पूर्णिया : पूर्णिया: ''मेरी जान तिरंगा है.. यह आन तिरंगा है.. यह शान तिरंगा है..'' ये भारत में हम सभी गाते हैं, लेकिन अगर आपसे कहा जाए कि ''पाकिस्तान'' में भी तिरंगा शान से लहराता है तो आप क्या कहेंगे. जी हां, ऐसा ही है. हिंदुस्तान में एक 'पाकिस्तान' बसा है. यहां तिरंगा शान से फहराता है. यहां लोगों के दिलों में हिंदुस्तान बसता है.
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पाकिस्तान टोला में भगवान राम की होती है पूजा : यह 'पाकिस्तान' पूर्णिया जिले के श्रीनगर प्रखंड में स्थित एक गांव 'पाकिस्तान टोला' (Pakistan Tola In Purnea) है. गांव का नाम भले ही 'पाकिस्तान टोला' हो, लेकिन इस 'पाकिस्तान' में एक भी मुस्लिम आबादी नहीं हैं, बल्कि यहां रहनेवाले सभी लोग हिंदू हैं. यहां भगवान राम की पूजा होती है. यहां हर साल 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) और 15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) को हमारा तिरंगा शान से लहराता है.
बिहार में पाकिस्तान नाम कैसे पड़ा? : जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर, ''पाकिस्तान टोला'' का नाम कब और कैसे पड़ा, इसकी दो कहानियां प्रचलित हैं. गांव के बुजुर्गों ने बताया कि भारत विभाजन के समय 1947 में यहां रहने वाले अल्पसंख्यक परिवार पाकिस्तान चले गए. इसके बाद लोगों ने गांव का नाम पाकिस्तान टोला रख दिया. वहीं दूसरी ओर कहा जाता है कि युद्ध के समय पूर्वी पाकिस्तान से कुछ शरणार्थी यहां आए और उन्होंने एक टोला बसा लिया. शरणार्थियों ने टोला का नाम पाकिस्तान रखा. बांग्लादेश बनने के बाद वे फिर चले गए, लेकिन इलाके का नाम ''पाकिस्तान टोला'' ही रह गया.
पाकिस्तान नाम से लोगों को होती है परेशानी : इस गांव में सिर्फ आदिवासी समुदाय के ही लोग रहते (Pakistan In Bihar) हैं. यहां की कुल आबादी करीब 1200 है. अब यहां के लोगों को पाकिस्तान नाम से नफरत हो रही है. ग्रामीणों का कहना है कि गांव का पाकिस्तान नाम होने के कारण कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ग्रामीण तो यहां तक कहते हैं कि गांव का नाम पाकिस्तान होने के कारण बेटे, बेटियों की शादियां भी तय करने में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.
विकास से कोसों दूर है यह पाकिस्तान टोला : पाकिस्तान टोला में 350 वोटर है. लेकिन 1200 आबादी वाले इस टोले में आजाद भारत के 74 साल गुजर जाने के बाद भी पाकिस्तान टोले के लोग खुद को ठगा महसूस कर रहे है. पाकिस्तान टोले तक पहुंचने के लिए दशकों से पुराना जर्जर पुल ही एकमात्र सहारा है. किसी तरह जोखिम से भरा कोसी और कोरा ब्रिज पार करके लोग इधर-उधर जाते हैं. खास बात यह है कि यहां तक जाने के लिए एक ढंग की सड़क भी नहीं है. पाकिस्तान टोला से श्रीनगर प्रखंड के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की दूरी करीब 12 किलोमीटर है, जबकि स्कूल करीब 2 किलोमीटर की दूरी पर है.