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भारत वार्ता के जरिए चीन के साथ सीमा विवाद के हल का इच्छुक : रक्षा मंत्री

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि चीन के साथ सीमा को लेकर 'विचारों में भिन्नता' है. इसके बावजूद कुछ व्यवस्थाएं, प्रोटोकॉल हैं, जिसके तहत दोनों देशों की सेनाएं गश्त करती हैं.' पूर्वी लद्दाख में पिछले वर्ष हुई झड़प का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि चीन की सेना ने 'सहमति वाले प्रोटोकॉल' की अनदेखी की थी.

रक्षा मंत्री
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Published : Aug 30, 2021, 7:06 PM IST

चंडीगढ़ : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि भारत वार्ता के माध्यम से चीन के साथ सीमा विवाद का समाधान चाहता है. साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार सीमा के उल्लंघन की अनुमति नहीं देगी. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने सुरक्षा बलों को स्पष्ट कर दिया है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास किसी भी एकतरफा कार्रवाई की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए.

सिंह पंजाब विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर तीसरे बलरामजी दास टंडन स्मृति व्याख्यान में ऑनलाइन अपने विचार रख रहे थे.

रक्षा मंत्री ने कहा कि चीन के साथ सीमा को लेकर 'विचारों में भिन्नता' है. उन्होंने कहा, 'इसके बावजूद कुछ व्यवस्थाएं, प्रोटोकॉल हैं जिसके तहत दोनों देशों की सेनाएं गश्त करती हैं.' पूर्वी लद्दाख में पिछले वर्ष हुई झड़प का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि चीन की सेना ने 'सहमति वाले प्रोटोकॉल' की अनदेखी की थी.

उन्होंने कहा, 'हम किसी भी परिस्थिति में चीन की सेना पीएलए को एलएसी के पास एकतरफा कार्रवाई की अनुमति नहीं दे सकते . इसलिए भारतीय सेना ने उस दिन गलवान में पीएलए के सैनिकों का बहादुरी से मुकाबला किया और उन्हें पीछे हटने पर मजबूर कर दिया.' उन्होंने इसे 'ऐतिहासिक' घटना बताया.

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत चीन के साथ सीमा विवाद का वार्ता के माध्यम से समाधान चाहता है. उन्होंने कहा कि सरकार कभी भी 'देश की सीमाओं, इसके सम्मान और आत्मसम्मन' के मुद्दे पर समझौता नहीं करेगी. उन्होंने कहा, 'हम सीमाओं का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं देंगे.'

गलवान की घटना को याद करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने जिस साहस, पराक्रम और धैर्य का परिचय दिया, वह अतुलनीय है.

करीब पांच दशकों में सीमावर्ती इलाके में पहले घातक संघर्ष में पिछले वर्ष 15 जून को गलवान घाटी में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए, जिसके बाद पूर्वी लद्दाख में दोनों पक्षों की तरफ से काफी संख्या में सैनिकों, हथियारों की तैनाती की गई.

चीन ने फरवरी में आधिकारिक रूप से स्वीकार किया कि भारतीय सेना के साथ संघर्ष में पांच चीनी सैन्य अधिकारी एवं जवान मारे गए, जबकि समझा जाता है कि मरने वाले चीनी सैनिकों की संख्या काफी अधिक थी.

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत ने 1962 के युद्ध से काफी कुछ सीखा है. उन्होंने कहा कि ढांचों में सुधार जारी है और रोहतांग में काफी लंबे समय से रूकी अटल सुरंग परियोजना को मोदी सरकार ने पूरा कर दिया है. उन्होंने कहा, 'इस सुरंग के सामरिक महत्व हैं.'

पढ़ें - पत्नी द्वारा वैवाहिक वेबसाइट पर प्रोफाइल बनाने के बाद HC ने मंजूर की पति की तलाक याचिका

मंत्री ने कहा कि सीमा सड़क संगठन लद्दाख में हर मौसम के लिए संपर्क मार्ग बना रहा है और कई वैकल्पिक मार्गों पर काम शुरू हुआ है.

उन्होंने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में रह रहे लोगों की सहायता की जा रही है क्योंकि ये लोग 'हमारे लिए सामरिक महत्व के हैं. उनके हितों को ध्यान में रखते हुए सीमाई अवसरंचना को मजबूत बनाना जरूरी है.'

पूर्वोत्तर की स्थिति का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री सिंह ने कहा कि पिछले सात साल में क्षेत्र में शांति आई है. उन्होंने कहा 'एक समय था जब पूरा क्षेत्र उग्रवाद की गिरफ्त में था. ' उन्होंने पूर्वोत्तर में शांति बहाली को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल की एक 'बड़ी रणनीतिक जीत' बताया.

