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भारतीय उच्चायुक्त ने श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे से की मुलाकात

श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे (prime minister, Ranil Wickremesinghe) से श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त गोपाल बागले (India high commissioner to Sri Lanka, Gopal Baglay) ने मुलाकात की. इस दौरान दोनों के बीच श्रीलंका में आर्थिक सुधार और स्थिरता के लिए भारत और श्रीलंका के सहयोग को जारी रखने पर चर्चा हुई. पढ़िए ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चन्द्रकला चौधरी की रिपोर्ट...

Indian High Commissioner meets the new PM of Sri Lanka
भारतीय उच्चायुक्त ने श्रीलंका के नए पीएम से की मुलाकात
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Published : May 13, 2022, 4:42 PM IST

नई दिल्ली: श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त गोपाल बागले (India high commissioner to Sri Lanka, Gopal Baglay) ने देश के नए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे (prime minister, Ranil Wickremesinghe) से शुक्रवार को मुलाकात की. साथ ही आर्थिक संकट से जूझ रहे द्वीपीय देश की मौजूदा स्थिति के अलावा लोगों की भलाई के लिए लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के माध्यम से श्रीलंका में आर्थिक सुधार और स्थिरता के लिए भारत और श्रीलंका के सहयोग को जारी रखने पर चर्चा की. बागले ने पीएम को बधाई और शुभकामनाएं दीं.

कोलंबो में भारतीय ने कहा कि वह श्रीलंकाई लोगों को वीजा देना जारी रखेगा.कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने ट्वीट किया, 'हम श्रीलंकाई लोगों के लिए भारत की यात्रा को आसान बनाने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं. श्रीलंका का भारत में भी उतना ही स्वागत है जितना कि श्रीलंका में.' इस बीच, भारत ने गुरुवार को कहा कि वह राजनीतिक स्थिरता की उम्मीद करता है और श्रीलंका के प्रधानमंत्री के रूप में रानिल विक्रमसिंघे के शपथ ग्रहण के तहत लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं द्वारा गठित श्रीलंका सरकार के साथ काम करने के लिए तत्पर है. विक्रमसिंघे के प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभालने के बाद उनसे मुलाकात करने वाले बागले पहले विदेशी राजदूत हैं

श्रीलंका के 26वें प्रधान मंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद, रानिल विक्रमसिंघे ने कहा है कि वह अपने कार्यकाल के दौरान भारत के साथ घनिष्ठ संबंधों की आशा करते हैं और देश को आर्थिक सहायता के लिए भारत को धन्यवाद दिया क्योंकि यह स्वतंत्रता के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है. दूसरी तरफ भारत कर्ज में डूबे श्रीलंका को संकट से उबरने के लिए हर संभव साधन मुहैया कराने और सहायता प्रदान कर रहा है.
भारत ने इस साल जनवरी से ऋण, ऋण सुविधा और अदला-बदली सुविधा के जरिए श्रीलंका की तीन अरब डॉलर से अधिक की मदद करने की प्रतिबद्धता जतायी है.

ये भी पढ़ें - श्रीलंका के नए पीएम ने कार्यभार संभालते ही कहा-धन्यवाद पीएम मोदी

अप्रैल के मध्य में श्रीलंका ने विदेशी ऋण प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में अपनी अक्षमता जाहिर करते हुए दिवालिया होने की घोषणा की थी. देश में विदेशी मुद्रा की भारी कमी हो गई है, जिससे वह खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात के लिए भुगतान नहीं कर पा रहा है. इस कारण देश में व्यापक स्तर पर सरकार विरोधी प्रदर्शन किए जा रहे हैं और राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग की जा रही है.

नई दिल्ली: श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त गोपाल बागले (India high commissioner to Sri Lanka, Gopal Baglay) ने देश के नए प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे (prime minister, Ranil Wickremesinghe) से शुक्रवार को मुलाकात की. साथ ही आर्थिक संकट से जूझ रहे द्वीपीय देश की मौजूदा स्थिति के अलावा लोगों की भलाई के लिए लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के माध्यम से श्रीलंका में आर्थिक सुधार और स्थिरता के लिए भारत और श्रीलंका के सहयोग को जारी रखने पर चर्चा की. बागले ने पीएम को बधाई और शुभकामनाएं दीं.

कोलंबो में भारतीय ने कहा कि वह श्रीलंकाई लोगों को वीजा देना जारी रखेगा.कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने ट्वीट किया, 'हम श्रीलंकाई लोगों के लिए भारत की यात्रा को आसान बनाने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं. श्रीलंका का भारत में भी उतना ही स्वागत है जितना कि श्रीलंका में.' इस बीच, भारत ने गुरुवार को कहा कि वह राजनीतिक स्थिरता की उम्मीद करता है और श्रीलंका के प्रधानमंत्री के रूप में रानिल विक्रमसिंघे के शपथ ग्रहण के तहत लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं द्वारा गठित श्रीलंका सरकार के साथ काम करने के लिए तत्पर है. विक्रमसिंघे के प्रधानमंत्री पद का कार्यभार संभालने के बाद उनसे मुलाकात करने वाले बागले पहले विदेशी राजदूत हैं

श्रीलंका के 26वें प्रधान मंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद, रानिल विक्रमसिंघे ने कहा है कि वह अपने कार्यकाल के दौरान भारत के साथ घनिष्ठ संबंधों की आशा करते हैं और देश को आर्थिक सहायता के लिए भारत को धन्यवाद दिया क्योंकि यह स्वतंत्रता के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है. दूसरी तरफ भारत कर्ज में डूबे श्रीलंका को संकट से उबरने के लिए हर संभव साधन मुहैया कराने और सहायता प्रदान कर रहा है.
भारत ने इस साल जनवरी से ऋण, ऋण सुविधा और अदला-बदली सुविधा के जरिए श्रीलंका की तीन अरब डॉलर से अधिक की मदद करने की प्रतिबद्धता जतायी है.

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अप्रैल के मध्य में श्रीलंका ने विदेशी ऋण प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में अपनी अक्षमता जाहिर करते हुए दिवालिया होने की घोषणा की थी. देश में विदेशी मुद्रा की भारी कमी हो गई है, जिससे वह खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात के लिए भुगतान नहीं कर पा रहा है. इस कारण देश में व्यापक स्तर पर सरकार विरोधी प्रदर्शन किए जा रहे हैं और राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग की जा रही है.

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