नई दिल्ली : पाकिस्तान में बढ़ती महंगाई से जनता परेशान है, लेकिन पाकिस्तान अपने देश की परेशानी को छोड़ अफगानिस्तान पर चर्चा कर रहा है. हालांकि अप्रैल और मई में दहाई अंक के आंकड़ों को छूने के बाद, जुलाई और अगस्त में मुद्रास्फीति दर पाकिस्तान में कम हुई है. मुद्रास्फीति की दर अब 8.4 प्रतिशत पर स्थिर है. इमरान खान सरकार के लिए चिंता का विषय खाद्य पदार्थों की ऊंची कीमत है. उच्च खाद्य कीमतें देश के गरीबों को सबसे ज्यादा प्रभावित करती हैं. अप्रैल और मई में मुद्रास्फीति की दर क्रमश 11.1 फीसदी और 10.87 फीसदी पर पहुंच गई थी.
एक्सप्रेस ट्रिब्यून के अनुसार, मुख्य मुद्रास्फीति खाद्य और ऊर्जा वस्तुओं को छोड़कर अगस्त में शहरी क्षेत्रों में धीमी होकर 6.3 प्रतिशत हो गई. खाद्य कीमतों में एक साल पहले इसी महीने की तुलना में लगभग दो अंकों की वृद्धि देखी गई थी. गल्फ न्यूज की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इमरान खान सरकार के सामने विभिन्न चुनौतियों के बीच, जीवनयापन के लिए जरूर वस्तुओं की बढ़ती लागत, दैनिक उपयोग की बढ़ी हुई कीमतों और आधिकारिक मुद्रास्फीति आकलन है.
रिपोर्ट के अनुसार, सरकार महंगाई से पार पाने में असफल रही है और देश में लगातार खाद्य पदार्थों से लेकर अन्य जरूरों सामानों की कीमत बढ़ रही है. रिपोर्ट में यह भी नोट किया गया है कि समस्या का एक हिस्सा जमाखोरी और मुनाफाखोरी से संबंधित है. रिपोर्ट के अनुसार, बाजार में कृत्रिम कमी के कारण जनता को उन सामानों का पीछा करने के लिए मजबूर होना पड़ता है जो अचानक काउंटर से बाहर हो जाते हैं और भारी मूल्य टैग के साथ फिर से प्रकट होते हैं. यह समस्या जमाखोरी का कारण उत्पन्न होती है.
इससे भी बुरी बात यह है कि पाकिस्तान में मुद्रास्फीति की दर कोविड-19 महामारी की चपेट में आने से पहले से ही बढ़ रही है. पिछले साल जनवरी में महामारी के प्रकोप से पहले पाकिस्तान की मुद्रास्फीति दर बढ़कर 14.6 प्रतिशत हो गई थी. वित्तीय वर्ष 2019-20 में मुद्रास्फीति की दर 10.7 प्रतिशत पर पहुंच गई. 2018 में राष्ट्र के प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाला था. एक भू-राजनीतिक विशेषज्ञ ने इंडिया नैरेटिव को बताया पाकिस्तान एक ऐसा देश है जिसके पास शासन करने का कौशल बहुत कम है. यह खुद तो शासन करने में कामयाब नहीं हो पा रहा है लेकिन ,अब यह अफगानिस्तान और क्षेत्र के विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहा है.
(पीटीआई-भाषा)