नई दिल्ली: नक्सलवाद, घुसपैठ, आतंकवाद, संगठित अपराध से उत्पन्न बहुस्तरीय क्षेत्रीय खतरे की धारणा से निबटने के लिए गृह मामलों की एक संसदीय समिति ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को सीएपीएफ व राज्य पुलिस के संयुक्त प्रशिक्षण का सुझाव दिया है.
हाल ही में संसद में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में राज्यसभा में कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली समिति ने विभिन्न राज्यों द्वारा सामना की जाने वाली विभिन्न प्रकार की चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित किया था. नक्सलवाद, घुसपैठ, आतंकवाद, संगठित अपराध, नशीली दवाओं और मानव तस्करी जैसे मुद्दों में से कोई भी अब राज्य विशिष्ट नहीं रहा है. वास्तव में वे दो या दो से अधिक पड़ोसी राज्यों को प्रभावित करने वाले बन गए हैं. उन्हें नियंत्रित करने के लिए राज्य पुलिस बलों की सहायता के लिए केंद्र द्वारा सीएपीएफ को भी शामिल किया गया है.
केंद्र को सीएपीएफ और राज्य पुलिस दोनों के संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करना चाहिए. इन क्षेत्रों में विशिष्ट प्रशिक्षण केंद्र खोला जाना चाहिए, जहां दोनों बलों के जवान प्रशिक्षण ले सकें. संसदीय पैनल (parliamentary committee) ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को साझा करने वाले राज्यों द्वारा सामना की जाने वाली आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए यह आवश्यक है. ईटीवी भारत से बात करते हुए संसदीय समिति की सदस्य डॉ काकोली घोष दस्तीदार ने कहा कि सभी राज्यों को सभी चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार होना चाहिए. हालांकि सीएपीएफ और राज्य पुलिस का संयुक्त प्रशिक्षण मॉड्यूल सभी प्रकार की चुनौतियों से निपटने के लिए रणनीतियों को ठीक कर सकता है.
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उन्होंने कहा कि पुलिस राज्य का विषय है इसलिए एक तंत्र तैयार किया जा सकता है ताकि राज्य पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बल संयुक्त प्रशिक्षण कर सकें. संसदीय समिति ने गृह मंत्रालय को सुझाव दिया कि वह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ मिलकर एक संस्थागत निर्माण करे. समिति ने कहा कि विभिन्न राज्यों में उपलब्ध प्रशिक्षण सुविधाओं का मानचित्रण किया जाना चाहिए ताकि जरूरत पड़ने पर राज्य प्रशिक्षण सुविधाओं का उपयोग कर सकें.