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एलएसी पर तनाव घटते ही पाकिस्तान ने बदला पैंतरा, बातचीत को राजी

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Published : Feb 25, 2021, 5:32 PM IST

वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव घटते ही पाकिस्तान भी अब अपना पैंतरा बदलने लगा है. वह भारत के साथ बातचीत को राजी हो गया है. दोनों देशों के बीच डीजीएमओ स्तर की बातचीत भी हुई है. हालांकि, भारत को काफी सतर्क रहना होगा, क्योंकि पाक पर कभी भी भरोसा नहीं किया जा सकता है. पढ़िए वरिष्ठ पत्रकार संजीब बरुआ का एक विश्लेषण.

ceasefire pact
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नई दिल्ली : भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा पर शांति बनाए रखने को लेकर विशेष समझौता हो सकता है. दोनों देश इस पर अमल के लिए तैयार हो गए हैं. भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच हॉटलाइन पर बातचीत हुई है. बॉर्डर पर शांति बनाए रखने को लेकर इस बातचीत का काफी महत्व है.

युद्धविराम के लिए भारत-पाकिस्तान के बीच नए सिरे से समझौता हुआ. दोनों देशों के डीजीएमओ यानी डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन लेफ्टिनेंट जनरल परमजीत सिंह संघा और मेजर जनरल नौमान जकारिया के बीच बात हुई, जिसमें युद्धविराम पर नए सिरे से सहमति बनी है.

गुरुवार को जारी किए गए एक आधिकारिक बयान में बताया गया है, कि सीमाओं पर पारस्परिक रूप से शांति कायम रखने, दोनों देशों के डीजीएमओ के मुख्य मुद्दों और चिंताओं, जो शांति भंग कर सकते हैं और हिंसा को बढ़ा सकते हैं, पर ध्यान देने के लिए सहमत हुए. दोनों पक्षों ने नियंत्रण रेखा के साथ सभी समझौतों और संघर्ष विराम की कड़ाई से पालन के लिए सहमति व्यक्त की.

यह समझौता अपेक्षित था, क्योंकि भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में शांति की ओर कदम बढ़ा रहे हैं. इसके बावजूद नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर पाकिस्तान गोलीबारी करता रहता है.

भारत-चीन सैन्य समझौता इसलिए हुआ, क्योंकि चुशुल-मोल्दो में दस दौर की वार्ताएं हुई.

ईटीवी भारत से बात करते हुए कई शीर्ष सैन्य स्रोतों ने संकेत दिया कि भारत-चीन सैन्य समझौते में कई बिंदु हो सकते हैं, जो संभवत: वर्गीकृत रहें. इसमें बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) से संबंधित कुछ समझौते शामिल हो सकते हैं.

सामरिक दृष्टिकोण से, यह इस बात से अधिक हैरान करने वाला था कि क्योंकि भारतीय सेना ने पैंगोंग त्सो के दक्षिणी तट की ऊंचाइयों को खाली करना चुना, जिस पर सैनिकों ने 29-30 अगस्त, 2020 को कब्जा कर लिया था.

पाकिस्तान के लिए यह क्यों मायने रखता है

पाकिस्तान ने पाक सैनिकों का सामना करने की भारतीय सैनिकों की क्षमता और धैर्य को देखा होगा. गला देने वाली सर्दी में भी भारतीय जवानों की बहादुरी पूरी दुनिया ने देखी. पाकिस्तानियों को इसका आंदाजा लग गया होगा.

पाकिस्तान पहले से ही वैश्विक स्तर पर कई चुनौतियों का सामना कर रहा है. वैश्विक तौर पर यह मान्य है कि पाकिस्तान आतंकवाद को प्रयोजित और संयोजित दोनों करता है. पाकिस्तान यह बात जानता है कि उसने अब तक कुछ खास अच्छे काम नहीं किए हैं.

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत-पाकिस्तान के युद्धविराम समझौतों में चीन की मुख्य भूमिका रही है.

भारत के लिए यह क्यों मायने रखता है

चीन के साथ सीमा गतिरोध के बाद एलएसी और एलओसी दोनों जगहों पर तनाव था. एक वेबिनार में सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा कि सीमा पर शांति और स्थिरता रहना, सीमा पर किसी तरह की अस्थिरता होने से बेहतर है.

उन्होंने कहा, पाकिस्तान के साथ हमारे निरंतर जुड़े रहने से हम उन पर काबू पा सकेंगे (सीमा शांति के लिए) क्योंकि सीमा पर अशांति से किसी का भला नहीं होगा.

