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देश में मार्च से कोरोना के SARS-CoV-2 मामलों में तेजी से वृद्धि देखी: एनटीएजीआई - राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह

विगत एक मार्च से SARS-CoV-2 मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण की अध्यक्षता में टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीजीआई) की एक महत्वपूर्ण बैठक में यह बात सामने आई.

covid19 vaccine india, SARS-CoV-2
कोरोना
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Published : Jul 5, 2021, 11:03 PM IST

नई दिल्ली : स्वास्थ्य मंत्रालय और नीति आयोग के सदस्यों के बीच हुई बैठक में कोरोना के मामलों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी को लेकर चिंता जताई गई है. एनटीजीआई ने कोरोना के SARS-CoV-2 संक्रमण के कारण अप्रैल और मई की अवधि के दौरान मौत के ट्रेंड में भी संक्रमण जैसा ही पैटर्न पाया.

एनटीजीआई के मुताबिक यह भी देखा गया है कि 15 मार्च के बाद से प्रति दिन प्रति एक लाख की जनसंख्या पर SARS-CoV-2 का एक केस रिपोर्ट किया गया. सात मई को प्रति एक लाख लोगों की आबादी पर SARS-CoV-2 केस बढ़कर 28.5 हो गए.

नीति आयोग के सदस्यों के साथ हुई बैठक के बाद कोरोना टीके के परिदृश्य पर बात करते हुए, एनटीजीआई के अध्यक्ष डॉ एनके अरोड़ा ने कहा कि बहुत से देश कोरोना महामारी से बचाव के लिए AZD1222 या कोविशील्ड वैक्सीन का उपयोग नहीं कर रहे हैं.

पढ़ें: मध्य प्रदेश में कोरोना की तीसरी लहर का डर! सर्दी-जुकाम से तीन बच्चों की मौत, 14 बीमार

कोविशील्ड टीका (Covishield Vaccine) लगवाने के अंतराल में वृद्धि के फैसले के संदर्भ में नीति आयोग की बैठक में यह भी सिफारिश की गई कि कोविड-19 टीकों के प्रभाव को निर्धारित करने और सफल संक्रमणों को ट्रैक करने के लिए एक राष्ट्रीय वैक्सीन ट्रैकिंग प्लेटफॉर्म स्थापित किया जाए. मीटिंग में चर्चा हुई कि आईसीएमआर वर्तमान में आरटी पीसीआर डेटा, रोग डेटा और जीनोमिक निगरानी डेटा सहित विभिन्न प्रशासनिक डेटा के लिए सामंजस्य का कार्य कर रहा है.

गौरतलब है कि कोविड-19 टीकाकरण से पहले रैपिड एंटीजन परीक्षण कराने की बात को विशेषज्ञ समूह ने खारिज कर दिया था. इसके पीछे वजह थी कि इससे टीकाकरण केंद्रों पर भारी शारीरिक बोझ और सभी कोविड-19 उपयुक्त व्यवहार का संचय और टूटना होगा. इसके अलावा रैपिड एटिजेन टेस्ट में संवेदनशीलता बहुत कम होती है.

नई दिल्ली : स्वास्थ्य मंत्रालय और नीति आयोग के सदस्यों के बीच हुई बैठक में कोरोना के मामलों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी को लेकर चिंता जताई गई है. एनटीजीआई ने कोरोना के SARS-CoV-2 संक्रमण के कारण अप्रैल और मई की अवधि के दौरान मौत के ट्रेंड में भी संक्रमण जैसा ही पैटर्न पाया.

एनटीजीआई के मुताबिक यह भी देखा गया है कि 15 मार्च के बाद से प्रति दिन प्रति एक लाख की जनसंख्या पर SARS-CoV-2 का एक केस रिपोर्ट किया गया. सात मई को प्रति एक लाख लोगों की आबादी पर SARS-CoV-2 केस बढ़कर 28.5 हो गए.

नीति आयोग के सदस्यों के साथ हुई बैठक के बाद कोरोना टीके के परिदृश्य पर बात करते हुए, एनटीजीआई के अध्यक्ष डॉ एनके अरोड़ा ने कहा कि बहुत से देश कोरोना महामारी से बचाव के लिए AZD1222 या कोविशील्ड वैक्सीन का उपयोग नहीं कर रहे हैं.

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कोविशील्ड टीका (Covishield Vaccine) लगवाने के अंतराल में वृद्धि के फैसले के संदर्भ में नीति आयोग की बैठक में यह भी सिफारिश की गई कि कोविड-19 टीकों के प्रभाव को निर्धारित करने और सफल संक्रमणों को ट्रैक करने के लिए एक राष्ट्रीय वैक्सीन ट्रैकिंग प्लेटफॉर्म स्थापित किया जाए. मीटिंग में चर्चा हुई कि आईसीएमआर वर्तमान में आरटी पीसीआर डेटा, रोग डेटा और जीनोमिक निगरानी डेटा सहित विभिन्न प्रशासनिक डेटा के लिए सामंजस्य का कार्य कर रहा है.

गौरतलब है कि कोविड-19 टीकाकरण से पहले रैपिड एंटीजन परीक्षण कराने की बात को विशेषज्ञ समूह ने खारिज कर दिया था. इसके पीछे वजह थी कि इससे टीकाकरण केंद्रों पर भारी शारीरिक बोझ और सभी कोविड-19 उपयुक्त व्यवहार का संचय और टूटना होगा. इसके अलावा रैपिड एटिजेन टेस्ट में संवेदनशीलता बहुत कम होती है.

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