नई दिल्ली : हवाई यातायात संघ (International Air Transport Association (IATA)) (आईएटीए) ने कहा है कि सरकार द्वारा पिछले साल मई से एयरलाइंस पर किराये तथा क्षमता की जो सीमा लगाई गई है, उससे भारतीय विमानन क्षेत्र का पुनरुद्धार प्रभावित हो रहा है. वैश्विक एयरलाइंस के निकाय आईएटीए के महानिदेशक विली वाल्श ( Willie Walsh) ने मंगलवार को यह बात कही.
भारत ने पिछले साल कोविड-19 की वजह से लगाए गए लॉकडाउन के बाद 25 मई को दो माह बाद अनुसूचित घरेलू उड़ान सेवाएं फिर शुरू की थीं. उस समय विमानन कंपनियों को कोविड-19 से पूर्व की 33 प्रतिशत क्षमता पर परिचालन की अनुमति दी गई थी.
इस सीमा को धीरे-धीरे बढ़ाया गया. अब एयरलाइंस को अपनी सीटों की 65 प्रतिशत क्षमता पर परिचालन की अनुमति है.
वाल्श ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'बिना किसी संदेह के भारत में बाजार में इस समय मांग क्षमता से अधिक है. यदि क्षमता पर अंकुशों को हटा लिया जाता है, तो भारत में निश्चित रूप से अधिक उड़ानों की मांग रहेगी.'
अभी विमानन कंपनियां करीब 1,700 दैनिक उड़ानों का परिचालन कर रही हैं. यह महामारी पूर्व के 55 प्रतिशत के बराबर है.
वाल्श ने कहा कि क्षमता पर अंकुश के अलावा भारत ने पिछले साल 25 मई से विमान किरायों की निचली और ऊपरी सीमा भी तय की है. यह सीमा आज भी लागू है.
उन्होंने कहा, 'किराये की सीमा से प्रतिस्पर्धा प्रभावित होती है. सभी एयरलाइंस का लागत का आधार भिन्न होता है और वे बाजार में भिन्न कीमतों पर क्षमता की पेशकश में सक्षम होती हैं. प्रतिस्पर्धा बढ़ाने की दृष्टि से यह अच्छा है.'
आईएटीए के महानिदेशक ने कहा कि भारतीय विमानन बाजार का पुनरुद्धार किराये और क्षमता की सीमा से बुरी तरह प्रभावित हुआ है.
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उन्होंने कहा कि महामारी की शुरुआत में जो उपाय किए गए थे, अब उनपर सवाल हो सकता है कि क्या अब भी उनकी जरूरत है. अब हम जो जोखिम झेल रहे हैं वह 15-17 माह पहले के जोखिम से काफी अलग है.
आईएटीए के सदस्यों में 290 वैश्विक एयरलाइंस हैं.