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Sleeper Cells : रिपोर्ट में दावा, कई राज्यों में स्लीपर सेल बना रहा इंडियन मुजाहिदीन

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Published : Feb 4, 2023, 7:15 PM IST

एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इंडियन मुजाहिदीन कई राज्यों में अपने स्लीपर सेल बना रहा है (Sleeper Cells). रिपोर्ट में पंजाब में हाल ही में 'खालिस्तान' से जुड़ी गतिविधियों का भी जिक्र किया गया है. साथ ही इनसे निपटने के तरीके भी बताए गए हैं. वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

islamic state terrorist organisation report
स्लीपर सेल बना रहा इंडियन मुजाहिदीन

नई दिल्ली: कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों के साथ-साथ इस्लामिक स्टेट (आईएस) के सदस्यों के खिलाफ देशव्यापी कार्रवाई की पृष्ठभूमि में एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि इंडियन मुजाहिदीन, आतंकी गतिविधियों को संचालित करने के लिए विभिन्न राज्यों में स्लीपर सेल मॉड्यूल बना रहा है.

आतंकवाद से जुड़े मामलों में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा केरल से कई लोगों की गिरफ्तारी ने राज्य में सक्रिय इस्लामिक स्टेट (आईएस) के संदिग्ध स्लीपर सेल के बारे में चिंता बढ़ा दी है.

मणिपुर इंटेलीजेंस के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक आशुतोष कुमार सिन्हा (Ashutosh Kumar Sinha) ने गृह मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 'आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के स्लीपर सेल के नए मॉड्यूल बनाने के इनपुट हैं. खालिस्तान को लेकर हालिया घटनाओं के मद्देनजर पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में उनके कनेक्शन, पंजाब और अन्य राज्यों में फैले आतंकवादी समर्थक तत्वों से इनकार नहीं किया जा सकता है.'

स्लीपर सेल में गुप्त एजेंट होते हैं जिन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि वह लोगों के बीच आसानी से घुल-मिल जाएं और अपनी गतिविधियों को अंजाम दें. ये स्लीपर सेल एजेंट छात्र के रूप में या व्यापारियों के रूप में वर्षों बिताते हैं, जब तक कि उन्हें अपने आकाओं से आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने का आदेश नहीं मिल जाता.

सिन्हा ने कहा कि 'स्लीपर सेल के अलग-अलग सदस्यों को एक-दूसरे के बारे में पता भी नहीं होता है. ऐसा पुलिस पूछताछ के दौरान दूसरों की पहचान छिपाने के लिए ये करते हैं. प्रत्येक सेल एक आतंकवादी समूह या संगठन के तहत काम करता है.'

सिन्हा ने कहा कि 'स्लीपर सेल के बड़े पैमाने पर प्रवेश से पता चलता है कि इस्लामिक स्टेट की विचारधारा अब पूरे केरल में फैल रही है, ऐसे में इसकी वृद्धि की निगरानी या जांच करना मुश्किल है. आईएस राज्य में कमजोर आबादी को टारगेट कर रहा है.'

सिन्हा ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 'आईएसआईएस स्लीपर सेल के अधिकांश सदस्य इसकी साइबर ब्रिगेड का हिस्सा हैं, ये गलत तरीके से प्रेरित हैं और इस्लामिक स्टेट के नेतृत्व वाली खिलाफत के लिए लड़ने के लिए किसी भी समय हथियार उठा सकते हैं.'

अतीत में हुए आतंकवादी हमलों से पता चलता है कि भारत में स्थानीय पुलिस ऐसे में तत्काल पर्याप्त प्रतिक्रिया नहीं दे पाती है. घनी आबादी वाले इलाके संंवेदनशील होते हैं. आतंकी इन इलाकों को टारगेट करते हैं. इसके साथ ही निजी सुरक्षा प्रणाणी में सीमित सुरक्षा का भी ये फायदा उठाते हैं. यही वजह है कि कई स्थान असुरक्षित होते हैं. सोशल मीडिया के कारण भी इसमें तेजी आई है. कट्टरपंथी युवा दुष्प्रचार के लिए इसका तेजी से इस्तेमाल कर रहे हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि असहिष्णुता बढ़ रही है, सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है. अनियंत्रित प्रचार चिंता का कारण बनता है, विशेष रूप से कमजोर समूहों और अल्पसंख्यकों के बीच, जो शिकार बन सकते हैं. सिन्हा ने अपनी रिपोर्ट में डी-रेडिकलाइजेशन के तरीकों पर जोर दिया.

