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भारत-चीन सैन्य वार्ता : भारत ने पूर्वी लद्दाख में टकराव वाली बाकी जगहों से सैनिकों की जल्द वापसी के लिए डाला दबाव

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Published : Aug 14, 2023, 10:57 PM IST

भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तर की 19वें दौर की वार्ता हुई. भारत ने पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले शेष स्थानों से सैनिकों को जल्द से जल्द हटाने पर जोर दिया.

military talks with China
भारत चीन सैन्य वार्ता

नई दिल्ली : भारत ने सोमवार को चीन के साथ उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता के नये दौर के दौरान पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले शेष स्थानों से सैनिकों को जल्द से जल्द हटाने पर जोर दिया ( military talks with China).

भारत ने कोर कमांडर स्तर की 19वें दौर की वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने विशेष रूप से देपसांग मैदान और डेमचोक में मुद्दों के समाधान का आह्वान किया. यह बातचीत क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के भारतीय हिस्से पर चुशुल-मोल्डो सीमा बिंदु पर हुई. सैन्य वार्ता सुबह करीब साढ़े नौ बजे शुरू हुई और करीब 10 घंटे तक चली. वार्ता पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया.

पता चला है कि कोर कमांडर स्तर की बैठक से एक दिन पहले रविवार को दोनों पक्षों के स्थानीय सैन्य कमांडरों ने बातचीत की. भारतीय और चीनी सैनिक पूर्वी लद्दाख में कुछ घर्षण बिंदुओं पर तीन साल से अधिक समय से टकराव की स्थिति में हैं, जबकि दोनों पक्षों ने व्यापक राजनयिक और सैन्य वार्ता के बाद कई क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी पूरी कर ली है.

भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह-मुख्यालय 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रशिम बाली ने किया, जबकि चीनी टीम का नेतृत्व दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिले के कमांडर ने किया. 23 अप्रैल को हुई सैन्य वार्ता के 18वें दौर में, भारतीय पक्ष ने देपसांग और डेमचोक में लंबित मुद्दों को हल करने के लिए जोरदार दबाव डाला.

दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से एक सप्ताह पहले 19वें दौर की सैन्य वार्ता हुई, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भाग लेंगे. 24 जुलाई को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने जोहान्सबर्ग में पांच देशों के समूह ब्रिक्स की बैठक के मौके पर शीर्ष चीनी राजनयिक वांग यी से मुलाकात की थी.

बैठक पर अपने बयान में, विदेश मंत्रालय ने कहा कि डोभाल ने बताया कि 2020 से भारत-चीन सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी पर स्थिति ने 'रणनीतिक विश्वास' और रिश्ते के सार्वजनिक और राजनीतिक आधार को खत्म कर दिया है. इसमें कहा गया कि एनएसए ने स्थिति को पूरी तरह से हल करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाल करने के लिए निरंतर प्रयासों के महत्व पर जोर दिया ताकि द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य स्थिति में आने वाली बाधाओं को दूर किया जा सके.

भारत कहता रहा है कि जब तक सीमावर्ती इलाकों में शांति नहीं होगी तब तक चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते. पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद 5 मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध पैदा हो गया. जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी गिरावट आई, जो दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था. सैन्य और राजनयिक वार्ता की एक श्रृंखला के परिणामस्वरूप, दोनों पक्षों ने 2021 में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तट और गोगरा क्षेत्र में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की.

ये भी पढ़ें- भारत और चीनी सेनाओं के बीच कोर कमांडर स्तर की 19वें दौर की वार्ता आज

(PTI)

नई दिल्ली : भारत ने सोमवार को चीन के साथ उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता के नये दौर के दौरान पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले शेष स्थानों से सैनिकों को जल्द से जल्द हटाने पर जोर दिया ( military talks with China).

भारत ने कोर कमांडर स्तर की 19वें दौर की वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने विशेष रूप से देपसांग मैदान और डेमचोक में मुद्दों के समाधान का आह्वान किया. यह बातचीत क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के भारतीय हिस्से पर चुशुल-मोल्डो सीमा बिंदु पर हुई. सैन्य वार्ता सुबह करीब साढ़े नौ बजे शुरू हुई और करीब 10 घंटे तक चली. वार्ता पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया.

पता चला है कि कोर कमांडर स्तर की बैठक से एक दिन पहले रविवार को दोनों पक्षों के स्थानीय सैन्य कमांडरों ने बातचीत की. भारतीय और चीनी सैनिक पूर्वी लद्दाख में कुछ घर्षण बिंदुओं पर तीन साल से अधिक समय से टकराव की स्थिति में हैं, जबकि दोनों पक्षों ने व्यापक राजनयिक और सैन्य वार्ता के बाद कई क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी पूरी कर ली है.

भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेह-मुख्यालय 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रशिम बाली ने किया, जबकि चीनी टीम का नेतृत्व दक्षिण शिनजियांग सैन्य जिले के कमांडर ने किया. 23 अप्रैल को हुई सैन्य वार्ता के 18वें दौर में, भारतीय पक्ष ने देपसांग और डेमचोक में लंबित मुद्दों को हल करने के लिए जोरदार दबाव डाला.

दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से एक सप्ताह पहले 19वें दौर की सैन्य वार्ता हुई, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भाग लेंगे. 24 जुलाई को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने जोहान्सबर्ग में पांच देशों के समूह ब्रिक्स की बैठक के मौके पर शीर्ष चीनी राजनयिक वांग यी से मुलाकात की थी.

बैठक पर अपने बयान में, विदेश मंत्रालय ने कहा कि डोभाल ने बताया कि 2020 से भारत-चीन सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी पर स्थिति ने 'रणनीतिक विश्वास' और रिश्ते के सार्वजनिक और राजनीतिक आधार को खत्म कर दिया है. इसमें कहा गया कि एनएसए ने स्थिति को पूरी तरह से हल करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाल करने के लिए निरंतर प्रयासों के महत्व पर जोर दिया ताकि द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य स्थिति में आने वाली बाधाओं को दूर किया जा सके.

भारत कहता रहा है कि जब तक सीमावर्ती इलाकों में शांति नहीं होगी तब तक चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते. पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद 5 मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध पैदा हो गया. जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी गिरावट आई, जो दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था. सैन्य और राजनयिक वार्ता की एक श्रृंखला के परिणामस्वरूप, दोनों पक्षों ने 2021 में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तट और गोगरा क्षेत्र में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की.

ये भी पढ़ें- भारत और चीनी सेनाओं के बीच कोर कमांडर स्तर की 19वें दौर की वार्ता आज

(PTI)

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