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ईरान में युवती की मौत पर भड़का भारतीय मुस्लिम समूह, जताया विरोध - Mahsa Amini death case

आईएमएसडी ने कहा कि 21वीं शताब्दी के तीसरे दशक में महज सिर न ढंकने के लिए किसी की हत्या कर देना एक बर्बर कृत्य है.

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Published : Sep 24, 2022, 7:07 PM IST

नई दिल्ली : इंडियन मुस्लिम्स फॉर सेक्युलर डेमोक्रेसी (IMSD) नामक संस्था ने ईरान में ड्रेस-कोड का कथित तौर पर उल्लंघन करने वाली युवती महसा अमिनी की पुलिस हिरासत में मौत को लेकर वहां के तानाशाही कानूनों के खिलाफ आवाज उठाई है. ईरान पुलिस ने बीते सप्ताह तेहरान में पहनावे से संबंधित कानून का कथित तौर पर उल्लंघन करने के आरोप में 22 वर्षीय महसा अमीनी को गिरफ्तार किया था.

पुलिस का कहना है कि अमिनी की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई और उसके साथ कोई बदसलूकी नहीं की गई थी, लेकिन युवती के परिवार ने पुलिस के बयान पर संदेह जताया है. आईएमएसडी ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि आईएमएसडी ईरान के प्रगति विरोधी और तानाशाही कानूनों तथा नागरिकों के अधिकारों के दमन की कड़ी निंदा करता है.

समूह ने कहा कि 21वीं शताब्दी के तीसरे दशक में महज सिर न ढंकने के लिए किसी की हत्या कर देना एक बर्बर कृत्य है. बयान में कहा गया है कि इसके साथ ही भारतीय मौलानाओं द्वारा ईरानी महिलाओं के अधिकारों का समर्थन नहीं करने पर भी सवाल खड़े होते हैं. भारत में हिजाब विवाद के परिप्रेक्ष्य में इससे नए तर्क पैदा होते हैं.

आईएमएसडी के बयान का लगभग सौ हस्तियों ने समर्थन किया है। इनमें स्वतंत्रता सेनानी जी जी पारिख, जावेद अख्तर, शबाना आजमी, नसीरुद्दीन शाह, जीनत शौकत अली, योगेंद्र यादव और तुषार गांधी शामिल हैं.

नई दिल्ली : इंडियन मुस्लिम्स फॉर सेक्युलर डेमोक्रेसी (IMSD) नामक संस्था ने ईरान में ड्रेस-कोड का कथित तौर पर उल्लंघन करने वाली युवती महसा अमिनी की पुलिस हिरासत में मौत को लेकर वहां के तानाशाही कानूनों के खिलाफ आवाज उठाई है. ईरान पुलिस ने बीते सप्ताह तेहरान में पहनावे से संबंधित कानून का कथित तौर पर उल्लंघन करने के आरोप में 22 वर्षीय महसा अमीनी को गिरफ्तार किया था.

पुलिस का कहना है कि अमिनी की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई और उसके साथ कोई बदसलूकी नहीं की गई थी, लेकिन युवती के परिवार ने पुलिस के बयान पर संदेह जताया है. आईएमएसडी ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा कि आईएमएसडी ईरान के प्रगति विरोधी और तानाशाही कानूनों तथा नागरिकों के अधिकारों के दमन की कड़ी निंदा करता है.

समूह ने कहा कि 21वीं शताब्दी के तीसरे दशक में महज सिर न ढंकने के लिए किसी की हत्या कर देना एक बर्बर कृत्य है. बयान में कहा गया है कि इसके साथ ही भारतीय मौलानाओं द्वारा ईरानी महिलाओं के अधिकारों का समर्थन नहीं करने पर भी सवाल खड़े होते हैं. भारत में हिजाब विवाद के परिप्रेक्ष्य में इससे नए तर्क पैदा होते हैं.

आईएमएसडी के बयान का लगभग सौ हस्तियों ने समर्थन किया है। इनमें स्वतंत्रता सेनानी जी जी पारिख, जावेद अख्तर, शबाना आजमी, नसीरुद्दीन शाह, जीनत शौकत अली, योगेंद्र यादव और तुषार गांधी शामिल हैं.

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