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काबुल की स्टील फैक्ट्री में फंसे यूपी के कई कर्मचारी, वापसी की लगाई गुहार - अफगानिस्तान में तालिबान

अफगानिस्तान (Afghanistan) के काबुल (Kabul) में सैकड़ों भारतीय (Indians) फंसे हुए हैं, जो घर वापस आना चाहते हैं. काबुल की एक फैक्ट्री (Factory) में फंसे करीब 18 कर्मचारियों ने अपना दर्द बयां किया है. इनमें से अधिकतर लोग उत्तर प्रदेश के हैं, जो गाजियाबाद, चन्दौली, गाजीपुर और अन्य इलाकों से यहां पर काम के लिए गए हुए हैं.

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Published : Aug 17, 2021, 3:23 PM IST

लखनऊ : काबुल की एक फैक्ट्री में फंसे ऐसे ही करीब 18 भारतीय कर्मचारियों ने अपना दर्द बयां किया. कर्मचारियों का कहना है कि उनकी कंपनी ने पासपोर्ट रख लिया है और उन्हें वापस जाने नहीं दे रही है.

वहां फंसे हुए कर्मचारियों का कहना है कि अभी किसी तरह सिर्फ हम अपनी कंपनी में सेफ हैं, लेकिन हम सरकार से गुजारिश करते है कि हमें यहां से बाहर निकालें. इन कर्मचारियों में उत्तर प्रदेश के चन्दौली के रहने वाले व्यक्ति ने कहा कि भारत सरकार से हमारा निवेदन है कि उन्हें किसी भी तरह यहां से निकाल लिया जाए, ताकि वह अपने घर पहुंच सकें. कर्मचारी का कहना है कि उनके परिजन घर पर रो रहे हैं, हमारे लिए परेशान हैं क्योंकि हालात यहां पर ठीक नहीं हैं.

काबुल में फंसे हुए इन कर्मचारियों ने बताया कि कंपनी ने उनका पासपोर्ट रख लिया है और वो वापस नहीं देना चाहती है. इनमें से अधिकतर लोग उत्तर प्रदेश के हैं, जो गाजियाबाद, चन्दौली, गाजीपुर और अन्य इलाकों से यहां पर काम के लिए आए हुए हैं. ये जो कर्मचारी फंसे हुए हैं, उनमें से कुछ लोग एक महीने पहले ही आए हैं जबकि कई कुछ महीने पहले आए थे.

कर्मचारी का कहना है कि कंपनी पासपोर्ट नहीं दे रही है और बाहर नहीं जाने दे रही है. कंपनी ने कहा है कि उनकी मर्जी के बिना कोई नहीं जा पाएगा. जो भारतीय कर्मचारी फंसे हैं, वो काबुल की एक स्टील कंपनी में काम करते हैं.

तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है. वहां के हालात काफी खराब बताए जा रहे हैं. वहीं, काबुल एयरपोर्ट को सुबह ही अमेरिकी एजेंसियों ने दोबारा खुलवाया है. भारत अपने लोगों की सुरक्षा को लेकर सजग है. इसके मद्देनजर आज भारतीय वायुसेना का C-17 ने सुबह 7.30 बजे काबुल से उड़ान भरी. इस विमान में करीब 120 भारतीय अधिकारियों को वापस लाया गया.

बता दें कि, दो दशक तक चले युद्ध के बाद अमेरिका के सैनिकों की पूर्ण वापसी से दो सप्ताह पहले तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है. विद्रोहियों ने पूरे देश में कोहराम मचा दिया और कुछ ही दिनों में सभी बड़े शहरों पर कब्जा कर लिया क्योंकि अमेरिका और इसके सहयोगियों द्वारा प्रशिक्षित अफगान सुरक्षाबलों ने घुटने टेक दिए. तालिबान का 1990 के दशक के अंत में देश पर कब्जा था और अब एक बार फिर उसका कब्जा हो गया है.

अमेरिका में 11 सितंबर 2001 को हुए भीषण आतंकी हमलों के बाद वाशिंगटन ने ओसामा बिन लादेन और उसे शरण देने वाले तालिबान को सबक सिखाने के लिए धावा बोला तथा विद्रोहियों को सत्ता से अपदस्थ कर दिया. बाद में, अमेरिका ने पाकिस्तान के ऐबटाबाद में ओसामा बिन लादेन को भी मार गिराया.

अमेरिकी सैनिकों की अब वापसी शुरू होने के बाद तालिबान ने देश में फिर से अपना प्रभाव बढ़ाना शुरू कर दिया और कुछ ही दिनों में पूरे देश पर कब्जा कर पश्चिम समर्थित अफगान सरकार को घुटने टेकने को मजबूर कर दिया.

यह भी पढ़ें-तालिबान ने 'आम माफी' का एलान किया, सरकार में शामिल होने की महिलाओं से अपील

विगत में तालिबान की बर्बरता देख चुके अफगानिस्तान के लोग खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. काबुल हवाईअड्डे पर देश छोड़ने के लिए उमड़ रही भारी भीड़ से यह बिलकुल स्पष्ट हो जाता है कि लोग किस हद तक तालिबान से भयभीत हैं.

