नागपुर: निजी तौर पर निर्मित क्रायोजेनिक इंजन 'धवन-1' का सफल परीक्षण किया गया. देश के पहले निजी तौर पर निर्मित, 3डी प्रिंटेड, पूरी तरह से क्रायोजेनिक इंजन का नागपुर में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है. इस इंजन का नाम धवन-1 है और यह इंजन 100% 3डी प्रिंटेड और पूरी तरह से भारत में निर्मित है.
क्रायोजेनिक इंजन को हैदराबाद स्थित स्काईरूट एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित किया गया है. इस इंजन में ईंधन के रूप में एलएनजी का उपयोग किया जाता है. कंपनी का दावा है कि एलएनजी के इस्तेमाल से रॉकेट लॉन्च करते समय पर्यावरण को होने वाले नुकसान में कमी आएगी और ईंधन की लागत में भी 40 फीसदी की बचत होगी.
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We're thrilled to announce, in a major milestone, we successfully test fired India's first privately built fully Cryogenic Engine 'Dhawan-1'
— Skyroot Aerospace (@SkyrootA) November 25, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
100% 3D-Printed
100% Made in India
Fuel of the future- LNG
Checkout the footage: https://t.co/zffy4ti2Lj#Methalox pic.twitter.com/ktKGAs9o7n
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नागपुर के बाजारगांव में कंपनी के परिसर में इंजन का परीक्षण किया गया. स्काईरूट एयरोस्पेस के मुताबिक, इंजन का इस्तेमाल कंपनी के विक्रम सीरीज रॉकेट में किया जाएगा. स्काईरूट एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड(Skyroot Aerospace Pvt Ltd) एक भारतीय निजी एयरोस्पेस निर्माता और वाणिज्यिक लॉन्च सेवा प्रदाता है जिसका मुख्यालय हैदराबाद में है.
कंपनी की स्थापना पवन कुमार चंदना और नागा भारत डाका ने की थी. इसका उद्देश्य विशेष रूप से छोटे उपग्रह बाजार के लिए तैयार किए गए छोटे लिफ्ट लॉन्च वाहनों की अपनी श्रृंखला विकसित करना और लॉन्च करना है.
नागपुर में टेस्ट पास
इस धवन 1 के 3डी प्रिंटेड क्रायोजेनिक इंजन का परीक्षण नागपुर के बाजारगांव स्थित सबसे बड़ी विस्फोटक कंपनी के परिसर में किया गया. क्रायोजेनिक इंजन अन्य इंजनों की तुलना में अधिक विश्वसनीय और सस्ता होने वाला है. स्काईरूट एयरोस्पेस के एक ट्विटर हैंडल के अनुसार, इसका उपयोग लॉन्च वाहन रिकॉर्ड 1, 2, 3 में भी किया जाएगा.
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क्रायोजेनिक क्या है ?
किसी भी मिसाइल को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने में ऊर्जा लगती है. भौतिकी के अनुसार कम तापमान के उत्पादन और उपयोग की प्रक्रिया को क्रायोजेनिक कहा जाता है. क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग भारी उपग्रह पीएसएलवी3 को कम ईंधन की मदद से लगभग 800 सेकंड के लिए अंतरिक्ष में भेजने के लिए किया जाता है. यह क्रायोजेनिक इंजन ईंधन से तरल हाइड्रोजन (-253) सेल्सियस और ऑक्सीडाइज़र के रूप में तरल ऑक्सीजन (-183) का उपयोग करता है. इसे 'क्रायोजेनिक इंजन' कहा जाता है क्योंकि इंजन के लिए आवश्यक ईंधन बहुत ठंडा होता है. एलएनजी एक बहुत ही ठंडा और भविष्य का ईंधन है और इसका उपयोग पर्यावरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा.