उदयपुर : उदयपुर के नेवी ऑफिसर संजीव के लिए गणेश चतुर्थी का पर्व ढेरों खुशियां लेकर आया. साइप्रस बंदरगाह में फंसे जहाज के सेकेंड ऑफिसर उदयपुर के संजीव सिंह सहित 10 भारतीय शुक्रवार को भारत वापस लौट आए. ऐसे में इनके परिवारों की खुशियां दोगुनी हो गई.
उदयपुर के संजीव सिंह को भी 8 दिनों तक काफी परेशानियों से जूझना पड़ा. इसके साथ ही 5 दिन तक खाना-पानी व जरूरत के अन्य सामान न उपलब्ध होने पर उन्हें तमाम समस्याओं से जूझना पड़ा. वापस लौट पाने की आस भी टूटती नजर आ रही थी.
बाद में भारतीय दूतावास के अलावा अन्य लोगों की मदद से उनकी वतन वापसी हो सकी. घर लौटने पर शनिवार को वह उदयपुर सांसद अर्जुन लाल मीणा के आवास अपने पत्नी और अन्य परिजनों के साथ शुक्रिया अदा करने भी पहुंचे.
संजीव सिंह ने बताया कि पिछले 8 दिनों में ऐसा लगा कि मानों मौत धीरे-धीरे करीब आ रही हो लेकिन इसके बावजूद मेरी पत्नी के विश्वास और प्रयासों से मैं वापस वतन लौट सका. उन्होंने बताया कि वे पिछले 15 वर्षों से मर्चेंट नेवी में हैं लेकिन पहली बार एक कंपनी की ओर से धोखाधड़ी करने से न केवल ऐसी गंभीर परेशानी से जूझना पड़ा बल्कि कई दिनों तक खाना-पानी के लिए भी तरसना पड़ा.
इसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी को पूरी आपबीती सुनाई. ऐसे में उनकी पत्नी ने उदयपुर सांसद अर्जुन लाल मीणा के अलावा अन्य लोगों से संपर्क किया. संजीव ने बताया कि 10 भारतीय समेत 13 लोग इस संकट से जूझ रहे थे. यहां पीने का पानी भी खत्म हो गया था. क्रू-मेंबर्स समुद्र का पानी पीने को मजबूर थे.
जबकि कंपनी की ओर से मानसिक दबाव भी बनाया जा रहा था. वहीं उदयपुर सांसद अर्जुन लाल मीणा ने कहा कि इस पूरे मामले का पता लगने के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय को इस समस्या से अवगत कराया गया जिसके बाद साइप्रस में फंसे लोगों को वापस लाने में आसानी हुई.
यह था पूरा मामला
एक जहाज की बिक्री को लेकर दो कंपनियों में करार हुआ था. इस करार के चक्कर में कर्मचारी उलझ गए. कर्मचारी साइप्रस बंदरगाह पर फंस गए. शिप के क्रू मेंबर्स को तीन महीनों से वेतन नहीं मिला है. हालात इतने खराब थे कि पिछले पांच दिनों से क्रू मेंबर्स खाने-पानी को लेकर भी तरस रहे थे.
करीब एक महीने से फंसे इन लोगों को साइप्रस पोर्ट अथॉरिटी से भी मदद नहीं मिली. ऐसे में भारतीय विदेश मंत्रालय के हस्तक्षेप से इन्हें मदद मिल सकती थी. जहाज के सदस्यों ने भारत सरकार से सम्पर्क किया, मगर उन्हें कोई मदद नहीं मिली. कंपनी की ओर से क्रू सदस्यों पर लीबिया जाने का दबाव बनाया जाने लगा.
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भारतीय एडवाइजरी के अनुसार क्रू-मेंबर्स को लीबिया नहीं जाने की सलाह दी गई थी. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एमबी मरीन शिप अब लीबिया की नई कंपनी है. हालांकि इस पूरे संघर्ष के बाद सभी क्रू-मेंबर भारत लौट आए हैं. अब उनके परिवार में खुशी का माहौल है.