अबू धाबी: संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में भी शनिवार को भारतीय संविधान दिवस मनाया गया. यूएई में भारत के राजदूत संजय सुधीर भी कार्यक्रम में शामिल हुए और छात्रों, शिक्षकों तथा भारतीय समुदाय के लोगों के साथ भारतीय संविधान की प्रस्तावना पढ़ी. इस अवसर पर राजदूत संजय सुधीर ने संविधान दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला और भारतीयों से आह्वान किया कि वे भारत के संविधान में निहित मूल्यों और सिद्धांतों की फिर से पुष्टि करें और खुद को फिर से प्रतिबद्ध करें. उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माताओं और संविधान सभा के प्रयासों को भी सराहा.
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#WATCH | Indian Constitution Day observed in the UAE today
— ANI (@ANI) November 26, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
India's Ambassador to UAE, Sunjay Sudhir was joined by students, teachers and the Indian community in UAE in reading the Preamble to the Constitution of India on Constitution Day pic.twitter.com/EHZD9RFQuX
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— ANI (@ANI) November 26, 2022
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India's Ambassador to UAE, Sunjay Sudhir was joined by students, teachers and the Indian community in UAE in reading the Preamble to the Constitution of India on Constitution Day pic.twitter.com/EHZD9RFQuX
बता दें, संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान अपनाया था और इस दिवस को वर्ष 2015 से पहले तक विधि दिवस के रूप में मनाया जाता था, लेकिन 2015 से इसे संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है. संविधान दिवस के अवसर पर देशभर में संगोष्टी और कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है.
सुप्रीम कोर्ट में संविधान दिवस कार्यक्रम का आयोजन
हर साल की तरह इस बार भी सुप्रीम कोर्ट में संविधान दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए. अपने संबोधन में पीएम मोदी ने अफसोस जताया कि संविधान सभा में महिला सदस्यों के योगदान पर शायद ही कभी चर्चा होती है. साथ ही उन्होंने युवाओं के संविधान को बेहतर ढंग से समझने की जरूरत पर जोर दिया. प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और अन्य न्यायाधीशों की उपस्थिति में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के संविधान और संस्थानों का भविष्य युवाओं के कंधों पर टिका है.
पीएम मोदी ने कहा कि संविधान सभा में 15 महिला सदस्य थीं, जिनमें से एक दक्षायिनी वेलायुधन वंचित समाज की थीं. प्रधानमंत्री ने कहा कि वेलायुधन ने दलितों और मजदूरों से संबंधित कई विषयों पर महत्वपूर्ण हस्तक्षेप किया. दुर्गाबाई देशमुख, हंसा मेहता, राजकुमारी अमृत कौर और कई अन्य महिला सदस्यों ने भी महिलाओं से संबंधित विषयों पर महत्वपूर्ण योगदान दिया था. प्रधानमंत्री ने कहा, 'उनके योगदान पर शायद ही कभी चर्चा की जाती है.'
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उन्होंने कहा कि संविधान की एक और विशेषता है जो आज के समय में और भी प्रासंगिक हो गई है. संविधान निर्माताओं ने हमें एक ऐसा दस्तावेज दिया है जो खुला, भविष्यवादी और अपनी आधुनिक दृष्टि के लिए जाना जाता है, जो इसे युवा केंद्रित बनाता है. पीएम ने कहा कि युवाओं में संविधान के बारे में समझ बढ़ाने के लिए यह आवश्यक है कि वे संवैधानिक विषयों पर बहस और चर्चा का हिस्सा बनें. इससे संविधान में युवाओं रुचि और बढ़ेगी. उन्होंने कहा कि इससे युवाओं में समानता और सशक्तिकरण जैसे विषयों को समझने का दृष्टिकोण तैयार होगा. (इनपुट-भाषा)