नई दिल्ली : भारत ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 47वें सत्र में कहा कि पाकिस्तान अपनी राज्य नीति के तहत खतरनक और सूचीबद्ध आतंकवादियों को पेंशन देते है और उन्हें अपने क्षेत्र में रहने देता है. अब समय आ गया है कि पाकिस्तान को आतंकवाद को बढ़ावा देने और सहायता करने के लिए जवाबदेह ठहराया जाए.
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 47वें सत्र को संबोधित करते हुए, जिनेवा में भारतीय स्थायी मिशन के प्रथम सचिव पवनकुमार बाधे ने कहा, आतंकवाद का स्रोत (source of terrorism) मानवाधिकारों का सबसे बड़ा उल्लंघन है और इससे निपटा जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, पाकिस्तान एक राज्य नीति के रूप में, खतरनाक और सूचीबद्ध आतंकवादियों को पेंशन देता है और उन्हें अपने क्षेत्र में रहने की इजाजत देता है. यह उचित समय है कि पाकिस्तान को आतंकवाद को सहायता और बढ़ावा देने के लिए जवाबदेह ठहराया जाए.
जिनेवा में आयोजित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 47वें सत्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि खलील हाशमी ने उच्चायुक्त की वार्षिक रिपोर्ट पर संवादात्मक बातचीत में कश्मीर मुद्दे को उठाने की कोशिश की जिसके बाद पवनकुमार बधे ने यह टिप्पणी की.
पाकिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति का मुद्दे उठाए जाने पर बधे ने पाकिस्तान पर परिषद का ध्यान भटकाने का आरोप लगाया.
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की दुर्दशा उनके कम होने से ही स्पष्ट होती जाती है. पाकिस्तान में जबरन धर्म परिवर्तन एक दैनिक घटना बन गई है. उन्होंने कहा कि धार्मिक अल्पसंख्यकों की कम से कम 1000 से अधिक लड़कियों का हर साल पाकिस्तान में जबरन धर्म परिवर्त होता है.
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उन्होंने कहा कि पाकिस्तान हत्याओं और राजनीतिक कार्यकर्ताओं, छात्रों, पत्रकारों, मानवाधिकार रक्षकों और अल्पसंख्यकों को जबरदस्ती हिरासत में रखने वाला देश बन गया है.
उन्होंने कहा, पाकिस्तान पत्रकारिता के लिए एक खतरनाक देशों में से एक के रूप में सूचीबद्ध होने लगा है, जहां पत्रकारों को धमकी दी जाती है, उनका अपहरण कर लिया जाता है और कुछ मामलों में तो उनकी हत्या भी कर दी जाती है. वहीं पीड़ितों के परिवार न्याय के लिए संघर्ष करते रह जाते हैं. इन कृत्यों के अपराधियों को पूरी छूट मिली है.
भारत ने विभिन्न वैश्विक मंचों पर कश्मीर मुद्दे को उठाने के लिए पाकिस्तान को बार-बार फटकार लगाई है और इस्लामाबाद को भारत के आंतरिक मामलों से दूर रहने के लिए कहा है. भारत ने यह सुनिश्चित किया है कि यह क्षेत्र भारत का अभिन्न अंग है और किसी तीसरे पक्ष द्वारा कश्मीर मुद्दे पर किसी भी हस्तक्षेप और मध्यस्थता से इंकार किया है.