सिंह ने कहा कि पिछले सात साल में सरकार को वामपंथी चरमपंथ को नियंत्रित करने में सफलता मिली है. उन्होंने कहा कि 2014 में जब भाजपा सरकार बनी थी तब कम से कम 160 जिले नक्सली समस्या का सामना कर रहे थे जबकि 2019 में यह संख्या घट कर 50 रह गई.

(पीटीआई-भाषा)

चंडीगढ़ : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि भारत वार्ता के माध्यम से चीन के साथ सीमा विवाद का समाधान चाहता है. साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार सीमा के उल्लंघन की अनुमति नहीं देगी. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने सुरक्षा बलों को स्पष्ट कर दिया है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास किसी भी एकतरफा कार्रवाई की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए.

सिंह पंजाब विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर तीसरे बलरामजी दास टंडन स्मृति व्याख्यान में ऑनलाइन अपने विचार रख रहे थे.

रक्षा मंत्री ने कहा कि चीन के साथ सीमा को लेकर 'विचारों में भिन्नता' है. उन्होंने कहा, 'इसके बावजूद कुछ व्यवस्थाएं, प्रोटोकॉल हैं जिसके तहत दोनों देशों की सेनाएं गश्त करती हैं.' पूर्वी लद्दाख में पिछले वर्ष हुई झड़प का जिक्र करते हुए सिंह ने कहा कि चीन की सेना ने 'सहमति वाले प्रोटोकॉल' की अनदेखी की थी.

उन्होंने कहा, 'हम किसी भी परिस्थिति में चीन की सेना पीएलए को एलएसी के पास एकतरफा कार्रवाई की अनुमति नहीं दे सकते . इसलिए भारतीय सेना ने उस दिन गलवान में पीएलए के सैनिकों का बहादुरी से मुकाबला किया और उन्हें पीछे हटने पर मजबूर कर दिया.' उन्होंने इसे 'ऐतिहासिक' घटना बताया.

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत चीन के साथ सीमा विवाद का वार्ता के माध्यम से समाधान चाहता है. उन्होंने कहा कि सरकार कभी भी 'देश की सीमाओं, इसके सम्मान और आत्मसम्मन' के मुद्दे पर समझौता नहीं करेगी. उन्होंने कहा, 'हम सीमाओं का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं देंगे.'

गलवान की घटना को याद करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने जिस साहस, पराक्रम और धैर्य का परिचय दिया, वह अतुलनीय है.

करीब पांच दशकों में सीमावर्ती इलाके में पहले घातक संघर्ष में पिछले वर्ष 15 जून को गलवान घाटी में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए, जिसके बाद पूर्वी लद्दाख में दोनों पक्षों की तरफ से काफी संख्या में सैनिकों, हथियारों की तैनाती की गई.

चीन ने फरवरी में आधिकारिक रूप से स्वीकार किया कि भारतीय सेना के साथ संघर्ष में पांच चीनी सैन्य अधिकारी एवं जवान मारे गए, जबकि समझा जाता है कि मरने वाले चीनी सैनिकों की संख्या काफी अधिक थी.

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत ने 1962 के युद्ध से काफी कुछ सीखा है. उन्होंने कहा कि ढांचों में सुधार जारी है और रोहतांग में काफी लंबे समय से रूकी अटल सुरंग परियोजना को मोदी सरकार ने पूरा कर दिया है. उन्होंने कहा, 'इस सुरंग के सामरिक महत्व हैं.'

पढ़ें - पत्नी द्वारा वैवाहिक वेबसाइट पर प्रोफाइल बनाने के बाद HC ने मंजूर की पति की तलाक याचिका

मंत्री ने कहा कि सीमा सड़क संगठन लद्दाख में हर मौसम के लिए संपर्क मार्ग बना रहा है और कई वैकल्पिक मार्गों पर काम शुरू हुआ है.

उन्होंने कहा कि सीमावर्ती इलाकों में रह रहे लोगों की सहायता की जा रही है क्योंकि ये लोग 'हमारे लिए सामरिक महत्व के हैं. उनके हितों को ध्यान में रखते हुए सीमाई अवसरंचना को मजबूत बनाना जरूरी है.'

पूर्वोत्तर की स्थिति का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री सिंह ने कहा कि पिछले सात साल में क्षेत्र में शांति आई है. उन्होंने कहा 'एक समय था जब पूरा क्षेत्र उग्रवाद की गिरफ्त में था. ' उन्होंने पूर्वोत्तर में शांति बहाली को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल की एक 'बड़ी रणनीतिक जीत' बताया.

सिंह ने कहा कि पिछले सात साल में सरकार को वामपंथी चरमपंथ को नियंत्रित करने में सफलता मिली है. उन्होंने कहा कि 2014 में जब भाजपा सरकार बनी थी तब कम से कम 160 जिले नक्सली समस्या का सामना कर रहे थे जबकि 2019 में यह संख्या घट कर 50 रह गई.

(पीटीआई-भाषा)

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