नई दिल्ली: भारत-पाकिस्तान के बीच सिंधु जल मसले पर वार्ता के लिए पाकिस्तान का पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल नई दिल्ली पहुंचा. दोनों देशों के बीच 118वें दौर की वार्ता 30-31 मई को नई दिल्ली में हो रही है. प्रतिनिधिमंडल वाघा बॉर्डर के जरिए भारत पहुंचा. वार्ता के दौरान दोनों पक्ष अग्रिम बाढ़ सूचना और सिंधु जल के स्थायी आयोग (पीसीआईडब्ल्यू) की वार्षिक रिपोर्ट के मुद्दे पर विचार-विमर्श करेंगे.
इससे पहले पाकिस्तानी अखबर डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, वे सिंधु जल संधि के अनुच्छेद IX के तहत 1,000 मेगावाट की पाकल दुल, 48 मेगावाट निचली कलनई और 624 मेगावाट की किरू परियोजना की जलविद्युत परियोजनाओं पर भी चर्चा करेंगे. पाकिस्तान प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख और सिंधु जल आयुक्त सैयद मेहर अली शाह ने कहा, 'बाढ़ पूर्वानुमान डेटा साझा करने पर बातचीत होगी, जबकि पीसीआईडब्ल्यू (पाकिस्तान सिंधु जल आयोग) की वार्षिक रिपोर्ट पर भी बातचीत के दौरान चर्चा की जाएगी.' उन्होंने कहा, 'पीसीआईडब्ल्यू स्तर पर यह 118वीं द्विपक्षीय बैठक होगी. इससे पहले दोनों देशों ने 2-4 मार्च 2022 को इस्लामाबाद में तीन दिवसीय वार्ता की थी.'
उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल निर्माणाधीन पाकल दुल और लोअर कलनाज बांधों का दौरा नहीं करेगा, लेकिन इस मामले और अन्य परियोजनाओं पर भारत के साथ चर्चा करेगा. शाह ने कहा, 'पाकिस्तान ने हमेशा सिंधु जल संधि को लागू करने पर जोर दिया है और समयबद्ध तरीके से भारत के व्यवहार पर आवाज उठाई है.' पानी के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए दोनों देश अगले दो दिनों के लिए नई दिल्ली में पीसीआईडब्ल्यू स्तर की वार्ता करेंगे क्योंकि देश में पानी की भारी किल्लत जारी है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की ओर से स्थापित जलवायु परिवर्तन पर पाकिस्तान टास्कफोर्स के प्रमुख शेरी रहमान ने इस सप्ताह आगाह किया था कि पाकिस्तान दुनिया के तीन सबसे अधिक पानी की कमी वाले देश में से एक है और अगर कदम नहीं उठाए गए तो 2025 तक एक संकटग्रस्त देश बन सकता है. पाकिस्तान के आयुक्त सैयद मेहर अली शाह की अध्यक्षता वाले पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में पंजाब सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता, मौसम कार्यालय के महानिदेशक, राष्ट्रीय महाप्रबंधक शामिल हैं.
सिंधु जल संधि क्या है ?
भारत जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच 19 सितंबर, 1960 को कराची में पूर्व भारतीय प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान द्वारा हस्ताक्षरित एक जल-वितरण संधि है. यह संधि भारत को ब्यास, रावी और सतलुज के पानी पर नियंत्रण देती है. इसका औसत वार्षिक प्रवाह 33 मिलियन एकड़ फीट (MAF) है, जबकि तीन "पश्चिमी नदियों" सिंधु, चिनाब और झेलम के पानी पर पाकिस्तान का नियंत्रण है. इसका औसत वार्षिक प्रवाह 80 एमएएफ है.
इसके अलावा, भारत पश्चिमी नदियों - सिंधु, झेलम और चिनाब के जल को लगभग 135 एमएएफ के औसत वार्षिक प्रवाह के साथ बहने देने के लिए बाध्य है और घरेलू यूज को छोड़कर इसे बाधित नहीं कर सकता है. नई दिल्ली को डिजाइन और संचालन के लिए विशिष्ट मानदंडों के अधीन पश्चिमी नदियों पर जलविद्युत उत्पन्न करने का अप्रतिबंधित अधिकार भी दिया गया है. यह ध्यान देने योग्य है कि वार्ता के लिए पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल की दिल्ली की यह दूसरी ऐसी यात्रा है. इस महीने की शुरुआत में, पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल एससीओ रैट्स की बैठक लिए भारत आया था.
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