नई दिल्ली : देश में ड्रोन उद्योग का अनुमानित वार्षिक बिक्री कारोबार रुपये से बढ़ सकता है. नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री, जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह (VK Singh) ने सोमवार को राज्यसभा में बताया कि भारतीय ड्रोन निर्माण उद्योग का वार्षिक बिक्री कारोबार 2020-21 में लगभग 60 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 तक लगभग 900 करोड़ रुपये हो सकता है.
उन्होंने एक प्रश्न के लिखित जवाब में बताया कि मंत्रालय द्वारा लागू की जाने वाली नीतियों को देखते हुए भारतीय ड्रोन उद्योग का कारोबार और रोजगार अगले तीन वर्षों में कई गुना बढ़ने की संभावना है. ड्रोन निर्माण और उपयोग में सुधार से अर्थव्यवस्था और रोजगार को अपेक्षित लाभ के बारे में उन्होंने बताया कि ड्रोन और ड्रोन घटकों के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना 30 सितंबर 2021 को अधिसूचित की गई थी. इस पर सरकार द्वारा 120 करोड़ रुपये तीन वर्षों में प्रोत्साहन के रूप में देगी.
उन्होंने कहा, 23 पीएलआई लाभार्थियों की एक अनंतिम सूची 6 जुलाई 2022 को जारी की गई थी. इनमें लाभार्थियों में 12 ड्रोन निर्माता और 11 ड्रोन घटक निर्माता शामिल हैं. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पीएलआई लाभार्थियों का संयुक्त वार्षिक बिक्री कारोबार वित्त वर्ष 2020-21 में लगभग 88 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2021-22 में लगभग 319 करोड़ रुपये हो गया है.
ड्रोन और ड्रोन भागों के आयात के मूल्य पर, सिंह ने कहा कि विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) के अनुसार, वित्त अधिनियम 2021 के तहत एक अलग टैरिफ लाइन (8806) बनाई गई थी, जो 1 जनवरी 2022 से लागू हुई थी. इस तिथि से पहले वास्तविक ड्रोन आयात का कोई विशेष लेखा-जोखा नहीं है. इसके बाद 9 फरवरी 2022 को, डीजीएफटी ने अनुसंधान एवं विकास, रक्षा और सुरक्षा उद्देश्यों को छोड़कर, ड्रोन के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया.
सिंह ने कहा कि ड्रोन के पुर्जे विभिन्न अन्य टैरिफ लाइनों के तहत आयात किए जाते हैं. इसके अलावा ऐसे जेनेरिक पुर्जों का उपयोग ड्रोन के अलावा अन्य उपकरणों के संयोजन में भी किया जा सकता है, इसलिए, डीजीएफटी के मुताबिक ड्रोन के भागों के आयात के आंकड़े प्राप्त करना संभव नहीं है. बता दें कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय पिछले कुछ महीनों से स्वदेशी ड्रोन विकसित करने के लिए युवा उद्यमियों और इंजीनियरों को बढ़ावा देकर ड्रोन उद्योग पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. इसका उपयोग न केवल अनुसंधान एवं विकास, रक्षा और सुरक्षा के लिए बल्कि कृषि में भी किया जा सकता है.
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