत को स्वस्थ एवं समृद्ध बनाने के लिए नेशनल आयुष मिशन कॉन्क्लेव में स्वास्थ्य मंत्रालय और आयुष मंत्रालय मिलकर एक हॉलिस्टक एप्रोच के साथ कार्य करें, इसपर अपनी बात रखी।

    कॉन्क्लेव में कॉम्प्रिहेंसिव आयुष हेल्थ मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम को भी लॉंच किया। https://t.co/DjIOzTgiHZ

    — Dr Mansukh Mandaviya (@mansukhmandviya) May 18, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

मंडाविया ने आयुष मंत्रालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय आयुष मिशन कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए कहा कि 'आधुनिक और पारंपरिक चिकित्सा के बीच सहयोग एक ही मंच पर चिकित्सा की कई प्रणालियों को स्थापित करने की दिशा में प्रयास कर रहा है, जिससे क्रॉस-रेफ़रल की सुविधा और चिकित्सा की विभिन्न प्रणालियों के सही एकीकरण को सक्षम किया जा सके.'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण की सराहना करते हुए मंडाविया ने कहा कि 'भारत एक एकीकृत स्वास्थ्य नीति की दिशा में प्रयास करके अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को महत्वपूर्ण रूप से मजबूत कर रहा है, जिससे न केवल देश को बल्कि दुनिया को भी लाभ होगा.'

  • कठिन समय में दूसरों की मदद करना हमारे संस्कारों में है... pic.twitter.com/A5ZBmNdNDS

    — Dr Mansukh Mandaviya (@mansukhmandviya) May 18, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

मंडाविया ने केंद्र सरकार के अस्पतालों में आयुष प्रणाली के एकीकरण पर जोर देते हुए कहा, 'वर्तमान स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को पूरी तरह से सशक्त बनाने के लिए, आयुष को मुख्यधारा की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा में एकीकृत करना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एकीकरण रोगी देखभाल के लिए अधिक व्यापक और समग्र दृष्टिकोण प्रदान कर सकता है, जिसमें पारंपरिक चिकित्सा और स्वास्थ्य देखभाल की आयुष प्रणाली दोनों की ताकत शामिल है.'

आयुर्वेद और पारंपरिक सिद्धांतों की विरासत के महत्व और प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि भारत की पारंपरिक चिकित्सा की विरासत स्वस्थता पर ध्यान देने के साथ स्वास्थ्य के प्रति एक समग्र दृष्टिकोण की वकालत करती है और अपनाती है.

उन्होंने कहा कि 'दुनिया भर से रोगियों की संख्या में वृद्धि हो रही है जो उपचार प्राप्त करने के लिए भारत की यात्रा कर रहे हैं और आधुनिक व पारंपरिक चिकित्सा दोनों में प्रशिक्षित भारत से चिकित्सा पेशेवरों की तेजी से मांग बढ़ रही है.'

मंडाविया ने गुजरात के जामनगर में WHO-ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन के विकास का हवाला दिया, जिससे भारत पारंपरिक चिकित्सा में वैश्विक नेता के रूप में सशक्त हुआ.

इस कार्यक्रम में आयुष स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (AHMIS) और शिक्षा शिक्षण प्रबंधन प्रणाली (ELMS) नामक सूचना और संचार प्रौद्योगिकी पहलों की शुरुआत हुई.

बैठक में शामिल होने वाले राज्य के स्वास्थ्य मंत्रियों में दया शंकर मिश्रा (उत्तर प्रदेश), डॉ. आर ललथंगलियाना (मिजोरम), अलो-लिबांग (अरुणाचल प्रदेश), केशव महंत (असम), एस पंगन्यू फोम (नगालैंड), बन्ना गुप्ता (झारखंड) थे.

