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सीओपी-26 शिखर सम्मेलन में ब्रिटेन नीत वन उन्मूलन घोषणापत्र से भारत ने बनाई दूरी - ब्रिटेन नीत वनोन्मूलन घोषणापत्र से भारत ने बनाई दूरी

सीओपी-26 जलवायु शिखर सम्मेलन में 2030 तक वनोन्मूलन खत्म करने के घोषणापत्र पर चीन और ब्राजील सहित 100 से अधिक देशों ने हस्ताक्षर किए. लेकिन भारत ने इसपर हस्ताक्षर नहीं करने का विकल्प चुना. पढ़ें पूरी खबर...

पीएम मोदी
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Published : Nov 2, 2021, 7:40 PM IST

ग्लास्गो : भारत उन देशों में शामिल है, जिन्होंने मंगलवार को सीओपी-26 जलवायु शिखर सम्मेलन (COP26 climate summit) में 2030 तक वनोन्मूलन (Deforestation) खत्म करने पर नेताओं के घोषणापत्र पर हस्ताक्षर नहीं करने का विकल्प चुना. हालांकि, इस पर चीन और ब्राजील सहित 100 से अधिक देशों ने हस्ताक्षर किए.

वन एवं भूमि उपयोग पर ग्लासगो में नेताओं के घोषणापत्र पर हस्ताक्षरकर्ताओं ने वनों को नुकसान पहुंचने और भू क्षरण को रोकने का वादा किया.

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक भारत को व्यापार से जुड़े अंतिम प्रावधान पर कुछ चिंताएं हैं.

ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने मंगलवार को आपैचारिक रूप से यह घोषणापत्र जारी किया. उन्होंने इसे धरती के वनों का संरक्षण करने के लिए ऐतिहासिक समझौता बताया.

जॉनसन ने कहा, प्रकृति की पारिस्थितिकी, वन, धरती के फेफड़े हैं. वन समुदायों, आजीविका और खाद्य आपूर्ति में सहयोग करते हैं तथा हम जो कार्बन वायुमंडल में छोड़ते हैं, उन्हें सोंखते हैं. वे हमारे अस्तित्व के लिए जरूरी हैं.

पढ़ें : पीएम मोदी ने 2070 तक कुल शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य रखा

घोषणापत्र में कहा गया है, हम अंतरराष्ट्रीय व घरेलू स्तर पर व्यापार एवं विकास नीतियों को बढ़ावा देने के लिए अपनी साझा कोशिशों को मजबूत करेंगे, जो सतत विकास, सतत उत्पादन एवं उपभोग को बढ़ावा देंगे. इससे देशों को परस्पर लाभ होगा और वनोन्मूलन व भू क्षरण नहीं होगा.

वनों के संरक्षण के लिए घोषणापत्र में ब्रिटेन सहित 12 देशों ने 2021-2025 के दौरान 8.75 अरब पाउंड सार्वजनिक वित्त मुहैया कराने का संकल्प लिया है.

(पीटीआई-भाषा)

ग्लास्गो : भारत उन देशों में शामिल है, जिन्होंने मंगलवार को सीओपी-26 जलवायु शिखर सम्मेलन (COP26 climate summit) में 2030 तक वनोन्मूलन (Deforestation) खत्म करने पर नेताओं के घोषणापत्र पर हस्ताक्षर नहीं करने का विकल्प चुना. हालांकि, इस पर चीन और ब्राजील सहित 100 से अधिक देशों ने हस्ताक्षर किए.

वन एवं भूमि उपयोग पर ग्लासगो में नेताओं के घोषणापत्र पर हस्ताक्षरकर्ताओं ने वनों को नुकसान पहुंचने और भू क्षरण को रोकने का वादा किया.

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक भारत को व्यापार से जुड़े अंतिम प्रावधान पर कुछ चिंताएं हैं.

ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने मंगलवार को आपैचारिक रूप से यह घोषणापत्र जारी किया. उन्होंने इसे धरती के वनों का संरक्षण करने के लिए ऐतिहासिक समझौता बताया.

जॉनसन ने कहा, प्रकृति की पारिस्थितिकी, वन, धरती के फेफड़े हैं. वन समुदायों, आजीविका और खाद्य आपूर्ति में सहयोग करते हैं तथा हम जो कार्बन वायुमंडल में छोड़ते हैं, उन्हें सोंखते हैं. वे हमारे अस्तित्व के लिए जरूरी हैं.

पढ़ें : पीएम मोदी ने 2070 तक कुल शून्य उत्सर्जन का लक्ष्य रखा

घोषणापत्र में कहा गया है, हम अंतरराष्ट्रीय व घरेलू स्तर पर व्यापार एवं विकास नीतियों को बढ़ावा देने के लिए अपनी साझा कोशिशों को मजबूत करेंगे, जो सतत विकास, सतत उत्पादन एवं उपभोग को बढ़ावा देंगे. इससे देशों को परस्पर लाभ होगा और वनोन्मूलन व भू क्षरण नहीं होगा.

वनों के संरक्षण के लिए घोषणापत्र में ब्रिटेन सहित 12 देशों ने 2021-2025 के दौरान 8.75 अरब पाउंड सार्वजनिक वित्त मुहैया कराने का संकल्प लिया है.

(पीटीआई-भाषा)

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