लोगों को पूर्व में 1996 से 2001 तक तालिबान द्वारा की गई बर्बरता की बुरी यादें डरा रही हैं. सबसे अधिक चिंतित महिलाएं हैं जिन्हें तालिबान ने विगत में घरों में कैद रहने को मजबूर कर दिया था.

लखनऊ : काबुल की एक फैक्ट्री में फंसे ऐसे ही करीब 18 भारतीय कर्मचारियों ने अपना दर्द बयां किया. कर्मचारियों का कहना है कि उनकी कंपनी ने पासपोर्ट रख लिया है और उन्हें वापस जाने नहीं दे रही है.

वहां फंसे हुए कर्मचारियों का कहना है कि अभी किसी तरह सिर्फ हम अपनी कंपनी में सेफ हैं, लेकिन हम सरकार से गुजारिश करते है कि हमें यहां से बाहर निकालें. इन कर्मचारियों में उत्तर प्रदेश के चन्दौली के रहने वाले व्यक्ति ने कहा कि भारत सरकार से हमारा निवेदन है कि उन्हें किसी भी तरह यहां से निकाल लिया जाए, ताकि वह अपने घर पहुंच सकें. कर्मचारी का कहना है कि उनके परिजन घर पर रो रहे हैं, हमारे लिए परेशान हैं क्योंकि हालात यहां पर ठीक नहीं हैं.

काबुल में फंसे हुए इन कर्मचारियों ने बताया कि कंपनी ने उनका पासपोर्ट रख लिया है और वो वापस नहीं देना चाहती है. इनमें से अधिकतर लोग उत्तर प्रदेश के हैं, जो गाजियाबाद, चन्दौली, गाजीपुर और अन्य इलाकों से यहां पर काम के लिए आए हुए हैं. ये जो कर्मचारी फंसे हुए हैं, उनमें से कुछ लोग एक महीने पहले ही आए हैं जबकि कई कुछ महीने पहले आए थे.

कर्मचारी का कहना है कि कंपनी पासपोर्ट नहीं दे रही है और बाहर नहीं जाने दे रही है. कंपनी ने कहा है कि उनकी मर्जी के बिना कोई नहीं जा पाएगा. जो भारतीय कर्मचारी फंसे हैं, वो काबुल की एक स्टील कंपनी में काम करते हैं.

तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है. वहां के हालात काफी खराब बताए जा रहे हैं. वहीं, काबुल एयरपोर्ट को सुबह ही अमेरिकी एजेंसियों ने दोबारा खुलवाया है. भारत अपने लोगों की सुरक्षा को लेकर सजग है. इसके मद्देनजर आज भारतीय वायुसेना का C-17 ने सुबह 7.30 बजे काबुल से उड़ान भरी. इस विमान में करीब 120 भारतीय अधिकारियों को वापस लाया गया.

बता दें कि, दो दशक तक चले युद्ध के बाद अमेरिका के सैनिकों की पूर्ण वापसी से दो सप्ताह पहले तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है. विद्रोहियों ने पूरे देश में कोहराम मचा दिया और कुछ ही दिनों में सभी बड़े शहरों पर कब्जा कर लिया क्योंकि अमेरिका और इसके सहयोगियों द्वारा प्रशिक्षित अफगान सुरक्षाबलों ने घुटने टेक दिए. तालिबान का 1990 के दशक के अंत में देश पर कब्जा था और अब एक बार फिर उसका कब्जा हो गया है.

अमेरिका में 11 सितंबर 2001 को हुए भीषण आतंकी हमलों के बाद वाशिंगटन ने ओसामा बिन लादेन और उसे शरण देने वाले तालिबान को सबक सिखाने के लिए धावा बोला तथा विद्रोहियों को सत्ता से अपदस्थ कर दिया. बाद में, अमेरिका ने पाकिस्तान के ऐबटाबाद में ओसामा बिन लादेन को भी मार गिराया.

अमेरिकी सैनिकों की अब वापसी शुरू होने के बाद तालिबान ने देश में फिर से अपना प्रभाव बढ़ाना शुरू कर दिया और कुछ ही दिनों में पूरे देश पर कब्जा कर पश्चिम समर्थित अफगान सरकार को घुटने टेकने को मजबूर कर दिया.

यह भी पढ़ें-तालिबान ने 'आम माफी' का एलान किया, सरकार में शामिल होने की महिलाओं से अपील

विगत में तालिबान की बर्बरता देख चुके अफगानिस्तान के लोग खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. काबुल हवाईअड्डे पर देश छोड़ने के लिए उमड़ रही भारी भीड़ से यह बिलकुल स्पष्ट हो जाता है कि लोग किस हद तक तालिबान से भयभीत हैं.

लोगों को पूर्व में 1996 से 2001 तक तालिबान द्वारा की गई बर्बरता की बुरी यादें डरा रही हैं. सबसे अधिक चिंतित महिलाएं हैं जिन्हें तालिबान ने विगत में घरों में कैद रहने को मजबूर कर दिया था.

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