पढ़ें- Health Ecosystem : इन तरीकों से मिलेगी सस्ती, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं

नई दिल्ली: वर्तमान स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को पूरी तरह से सशक्त बनाने के लिए 'आयुष' को मुख्यधारा की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा में एकीकृत करना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एकीकरण रोगी देखभाल के लिए अधिक व्यापक और समग्र दृष्टिकोण प्रदान कर सकता है, जिसमें पारंपरिक चिकित्सा और स्वास्थ्य देखभाल की आयुष प्रणाली दोनों की ताकत शामिल है. गुरुवार को नई दिल्ली में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया (Dr Mansukh Mandaviya) ने ये बात कही.

  • भारत को स्वस्थ एवं समृद्ध बनाने के लिए नेशनल आयुष मिशन कॉन्क्लेव में स्वास्थ्य मंत्रालय और आयुष मंत्रालय मिलकर एक हॉलिस्टक एप्रोच के साथ कार्य करें, इसपर अपनी बात रखी।

    कॉन्क्लेव में कॉम्प्रिहेंसिव आयुष हेल्थ मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम को भी लॉंच किया। https://t.co/DjIOzTgiHZ

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मंडाविया ने आयुष मंत्रालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय आयुष मिशन कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए कहा कि 'आधुनिक और पारंपरिक चिकित्सा के बीच सहयोग एक ही मंच पर चिकित्सा की कई प्रणालियों को स्थापित करने की दिशा में प्रयास कर रहा है, जिससे क्रॉस-रेफ़रल की सुविधा और चिकित्सा की विभिन्न प्रणालियों के सही एकीकरण को सक्षम किया जा सके.'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण की सराहना करते हुए मंडाविया ने कहा कि 'भारत एक एकीकृत स्वास्थ्य नीति की दिशा में प्रयास करके अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को महत्वपूर्ण रूप से मजबूत कर रहा है, जिससे न केवल देश को बल्कि दुनिया को भी लाभ होगा.'

  • कठिन समय में दूसरों की मदद करना हमारे संस्कारों में है... pic.twitter.com/A5ZBmNdNDS

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मंडाविया ने केंद्र सरकार के अस्पतालों में आयुष प्रणाली के एकीकरण पर जोर देते हुए कहा, 'वर्तमान स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को पूरी तरह से सशक्त बनाने के लिए, आयुष को मुख्यधारा की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा में एकीकृत करना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एकीकरण रोगी देखभाल के लिए अधिक व्यापक और समग्र दृष्टिकोण प्रदान कर सकता है, जिसमें पारंपरिक चिकित्सा और स्वास्थ्य देखभाल की आयुष प्रणाली दोनों की ताकत शामिल है.'

आयुर्वेद और पारंपरिक सिद्धांतों की विरासत के महत्व और प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि भारत की पारंपरिक चिकित्सा की विरासत स्वस्थता पर ध्यान देने के साथ स्वास्थ्य के प्रति एक समग्र दृष्टिकोण की वकालत करती है और अपनाती है.

उन्होंने कहा कि 'दुनिया भर से रोगियों की संख्या में वृद्धि हो रही है जो उपचार प्राप्त करने के लिए भारत की यात्रा कर रहे हैं और आधुनिक व पारंपरिक चिकित्सा दोनों में प्रशिक्षित भारत से चिकित्सा पेशेवरों की तेजी से मांग बढ़ रही है.'

मंडाविया ने गुजरात के जामनगर में WHO-ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन के विकास का हवाला दिया, जिससे भारत पारंपरिक चिकित्सा में वैश्विक नेता के रूप में सशक्त हुआ.

इस कार्यक्रम में आयुष स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (AHMIS) और शिक्षा शिक्षण प्रबंधन प्रणाली (ELMS) नामक सूचना और संचार प्रौद्योगिकी पहलों की शुरुआत हुई.

बैठक में शामिल होने वाले राज्य के स्वास्थ्य मंत्रियों में दया शंकर मिश्रा (उत्तर प्रदेश), डॉ. आर ललथंगलियाना (मिजोरम), अलो-लिबांग (अरुणाचल प्रदेश), केशव महंत (असम), एस पंगन्यू फोम (नगालैंड), बन्ना गुप्ता (झारखंड) थे.

पढ़ें- Health Ecosystem : इन तरीकों से मिलेगी सस्ती, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं

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