देहरादून/चमोली: उत्तराखंड में चीन सीमा के पास ऊंचाई वाले पहाड़ों पर तैनात भारतीय सेना के जवानों का कहना है कि वे विशेष मिशन के साथ-साथ जोशीमठ में राहत और बचाव कार्यों के लिए तैयार हैं. सैनिकों ने सभी अभियानों या मिशनों को सफलतापूर्वक अंजाम देने का भरोसा जताते हुए कहा कि उन्हें सौंपे गए किसी भी काम को पूरा करने के लिए वे तैयार हैं.
बता दें कि, सैनिकों को स्थानीय प्रशासन की मदद के लिए ऑपरेशन के लिए बुलाए जाने की स्थिति में प्रशिक्षण दिया जा रहा है. वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ उत्तराखंड सेक्टर में लगभग 14 हजार फीट की ऊंचाई वाले स्थानों पर तैनात सैनिक कई भूमिकाएं निभा रहे हैं.
कैंप में तैनात एक सैनिक का कहना है कि भारतीय सेना द्वारा सौंपे गए किसी भी काम या टास्क को करना उनकी जिम्मेदारी है. चाहे वह प्राकृतिक आपदा हो या कोई विशेष मिशन. हमारी एक टुकड़ी जोशीमठ आपदा के लिए प्रशिक्षण ले रही है. टुकड़ी को ऑपरेशन में योगदान देने के लिए तैयार किया जाएगा.
कैंप में प्रशिक्षण ले रहे सेना का जवानों का कहना है कि जहां एक ओर सैनिक सीमा पर पर्वतीय युद्ध की तैयारी कर रहे हैं, वहीं जोशीमठ में भू-धंसाव के मामलों में आई दरारों के कारण आपदा राहत कार्यों में स्थानीय प्रशासन को सहयोग देने के लिए भी वे पूरी तरह तैयार हैं.
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आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने सोमवार को बताया कि उत्तराखंड सरकार ने भूमि धंसाव से प्रभावित 190 परिवारों को विस्थापन के लिए अग्रिम के रूप में 2.85 करोड़ रुपए की राशि वितरित की है. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा विस्थापन के लिए अग्रिम के रूप में 190 प्रभावित परिवारों को 2.85 करोड़ रुपए की राशि वितरित की गई है.
सचिव आपदा प्रबंधन ने बताया कि भवनों को हुए नुकसान का आकलन करने के लिए भारत सरकार के स्तर पर सीबीआरआई द्वारा संबंधित भवनों पर क्रैक मीटर लगाए गए हैं. अब तक 400 घरों के नुकसान का आकलन किया गया है. वाडिया संस्थान द्वारा 3 भूकंपीय स्टेशन स्थापित किए गए हैं, जिनसे डेटा भी प्राप्त किया जा रहा है. एनजीआईआर द्वारा एक हाइड्रोलॉजिकल सर्वेक्षण किया जा रहा है. सीबीआरआई, आईआईटी रुड़की, वाडिया संस्थान, जीएसआई और IIRS जोशीमठ में काम कर रहे हैं.
(इनपुट ANI)