कोलकाता : एक ओर जहां गुजरात में मेट्रो ट्रेन का काम जोर-शोर से चल रहा है जिसका एक बड़ा हिस्सा समुद्र के नीचे से भी गुजरेगा, वहीं इससे पहले कोलकाता में अंडर वाटर मेट्रो रेल की शुरुआत 2023 तक हो जाएगी (first underwater metro Kolkata). ऐसा रेल अधिकारियों का दावा हैं. लगभग 17 किलोमीटर की यात्रा के लिए बनाई जा रही मेट्रो रेल का लगभग आधा किलोमीटर का स्ट्रेच, हुबली नदी के नीचे से गुजारा जाएगा और इसके लिए काम जोर-शोर से चल रहा है. केंद्र सरकार को उम्मीद है कि इस प्रोजेक्ट का पहला चरण 2023 तक बनकर तैयार हो जाएगा और जनता इसपर सवारी करना शुरू कर देगी.
लगभग साढ़े 8 हजार करोड़ की लागत से बनानेवाली ये अंडरवाटर मेट्रो शुरुआत से हुबली नदी से आगे की कनेक्टिविटी बन जाएगी, जिससे यात्रियों को काफी सुविधा होगी. हालांकि इस मेट्रो के स्ट्रेच को बनाने में रेलवे दिन-रात जुटा हुआ है लेकिन आखिरी चरण जो अंडरग्राउंड है उसे पूरा करने में काफी चुनौतियां भी सामने आ रही हैं.
वैसे तो इस वर्ल्ड क्लास टेक्नोलॉजी को भारत में लाने में पूरी मेहनत रेलवे की लगी है लेकिन राज्य सरकार भी इसमें काफी सहायता कर रही है. बनकर तैयार होने के बाद अपने आप में ये अनोखी मेट्रो ट्रेन होगी जो भारत में पहली बार किसी नदी के नीचे से गुजरेगी.
आधे किलोमीटर स्ट्रेच पर खर्च होंगे 90 करोड़ : वैसे तो इस 6 स्टेशन वाली मेट्रो की दूरी लगभग 16 किलोमीटर है और इसपर आनेवाला खर्च लगभग साढ़े आठ हजार करोड़ रुपए का है, लेकिन अंडर वाटर जाने वाले लगभग आधे किलोमीटर के स्ट्रेच मात्र पर अनुमानित लागत 90 करोड़ रुपए है.
इस अंडरवाटर मेट्रो के पहले चरण का काम लगभग पूरा हो चुका है जिसे 2023 में ही चलाने की योजना है. इसपर सफर करते हुए हमारी संवाददाता अनामिका रत्ना ने साउथ ईस्टर्न रेलवे के सीपीआरओ आदित्य चौधरी से बात की.
आदित्य चौधरी ने बताया की इस मेट्रो के पहले चरण का काम लगभग पूरा हो चुका है और इसे यात्रियों के लिए जल्द ही खोलने की योजना है. उन्होंने कहा कि ये देश में पहली मेट्रो होगी जो हुबली नदी के नीचे से गुजरेगी और इसकी लागत लगभग साढ़े आठ हजार करोड़ रुपए अनुमानित है. मगर इसके आने से हुबली से कनेक्टिविटी बन पाएगी और हावड़ा से साल्टलेक जानेवाले पैसेंजरों को काफी सुविधा भी होगी.
उन्होंने कहा कि ये काफी चुनौतीपूर्ण काम था मगर रेलवे ने इसे बखूबी निभाया है. उन्होंने ये भी बताया कि आखिरी चरण में काफी ज्यादा चुनौतियां हैं इसलिए इसकी समय सीमा अभी तय नहीं की गई है,मगर पहले चरण की शुरुआत 2023 में ही करने की योजना है.