इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के शासकीय लॉ कॉलेज में किताब विवाद मामले में प्राचार्य के बाद अब प्रोफेसर को भी सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने प्राचार्य मोइन बेग को सशर्त जमानत दे दी है. बता दें भवर कुआं थाना क्षेत्र में पिछले दिनों लॉ कॉलेज में विवादित कंटेंट के मामले में पुलिस ने कॉलेज के प्रोफेसर, किताब की लेखिका और प्राचार्य सहित डिस्ट्रीब्यूटर के खिलाफ विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज किया था.
किताब के कंटेंट को लेकर दर्ज हुआ था: मामले में प्राचार्य मोइन बेग ने तो सुप्रीम कोर्ट से जमानत ले ली थी. वहीं अब कॉलेज के प्रोफेसर को भी सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. इंदौर के भवर कुआं थाना क्षेत्र में मौजूद शासकीय लॉ कॉलेज में किताब में गलत कंटेंट सामने आने के बाद मामले में गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कॉलेज के प्रिंसिपल, किताब की लेखिका, डिस्ट्रीब्यूटर सहित अन्य लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने के निर्देश दिए थे. भवर कुआं पुलिस ने मामले में गलत कंटेंट लिखने वाली लेखिका, कॉलेज के प्राचार्य, उप प्राचार्य सहित डिस्ट्रीब्यूटर के खिलाफ विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज किया था. प्रकरण दर्ज होते ही जहां लेखिका फरार हो गई थी, पुलिस ने जांच पड़ताल कर उन्हें पुणे से गिरफ्तार किया था, लेकिन उनकी हालत गंभीर देखते हुए उन्हें नोटिस पर छोड़ दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने दी सशर्त जमानत: इसी कड़ी में कॉलेज के प्रोफेसर रहे मोइन बेग ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी जमानत को लेकर आवेदन प्रस्तुत किया था. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न तरह के तर्कों को देखते हुए प्रोफेसर मोइन बेग को सशर्त जमानत दे दी है. ये मामला काफी सुर्खियों में था. फिलहाल जिस तरह से एक के बाद एक दो लोगों को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली है तो आने वाले दिनों में इस मामले में कई और आरोपियों को भी कई तरह की राहत मिल सकती है.
प्राचार्य को पहले ही मिली राहत: बता दें 16 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने प्राचार्य इनामुर्र रहमान को बड़ी राहत दी थी. कोर्ट ने प्रिंसिपल इनामुर्र रहमान की गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी. मामले में सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश सरकार के वकील से पूछा था 'इस मामले को लेकर आप वाकई में गंभीर हैं, जबकि किताबों के लिखने और कॉलेज की लाइब्रेरी रखने के समय प्रोफेसर इनामुर्र रहमान प्रिंसिपल नहीं थे, जबकि ये किताबें 2014 की है. तब उनकी गिरफ्तारी क्यों करनी है?' सीजेआई की बेंच को एडवोकेट के जोसेफ ने बताया था कि 22 दिसंबर 2022 को एमपी हाईकोर्ट ने रहमान को अग्रिम जमानत दी थी. बेंच मामले पर सुनवाई बंद करने की तैयारी में था कि तभी सरकार की तरफ से पेश वकील ने रहमान की जमानत पर आपत्ति जता दी थी.