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6 फीट जमीन मेरी हो जाए, ये बर्दास्त नहीं! जानें क्यों फादर वर्गीस का हिंदू रीति-रिवाज से हुआ अंतिम संस्कार

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Published : Mar 29, 2023, 1:51 PM IST

Updated : Mar 29, 2023, 2:01 PM IST

मध्यप्रदेश के इंदौर के फादर वर्गीस की मौत के बाद उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज से किया गया. दरअसल फादर का कहना था कि अगर मुझे दफनाया गया तो 6 फीट जमीन मेरी हो जाएगी, जो कि मुझे बर्दास्त नहीं होगा.

father varghese alangadan last rites
ईसाई धर्म का हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार
फादर वर्गीस का हिंदू रीति-रिवाज से हुआ अंतिम संस्कार

इंदौर। आज के दौर में जहां धर्मों के बीच वैमनस्यता और कट्टरवाद पर आ रहा है, वहीं इंदौर में क्रिश्चियन धर्म गुरु फादर वर्गीज ने सभी धर्मों के बीच एकता की अनूठी मिसाल पेश की है. दरअसल क्रिश्चियन धर्म गुरु ने अपनी मृत्यु के पहले इच्छा जताई थी कि उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाज से होगा, लिहाजा पूरे विधि विधान से उनका दाह संस्कार किया गया. वहीं अंतिम संस्कार के दौरान गायत्री मंत्र और गीता के श्लोक भी पढ़े गए. अब आप सोच रहे होंगे कि क्रिश्चियन व्यक्ति का हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार में कैसे एकता का पाठ? पर हां ये ही सच है आप भी जब क्रिश्चियन धर्म गुरु की सोच सुनेंगे तो हैरान रह जाएंगे.

6 फीट जमीन मेरी हो जाए, ये बर्दास्त नहीं: इंदौर के ईसाई धर्म गुरु फादर वर्गीस आलेंगाडन का 71 वर्ष की उम्र में मंगलवार को निधन हो गया. फादर वर्गीस सभी धर्मों को मानते थे, उनका मानना था कि "हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार की विधि सबसे अच्छी है, जिसमें ना तो शरीर को किसी के लिए छोड़ा जाता है और ना ही जमीन में दफनाया जाता है. दाह संस्कार ही शरीर को प्रकृति में मिलाने का सबसे अच्छा साधन है, लिहाजा मुझे दफनाया नहीं जाए बल्कि हिंदू रीति रिवाज के हिसाब से मेरा अंतिम संस्कार किया जाए. अगर मुझे दफनाया गया तो 6 फीट जमीन मेरी हो जाएगी, जो मुझे बर्दास्त नहीं." बस इसी कारण जब फादर वर्गीस ने आखिरी सांस ली तो 2 दिन तक उनके शव को इंदौर के रेड चर्च में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया, इसके बाद मंगलवार शाम को उनकी अंतिम यात्रा रामबाग मुक्तिधाम तक निकाली गई, जहां हिंदू विधि विधान और मंत्रोच्चार के बीच सभी धर्म गुरुओं ने बाइबल के अलावा गीता श्लोक और गायत्री मंत्र का उच्चारण करने के बाद में विद्युत शव दाह गृह करके फादर वर्गीस का अंतिम संस्कार किया. इस दौरान क्रिश्चियन और हिंदू समाज के कई लोग रामबाग मुक्तिधाम में एकत्र हुए.

MUST READ:

गांधीवादी विचारधारा से प्रेरित थे फादर वर्गीज: मौके पर मौजूद फादर सामू सागर द्वारा बताया गया कि "फादर अपने अंतिम इच्छा के रूप में लिखकर गए थे कि उन्हें दफनाया नहीं जाए, बल्कि हिंदू रीति रिवाज से उनका अंतिम संस्कार किया जाए. बस इसलिए गांधीवादी विचारधारा से प्रेरित फादर वर्गीज की अंतिम इच्छा मुताबिक अंतिम समय में बाइबल की प्रेयर के साथ-साथ गीता के श्लोक भी सुनाए गए. इसके बाद फादर के लिखे हुए गीत भी सुनाए गए."

विश्व बंधुत्व आंदोलन के प्रणेता रहे फादर वर्गीज: दरअसल फादर वर्गीज 1993 से ही विश्व बंधुत्व आंदोलन के सूत्रधार रहे, इस आंदोलन के तहत उनका मानना था व्यक्तिगत परिवर्तन सेे ज्यादा सामाजिक परिवर्तन जरूरी है. यही वजह है कि उन्होंने स्कूली बच्चों को जिम्मेदार नागरिक बनाााते हुए प्रबुद्ध नेतृत्व के गुण विकसित करने पर बल दिया. विश्व बंधुत्वव आंदोलन के पंच सूत्र के तहत उनका मानना था कि धरती मां का सदैव आदर किया जाए और उनके संसाधनों की रक्षा हो इसके अलावा उन्होंने कभी भी अपने लिए भूमि, भवन, बैंक बैलेंस आदि नहीं रखा.

फादर वर्गीस का हिंदू रीति-रिवाज से हुआ अंतिम संस्कार

इंदौर। आज के दौर में जहां धर्मों के बीच वैमनस्यता और कट्टरवाद पर आ रहा है, वहीं इंदौर में क्रिश्चियन धर्म गुरु फादर वर्गीज ने सभी धर्मों के बीच एकता की अनूठी मिसाल पेश की है. दरअसल क्रिश्चियन धर्म गुरु ने अपनी मृत्यु के पहले इच्छा जताई थी कि उनका अंतिम संस्कार हिंदू रीति रिवाज से होगा, लिहाजा पूरे विधि विधान से उनका दाह संस्कार किया गया. वहीं अंतिम संस्कार के दौरान गायत्री मंत्र और गीता के श्लोक भी पढ़े गए. अब आप सोच रहे होंगे कि क्रिश्चियन व्यक्ति का हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार में कैसे एकता का पाठ? पर हां ये ही सच है आप भी जब क्रिश्चियन धर्म गुरु की सोच सुनेंगे तो हैरान रह जाएंगे.

6 फीट जमीन मेरी हो जाए, ये बर्दास्त नहीं: इंदौर के ईसाई धर्म गुरु फादर वर्गीस आलेंगाडन का 71 वर्ष की उम्र में मंगलवार को निधन हो गया. फादर वर्गीस सभी धर्मों को मानते थे, उनका मानना था कि "हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार की विधि सबसे अच्छी है, जिसमें ना तो शरीर को किसी के लिए छोड़ा जाता है और ना ही जमीन में दफनाया जाता है. दाह संस्कार ही शरीर को प्रकृति में मिलाने का सबसे अच्छा साधन है, लिहाजा मुझे दफनाया नहीं जाए बल्कि हिंदू रीति रिवाज के हिसाब से मेरा अंतिम संस्कार किया जाए. अगर मुझे दफनाया गया तो 6 फीट जमीन मेरी हो जाएगी, जो मुझे बर्दास्त नहीं." बस इसी कारण जब फादर वर्गीस ने आखिरी सांस ली तो 2 दिन तक उनके शव को इंदौर के रेड चर्च में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया, इसके बाद मंगलवार शाम को उनकी अंतिम यात्रा रामबाग मुक्तिधाम तक निकाली गई, जहां हिंदू विधि विधान और मंत्रोच्चार के बीच सभी धर्म गुरुओं ने बाइबल के अलावा गीता श्लोक और गायत्री मंत्र का उच्चारण करने के बाद में विद्युत शव दाह गृह करके फादर वर्गीस का अंतिम संस्कार किया. इस दौरान क्रिश्चियन और हिंदू समाज के कई लोग रामबाग मुक्तिधाम में एकत्र हुए.

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गांधीवादी विचारधारा से प्रेरित थे फादर वर्गीज: मौके पर मौजूद फादर सामू सागर द्वारा बताया गया कि "फादर अपने अंतिम इच्छा के रूप में लिखकर गए थे कि उन्हें दफनाया नहीं जाए, बल्कि हिंदू रीति रिवाज से उनका अंतिम संस्कार किया जाए. बस इसलिए गांधीवादी विचारधारा से प्रेरित फादर वर्गीज की अंतिम इच्छा मुताबिक अंतिम समय में बाइबल की प्रेयर के साथ-साथ गीता के श्लोक भी सुनाए गए. इसके बाद फादर के लिखे हुए गीत भी सुनाए गए."

विश्व बंधुत्व आंदोलन के प्रणेता रहे फादर वर्गीज: दरअसल फादर वर्गीज 1993 से ही विश्व बंधुत्व आंदोलन के सूत्रधार रहे, इस आंदोलन के तहत उनका मानना था व्यक्तिगत परिवर्तन सेे ज्यादा सामाजिक परिवर्तन जरूरी है. यही वजह है कि उन्होंने स्कूली बच्चों को जिम्मेदार नागरिक बनाााते हुए प्रबुद्ध नेतृत्व के गुण विकसित करने पर बल दिया. विश्व बंधुत्वव आंदोलन के पंच सूत्र के तहत उनका मानना था कि धरती मां का सदैव आदर किया जाए और उनके संसाधनों की रक्षा हो इसके अलावा उन्होंने कभी भी अपने लिए भूमि, भवन, बैंक बैलेंस आदि नहीं रखा.

Last Updated : Mar 29, 2023, 2:01 PM IST

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