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मुद्रास्फीति के आंकड़ों, फेडरल रिजर्व के ब्याज दर पर निर्णय से तय होगी बाजाार की दिशा - फेडरल रिजर्व के ब्याज दर

मई के मुद्रास्फीति के आंकड़ों और ब्याज दरों पर अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के फैसले से इस सप्ताह शेयर बाजारों की दिशा तय होगी. विश्लेषकों ने यह राय जताई है. इसके अलावा विदेशी कोषों का रुख, रुपये का उतार-चढ़ाव और कच्चे तेल के दाम भी बाजार की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहेंगे.

फेडरल रिजर्व के ब्याज दर पर निर्णय से तय होगी बाजाार की दिशा
फेडरल रिजर्व के ब्याज दर पर निर्णय से तय होगी बाजाार की दिशा
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Published : Jun 12, 2022, 2:08 PM IST

नई दिल्ली : मई के मुद्रास्फीति के आंकड़ों और ब्याज दरों पर अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के फैसले से इस सप्ताह शेयर बाजारों की दिशा तय होगी. विश्लेषकों ने यह राय जताई है. इसके अलावा विदेशी कोषों का रुख, रुपये का उतार-चढ़ाव और कच्चे तेल के दाम भी बाजार की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहेंगे. स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट लि. के शोध प्रमुख संतोष मीणा ने कहा कि सभी की निगाह फेडरल रिजर्व की संघीय मुक्त बाजार समिति (एफओएमसी) के 15 जून के फैसले पर रहेगी. मुद्रास्फीति के ‘दानव’ के बीच बाजार ब्याज दरों में आक्रामक वृद्धि की आशंका जता रहा है. बैंक ऑफ जापान भी 17 जून को अपनी मौद्रिक समीक्षा पेश करेगा.

पढ़ें : अमेरिका में मुद्रास्फीति चार दशकों के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची

मीणा ने कहा कि यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि वैश्विक शेयर बाजारों में घबराहटपूर्ण बिकवाली के बीच विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) का रुख क्या रहता है. पिछले लगातार आठ माह से एफआईआई जमकर बिकवाली कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि घरेलू मोर्चे पर 13 जून को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) और 14 जून को थोक मूल्य सूचकांक आधारित (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति के आंकड़े आएंगे. इसके अलावा रुपये और कच्चे तेल के उतार-चढ़ाव पर भी बाजार भागीदारों की निगाह रहेगी.

रेलिगेयर ब्रोकिंग के उपाध्यक्ष-शोध अजित मिश्रा ने कहा कि इस सप्ताह आने वाले आंकड़ों और महत्वपूर्ण घटनाक्रमों की वजह से बाजार में काफी उतार-चढ़ाव रह सकता है. मिश्रा ने कहा कि बाजार भागीदार सबसे पहले अमेरिका के मुद्रास्फीति के आंकड़े और घरेलू औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) के आंकड़ों पर प्रतिक्रिया देंगे. अमेरिका में मुद्रास्फीति 40 साल के उच्चस्तर पर पहुंच चुकी है. आईआईपी के आंकड़े शुक्रवार को बाजार बंद होने के बाद आए थे. उन्होंने कहा कि आगे चलकर 13 जून को सीपीआई और 14 जून को डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति के आंकड़े आने हैं. वैश्विक मोर्चे पर 15 जून को अमेरिकी केंद्रीय बैंक की बैठक के नतीजे आएंगे.

पढ़ें: भू-राजनीतिक घटनाक्रमों, कोविड-19 के रुख से तय होगी शेयर बाजार की दिशा

विश्लेषकों ने कहा कि वैश्विक स्तर पर मुद्रास्फीति की वजह से बाजार काफी दबाव में हैं. ऐसे में केंद्रीय बैंकों द्वारा कदम उठाए जाने की उम्मीद है. मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि बाजार पिछले एक माह से व्यापक दायरे में हैं. यह स्थिति तबतक बनी रहेगी जबतक की किसी एक दिशा में स्पष्ट संकेत उभरकर सामने नहीं आता. बीते सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 1,465.79 अंक या 2.62 प्रतिशत नीचे आया. सैमको सिक्योरिटीज में इक्विटी शोध प्रमुख येशा शाह ने कहा कि वैश्विक स्तर पर फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों पर निर्णय और कच्चे तेल की कीमतों की वजह से बाजार में उतार-चढ़ाव रहेगा. घरेलू मोर्चे पर इस सप्ताह उपभोक्ता मूल्य सूचकांक और थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़े महत्वपूर्ण रहेंगे.

