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स्टेशन मास्टरों का सामूहिक अवकाश  31 मई को - station master vacancies

देशभर के करीब 35 हजार स्टेशन मास्टर 31 मई को एक साथ सामूहिक अवकाश पर रहेंगे. इसकी वजह से देशभर की रेलसेवा प्रभावित हो सकती है और रेल के पहिए थम सकते हैं. दरअसल रेलवे की उदासीनता की वजह से देशभर के करीब 35 हजार स्टेशन मास्टरों ने अपनी ओर से रेलवे बोर्ड को एक नोटिस भेजा है.

स्टेशन मास्टरों के हड़ताल पर जाने की वजह से 31 मई को थम सकती है देशभर में रेलसेवा
स्टेशन मास्टरों के हड़ताल पर जाने की वजह से 31 मई को थम सकती है देशभर में रेलसेवा
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Published : May 26, 2022, 9:23 AM IST

Updated : May 26, 2022, 10:04 AM IST

नई दिल्ली/ कोलकाता : देशभर के करीब 35 हजार स्टेशन मास्टर 31 मई को एक साथ सामूहिक अवकाश पर रहेंगे. इसकी वजह से देशभर की रेलसेवा प्रभावित हो सकती है और रेल के पहिए थम सकते हैं. दरअसल रेलवे की उदासीनता की वजह से देशभर के करीब 35 हजार स्टेशन मास्टरों ने अपनी ओर से रेलवे बोर्ड को एक नोटिस भेजा है. इसमें स्टेशन मास्टरों ने आगामी 31 मई को सामूहिक अवकाश पर जाने का ऐलान किया है. ये स्टेशन मास्टर चाहते हैं कि उनके संवर्ग में खाली पदों को जल्द भरा जाए. वर्तमान में स्टेशन मास्टरों को रोज आठ घंटे की बजाय 12 घंटे की ड्यूटी करनी पड़ती है. ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष धनंजय चंद्रात्रे के अनुसार अब उनके पास सामूहिक अवकाश पर जाने के अलावा कोई चारा नहीं है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में पूरे देश में इस समय 6 हजार से भी ज्यादा स्टेशन मास्टरों की कमी है और रेल प्रशासन इस पद पर कोई भर्ती नहीं कर रहा है. इस वजह से इस समय देश के आधे से भी ज्यादा स्टेशनों पर महज दो स्टेशन मास्टर पोस्टेड हैं.

पढ़ें: फिर याद आया 65 साल पहले का वाक्या.. जब बड़हिया में रेलवे ट्रैक पर बिछ गयी थी लाशें

स्टेशन मास्टरों की शिफ्ट आठ घंटे की होने के बाबजूद सभी स्टाफ की कमी की वजह से हर रोज 12 घंटे की शिफ्ट कर रहे हैं. जिस दिन किसी स्टेशन मास्टर का साप्ताहिक अवकाश होता है, उस दिन किसी दूसरे स्टेशन से कर्मचारी बुलाना पड़ता है. ऐसे में यदि किसी स्टाफ की तबियत खराब हो जाए या उनके घर में कोई इमर्जेंसी हो जाए तो परेशानी और अधिक बढ़ जाती है. अध्यक्ष धनंजय चंद्रात्रे के अनुसार स्टेशन मास्टर एसोसिएशन (एस्मा) ने यह निर्णय अचानक नहीं लिया, यह निर्णय लंबे संघर्ष के बाद लिया गया है. वह भी तब, जबकि रेल प्रशासन ने उनकी मांगों को नहीं माना. इससे पहले एस्मा पदाधिकारियों ने रेलवे बोर्ड के अधिकारियों को ई-मेल भेजकर भी विरोध जताया था और कई सांकेतिक विरोध प्रदर्शन किए थे जिस दौरान ट्रेनों का परिचालन प्रभावित नहीं हुआ.

दूसरे चरण में पूरे देश के स्टेशन मास्टरों ने 15 अक्टूबर 2020 को रात्रि ड्यूटी शिफ्ट में स्टेशन पर मोमबत्ती जला कर विरोध प्रदर्शन किया था. तीसरे चरण का विरोध प्रदर्शन 20 अक्टूबर से 26 अक्टूबर 2020 तक एक सप्ताह तक चला. उस दौरान स्टेशन मास्टरों ने काला बैज लगा कर ट्रेनों का संचालन किया था. चौथे चरण में सभी स्टेशन मास्टर 31 अक्टूबर 2020 को एक दिवसीय भूख हड़ताल पर रहे थे. पांचवे चरण में हर डिवीजनल हेड क्वार्टर के सामने प्रदर्शन किया. छठवें चरण में सभी संसदीय क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को और रेल मंत्री को ज्ञापन दिया गया था. सांतवें चरण रेल राज्य मंत्री से मुलाकात करके समस्याओं से अवगत करवाया. इसके बावजूद अभी तक स्टेशन मास्टरों की सभी मांगे लंबित हैं. जिसके बाद स्टेशन मास्टरों ने हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है.

पढ़ें: वरिष्ठ नागरिकों को टिकट में छूट न देकर रेलवे ने दो सालों में कमाए 3464 करोड़ रु.

स्टेशन मास्टरों ने रेलवे बोर्ड के सीईओ को जो मांगें भेजे है. उसके अनुसार, रेलवे में सभी रिक्तियों को शीघ्र भरा जाए. सभी रेल कर्मचारियों को बिना किसी अधिकतम सीमा के रात्रि ड्यूटी भत्ता बहाल किया जाए. स्टेशन मास्टरों के संवर्ग में एमएसीपी का लाभ 16.02.2018 के बजाय 01.01.2016 से प्रदान किया जाय. संशोधित पदनामों के साथ संवर्गों का पुनर्गठन हो. ट्रेनों के सुरक्षित और समय पर चलने में उनके योगदान के लिए स्टेशन मास्टरों को सुरक्षा और तनाव भत्ता दिया जाए. रेलवे का निजीकरण एवं निगमीकरण रोका जाए. साथ ही न्यू पेंशन स्कीम बंद करके पुरानी पेंशन स्कीम लागू की जाए.

नई दिल्ली/ कोलकाता : देशभर के करीब 35 हजार स्टेशन मास्टर 31 मई को एक साथ सामूहिक अवकाश पर रहेंगे. इसकी वजह से देशभर की रेलसेवा प्रभावित हो सकती है और रेल के पहिए थम सकते हैं. दरअसल रेलवे की उदासीनता की वजह से देशभर के करीब 35 हजार स्टेशन मास्टरों ने अपनी ओर से रेलवे बोर्ड को एक नोटिस भेजा है. इसमें स्टेशन मास्टरों ने आगामी 31 मई को सामूहिक अवकाश पर जाने का ऐलान किया है. ये स्टेशन मास्टर चाहते हैं कि उनके संवर्ग में खाली पदों को जल्द भरा जाए. वर्तमान में स्टेशन मास्टरों को रोज आठ घंटे की बजाय 12 घंटे की ड्यूटी करनी पड़ती है. ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष धनंजय चंद्रात्रे के अनुसार अब उनके पास सामूहिक अवकाश पर जाने के अलावा कोई चारा नहीं है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में पूरे देश में इस समय 6 हजार से भी ज्यादा स्टेशन मास्टरों की कमी है और रेल प्रशासन इस पद पर कोई भर्ती नहीं कर रहा है. इस वजह से इस समय देश के आधे से भी ज्यादा स्टेशनों पर महज दो स्टेशन मास्टर पोस्टेड हैं.

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स्टेशन मास्टरों की शिफ्ट आठ घंटे की होने के बाबजूद सभी स्टाफ की कमी की वजह से हर रोज 12 घंटे की शिफ्ट कर रहे हैं. जिस दिन किसी स्टेशन मास्टर का साप्ताहिक अवकाश होता है, उस दिन किसी दूसरे स्टेशन से कर्मचारी बुलाना पड़ता है. ऐसे में यदि किसी स्टाफ की तबियत खराब हो जाए या उनके घर में कोई इमर्जेंसी हो जाए तो परेशानी और अधिक बढ़ जाती है. अध्यक्ष धनंजय चंद्रात्रे के अनुसार स्टेशन मास्टर एसोसिएशन (एस्मा) ने यह निर्णय अचानक नहीं लिया, यह निर्णय लंबे संघर्ष के बाद लिया गया है. वह भी तब, जबकि रेल प्रशासन ने उनकी मांगों को नहीं माना. इससे पहले एस्मा पदाधिकारियों ने रेलवे बोर्ड के अधिकारियों को ई-मेल भेजकर भी विरोध जताया था और कई सांकेतिक विरोध प्रदर्शन किए थे जिस दौरान ट्रेनों का परिचालन प्रभावित नहीं हुआ.

दूसरे चरण में पूरे देश के स्टेशन मास्टरों ने 15 अक्टूबर 2020 को रात्रि ड्यूटी शिफ्ट में स्टेशन पर मोमबत्ती जला कर विरोध प्रदर्शन किया था. तीसरे चरण का विरोध प्रदर्शन 20 अक्टूबर से 26 अक्टूबर 2020 तक एक सप्ताह तक चला. उस दौरान स्टेशन मास्टरों ने काला बैज लगा कर ट्रेनों का संचालन किया था. चौथे चरण में सभी स्टेशन मास्टर 31 अक्टूबर 2020 को एक दिवसीय भूख हड़ताल पर रहे थे. पांचवे चरण में हर डिवीजनल हेड क्वार्टर के सामने प्रदर्शन किया. छठवें चरण में सभी संसदीय क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को और रेल मंत्री को ज्ञापन दिया गया था. सांतवें चरण रेल राज्य मंत्री से मुलाकात करके समस्याओं से अवगत करवाया. इसके बावजूद अभी तक स्टेशन मास्टरों की सभी मांगे लंबित हैं. जिसके बाद स्टेशन मास्टरों ने हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है.

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स्टेशन मास्टरों ने रेलवे बोर्ड के सीईओ को जो मांगें भेजे है. उसके अनुसार, रेलवे में सभी रिक्तियों को शीघ्र भरा जाए. सभी रेल कर्मचारियों को बिना किसी अधिकतम सीमा के रात्रि ड्यूटी भत्ता बहाल किया जाए. स्टेशन मास्टरों के संवर्ग में एमएसीपी का लाभ 16.02.2018 के बजाय 01.01.2016 से प्रदान किया जाय. संशोधित पदनामों के साथ संवर्गों का पुनर्गठन हो. ट्रेनों के सुरक्षित और समय पर चलने में उनके योगदान के लिए स्टेशन मास्टरों को सुरक्षा और तनाव भत्ता दिया जाए. रेलवे का निजीकरण एवं निगमीकरण रोका जाए. साथ ही न्यू पेंशन स्कीम बंद करके पुरानी पेंशन स्कीम लागू की जाए.

Last Updated : May 26, 2022, 10:04 AM IST
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