नई दिल्ली : चीन और पाकिस्तान की ओर से होने वाले साइबर अटैक का मुकाबला करने के लिए भारतीय सेना एक नई यूनिट बना रही है. सेना साइबर खतरों की ओर से पूरी तरह सचेत है. इसको लेकर अलग प्रशिक्षण निगरानी व्यवस्था तैयार की जा रही है. नई यूनिट साइबर वार फेयर की चुनौतियों को ध्यान में रख कर विशेषज्ञ तैयार किये जा रहे हैं. इसे लेकर अप्रैल के तीसरे महीने में एक उच्च स्तरीय सम्मेलन भी हुआ. इस सम्मेलन में भारतीय सेना के प्रमुख जनरल मनोज पांडे भी शामिल हुए.
पढ़ें : Cyber Attack: चीनी हैकरों ने दक्षिण कोरिया के 12 शैक्षणिक संस्थानों पर किया साइबर हमला
जनरल पांडे ने ही इस सम्मेलन की अध्यक्षता की थी. सेना कमांडरों के इसी सम्मेलन में साइबर सुरक्षा को लेकर यह निर्णय लिया गया. बैठक में निर्णय लिया गया कि इस नई यूनिट का नाम कमांड साइबर ऑपरेशंस एंड सपोर्ट विंग्स (CCOSW) होगा. बैठक में सभी कमांडरों ने माना कि वर्तमान समय में संचार नेटवर्क की सुरक्षा और विशिष्ट डोमेन में तैयारियों के स्तर को बढ़ाने की जरूरत है. ताकि ग्रे जोन युद्ध के साथ-साथ पारंपरिक युद्ध में भी सेना की साइबर कुशलता का इस्तेमाल किया जा सके.
पढ़ें : जनगणना के आंकड़ों की सुरक्षा के लिये बहुस्तरीय पद्धति अपनाई गई है : सरकार
सम्मेलन में इस बात पर भी सहमति बनी कि साइबरस्पेस सैन्य डोमेन के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में उभरा है. ऐसे में एक विशेष यूनिट की जरूरत है. सम्मेलन में सभी कमांडर इस बात पर सहमत थे कि आधुनिक संचार प्रणालियों साइबर निर्भरता को बढ़ा रही हैं. इसलिए कमांड साइबर ऑपरेशंस एंड सपोर्ट विंग्स (CCOSW) की जरूरत है. ताकि भारतीय सेना की साइबर सुरक्षा स्थिति को मजबूत किया जा सके और सेना को अनिवार्य साइबर सुरक्षा मुहैया कराने के लिए संरचनाओं का निर्माण किया जा सके.