पढ़ें- रेल कर्मचारियों के बीच स्लीपर सेल, आतंकी हमले का खतरा, एक पत्र के बाद हाई अलर्ट पर सुरक्षा एजेंसी

नई दिल्ली: कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों के साथ-साथ इस्लामिक स्टेट (आईएस) के सदस्यों के खिलाफ देशव्यापी कार्रवाई की पृष्ठभूमि में एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि इंडियन मुजाहिदीन, आतंकी गतिविधियों को संचालित करने के लिए विभिन्न राज्यों में स्लीपर सेल मॉड्यूल बना रहा है.

आतंकवाद से जुड़े मामलों में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा केरल से कई लोगों की गिरफ्तारी ने राज्य में सक्रिय इस्लामिक स्टेट (आईएस) के संदिग्ध स्लीपर सेल के बारे में चिंता बढ़ा दी है.

मणिपुर इंटेलीजेंस के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक आशुतोष कुमार सिन्हा (Ashutosh Kumar Sinha) ने गृह मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 'आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के स्लीपर सेल के नए मॉड्यूल बनाने के इनपुट हैं. खालिस्तान को लेकर हालिया घटनाओं के मद्देनजर पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में उनके कनेक्शन, पंजाब और अन्य राज्यों में फैले आतंकवादी समर्थक तत्वों से इनकार नहीं किया जा सकता है.'

स्लीपर सेल में गुप्त एजेंट होते हैं जिन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि वह लोगों के बीच आसानी से घुल-मिल जाएं और अपनी गतिविधियों को अंजाम दें. ये स्लीपर सेल एजेंट छात्र के रूप में या व्यापारियों के रूप में वर्षों बिताते हैं, जब तक कि उन्हें अपने आकाओं से आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने का आदेश नहीं मिल जाता.

सिन्हा ने कहा कि 'स्लीपर सेल के अलग-अलग सदस्यों को एक-दूसरे के बारे में पता भी नहीं होता है. ऐसा पुलिस पूछताछ के दौरान दूसरों की पहचान छिपाने के लिए ये करते हैं. प्रत्येक सेल एक आतंकवादी समूह या संगठन के तहत काम करता है.'

सिन्हा ने कहा कि 'स्लीपर सेल के बड़े पैमाने पर प्रवेश से पता चलता है कि इस्लामिक स्टेट की विचारधारा अब पूरे केरल में फैल रही है, ऐसे में इसकी वृद्धि की निगरानी या जांच करना मुश्किल है. आईएस राज्य में कमजोर आबादी को टारगेट कर रहा है.'

सिन्हा ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 'आईएसआईएस स्लीपर सेल के अधिकांश सदस्य इसकी साइबर ब्रिगेड का हिस्सा हैं, ये गलत तरीके से प्रेरित हैं और इस्लामिक स्टेट के नेतृत्व वाली खिलाफत के लिए लड़ने के लिए किसी भी समय हथियार उठा सकते हैं.'

अतीत में हुए आतंकवादी हमलों से पता चलता है कि भारत में स्थानीय पुलिस ऐसे में तत्काल पर्याप्त प्रतिक्रिया नहीं दे पाती है. घनी आबादी वाले इलाके संंवेदनशील होते हैं. आतंकी इन इलाकों को टारगेट करते हैं. इसके साथ ही निजी सुरक्षा प्रणाणी में सीमित सुरक्षा का भी ये फायदा उठाते हैं. यही वजह है कि कई स्थान असुरक्षित होते हैं. सोशल मीडिया के कारण भी इसमें तेजी आई है. कट्टरपंथी युवा दुष्प्रचार के लिए इसका तेजी से इस्तेमाल कर रहे हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि असहिष्णुता बढ़ रही है, सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है. अनियंत्रित प्रचार चिंता का कारण बनता है, विशेष रूप से कमजोर समूहों और अल्पसंख्यकों के बीच, जो शिकार बन सकते हैं. सिन्हा ने अपनी रिपोर्ट में डी-रेडिकलाइजेशन के तरीकों पर जोर दिया.

पढ़ें- रेल कर्मचारियों के बीच स्लीपर सेल, आतंकी हमले का खतरा, एक पत्र के बाद हाई अलर्ट पर सुरक्षा एजेंसी

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