नई दिल्ली : मई के मुद्रास्फीति के आंकड़ों और ब्याज दरों पर अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के फैसले से इस सप्ताह शेयर बाजारों की दिशा तय होगी. विश्लेषकों ने यह राय जताई है. इसके अलावा विदेशी कोषों का रुख, रुपये का उतार-चढ़ाव और कच्चे तेल के दाम भी बाजार की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहेंगे. स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट लि. के शोध प्रमुख संतोष मीणा ने कहा कि सभी की निगाह फेडरल रिजर्व की संघीय मुक्त बाजार समिति (एफओएमसी) के 15 जून के फैसले पर रहेगी. मुद्रास्फीति के ‘दानव’ के बीच बाजार ब्याज दरों में आक्रामक वृद्धि की आशंका जता रहा है. बैंक ऑफ जापान भी 17 जून को अपनी मौद्रिक समीक्षा पेश करेगा.

पढ़ें : अमेरिका में मुद्रास्फीति चार दशकों के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची

मीणा ने कहा कि यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि वैश्विक शेयर बाजारों में घबराहटपूर्ण बिकवाली के बीच विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) का रुख क्या रहता है. पिछले लगातार आठ माह से एफआईआई जमकर बिकवाली कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि घरेलू मोर्चे पर 13 जून को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) और 14 जून को थोक मूल्य सूचकांक आधारित (डब्ल्यूपीआई) मुद्रास्फीति के आंकड़े आएंगे. इसके अलावा रुपये और कच्चे तेल के उतार-चढ़ाव पर भी बाजार भागीदारों की निगाह रहेगी.

रेलिगेयर ब्रोकिंग के उपाध्यक्ष-शोध अजित मिश्रा ने कहा कि इस सप्ताह आने वाले आंकड़ों और महत्वपूर्ण घटनाक्रमों की वजह से बाजार में काफी उतार-चढ़ाव रह सकता है. मिश्रा ने कहा कि बाजार भागीदार सबसे पहले अमेरिका के मुद्रास्फीति के आंकड़े और घरेलू औद्योगिक उत्पादन (आईआईपी) के आंकड़ों पर प्रतिक्रिया देंगे. अमेरिका में मुद्रास्फीति 40 साल के उच्चस्तर पर पहुंच चुकी है. आईआईपी के आंकड़े शुक्रवार को बाजार बंद होने के बाद आए थे. उन्होंने कहा कि आगे चलकर 13 जून को सीपीआई और 14 जून को डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति के आंकड़े आने हैं. वैश्विक मोर्चे पर 15 जून को अमेरिकी केंद्रीय बैंक की बैठक के नतीजे आएंगे.

पढ़ें: भू-राजनीतिक घटनाक्रमों, कोविड-19 के रुख से तय होगी शेयर बाजार की दिशा

विश्लेषकों ने कहा कि वैश्विक स्तर पर मुद्रास्फीति की वजह से बाजार काफी दबाव में हैं. ऐसे में केंद्रीय बैंकों द्वारा कदम उठाए जाने की उम्मीद है. मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के खुदरा शोध प्रमुख सिद्धार्थ खेमका ने कहा कि बाजार पिछले एक माह से व्यापक दायरे में हैं. यह स्थिति तबतक बनी रहेगी जबतक की किसी एक दिशा में स्पष्ट संकेत उभरकर सामने नहीं आता. बीते सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 1,465.79 अंक या 2.62 प्रतिशत नीचे आया. सैमको सिक्योरिटीज में इक्विटी शोध प्रमुख येशा शाह ने कहा कि वैश्विक स्तर पर फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों पर निर्णय और कच्चे तेल की कीमतों की वजह से बाजार में उतार-चढ़ाव रहेगा. घरेलू मोर्चे पर इस सप्ताह उपभोक्ता मूल्य सूचकांक और थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़े महत्वपूर्ण रहेंगे.

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