आगराः देश में हर साल दो लाख लोगों को किडनी, 50 हजार को हार्ट और 50 हजार को लिवर की जरूरत है. मगर भारत में अंगदान के आंकड़े बेहद कम हैं. जबकि मौत के एक व्यक्ति के अंगदान से आठ लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है. इसलिए, देश में अंगदान महोत्सव चल रहा है. पीएम मोदी ने भी मन की बात कार्यक्रम के 99वें एपिसोड में जनता से अंगदान की अपील कर चुके हैं. इसी कड़ी में पीएम मोदी के 73वें जन्मदिन की पूर्व संध्या पर केंद्रीय राज्यमंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल के नेतृत्व में आगरा में एक ही जगह 7300 लोग अंगदान संकल्प की शपथ लेंगे, जो अपने आप में बड़ा रिकॉर्ड साबित होगा. 16 सितम्बर को होने वाले अंगदान संकल्प सपथ समारोह से पहले ईटीवी भारत ने राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संस्थान (NOTTO) के डॉयरेक्टर डॉ. अनिल कुमार से एक्सक्लूसिव बातचीत.
भारत में बेहद कम अंगदान, स्पेन टाॅप पर
नोटो के डाॅयरेक्टर डॉ. अनिल कुमार बताया कि देश में मौत के बाद अंगदान बेहद कम है. देश में दस लाख में से एक से भी कम लोग अंगदान करते हैं. भारत में एक मिलियन पाॅपुलेशन में .70 प्रतिशत लोग ही अंगदान कर रहे हैं. जबकि, विकसित देशों में अंगदान का स्थित अच्छी है. स्पेन में सबसे ज्यादा अंगदान हो रहा है. स्पेन में दस लाख में से 48 लोग अंगदान कर रहे हैं.
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आगरा में 7300 लोग लेंगे अंगदान की शपथ
डॉ. अनिल कुमार बताया कि देश में जागरुकता को लेकर तमाम इवेंट किए जा रहे हैं. आगरा में 16 सितंबर को बडा इवेंट हैं. जो आगरा के जीआईसी ग्राउंड पर हो रहा है. जिसमें हम अंगदान की जागरुकता बढाने और अंगदान के लिए अंगदान संकल्प शपथ का समारोह किया जाएगा. पीएम मोदी के 73 वें जन्मदिन की पूर्व संध्या पर आगरा में 7300 लोग अंगदान संकल्प की शपथ लेंगे. यह कार्यक्रम आगरा के सांसद व केंद्रीय राज्यमंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल करा रहे हैं. यह संख्या भी बढ सकती है. देश की संस्कृति में लोगों की मदद करना है. मानवता की एकजुटता के लिए अंगदान के लिए हम सब को आना चाहिए.
एक व्यक्ति के अंगदान से आठ को मिलती हैं जिंदगी
डॉ. अनिल कुमार बताया कि अंगदान जान बचाने के लिए किए जाता है. 6 तरह के अंगदान किए जाते हैं. जिसमें लीवर, किडनी, फैफडे, पैनिक्रियाज, हार्ट, स्माॅल इंस्टटाइन है. किडनी दो और दो फैफडे दो होते हैं. ये जान बचाने वाले अंग हैं. इनके बगैर जिंदगी नहीं है. इस तरह से एक व्यक्ति की मौत के बाद इन आठ अंग से आठ लोगों की जान बचाई जा सकती है. इसके साथ ही टिश्यू भी दान किए जाते हैं. जो किसी भी व्यक्ति की जीवन की गुणवक्ता सुधारने के लिए होते हैं. देहदान में पूरा शरीर मेडिकल काॅलेज या चिकित्सा संस्थान में पढाई और रिसर्च करने के लिए दिया जाता है.
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