एलओसी की ऊंचाई पर बर्फ के पिघलते ही सीमा पार इंतजार कर रहे आतंकवादी घुसपैठ के प्रयास शुरू कर सकते थे. हालांकि बहुत सारे भारतीय सुरक्षा बलों को एलओसी से एलएसी तक तैनात किया गया है लेकिन पाकिस्तान की सेना के साथ बातचीत करना ठीक समझ आया.

इससे दोनों पक्षों भारत और पाकिस्तान के लिए यह स्पष्ट हुआ कि लगातार गोलाबारी के कारण दोनों तरफ के नागरिकों को हानि होगी.

इस साल 28 जनवरी, 2021 तक 299 संघर्षविराम उल्लंघन हुए. 2017 में 971, 2018 में 1,629, 2019 में 3,168, और 2020 में 5,133 संघर्षविराम उल्लंघन हुए.

नई दिल्ली : भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा पर शांति बनाए रखने को लेकर विशेष समझौता हो सकता है. दोनों देश इस पर अमल के लिए तैयार हो गए हैं. भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ के बीच हॉटलाइन पर बातचीत हुई है. बॉर्डर पर शांति बनाए रखने को लेकर इस बातचीत का काफी महत्व है.

युद्धविराम के लिए भारत-पाकिस्तान के बीच नए सिरे से समझौता हुआ. दोनों देशों के डीजीएमओ यानी डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन लेफ्टिनेंट जनरल परमजीत सिंह संघा और मेजर जनरल नौमान जकारिया के बीच बात हुई, जिसमें युद्धविराम पर नए सिरे से सहमति बनी है.

गुरुवार को जारी किए गए एक आधिकारिक बयान में बताया गया है, कि सीमाओं पर पारस्परिक रूप से शांति कायम रखने, दोनों देशों के डीजीएमओ के मुख्य मुद्दों और चिंताओं, जो शांति भंग कर सकते हैं और हिंसा को बढ़ा सकते हैं, पर ध्यान देने के लिए सहमत हुए. दोनों पक्षों ने नियंत्रण रेखा के साथ सभी समझौतों और संघर्ष विराम की कड़ाई से पालन के लिए सहमति व्यक्त की.

यह समझौता अपेक्षित था, क्योंकि भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में शांति की ओर कदम बढ़ा रहे हैं. इसके बावजूद नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर पाकिस्तान गोलीबारी करता रहता है.

भारत-चीन सैन्य समझौता इसलिए हुआ, क्योंकि चुशुल-मोल्दो में दस दौर की वार्ताएं हुई.

ईटीवी भारत से बात करते हुए कई शीर्ष सैन्य स्रोतों ने संकेत दिया कि भारत-चीन सैन्य समझौते में कई बिंदु हो सकते हैं, जो संभवत: वर्गीकृत रहें. इसमें बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) से संबंधित कुछ समझौते शामिल हो सकते हैं.

सामरिक दृष्टिकोण से, यह इस बात से अधिक हैरान करने वाला था कि क्योंकि भारतीय सेना ने पैंगोंग त्सो के दक्षिणी तट की ऊंचाइयों को खाली करना चुना, जिस पर सैनिकों ने 29-30 अगस्त, 2020 को कब्जा कर लिया था.

पाकिस्तान के लिए यह क्यों मायने रखता है

पाकिस्तान ने पाक सैनिकों का सामना करने की भारतीय सैनिकों की क्षमता और धैर्य को देखा होगा. गला देने वाली सर्दी में भी भारतीय जवानों की बहादुरी पूरी दुनिया ने देखी. पाकिस्तानियों को इसका आंदाजा लग गया होगा.

पाकिस्तान पहले से ही वैश्विक स्तर पर कई चुनौतियों का सामना कर रहा है. वैश्विक तौर पर यह मान्य है कि पाकिस्तान आतंकवाद को प्रयोजित और संयोजित दोनों करता है. पाकिस्तान यह बात जानता है कि उसने अब तक कुछ खास अच्छे काम नहीं किए हैं.

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत-पाकिस्तान के युद्धविराम समझौतों में चीन की मुख्य भूमिका रही है.

भारत के लिए यह क्यों मायने रखता है

चीन के साथ सीमा गतिरोध के बाद एलएसी और एलओसी दोनों जगहों पर तनाव था. एक वेबिनार में सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने कहा कि सीमा पर शांति और स्थिरता रहना, सीमा पर किसी तरह की अस्थिरता होने से बेहतर है.

उन्होंने कहा, पाकिस्तान के साथ हमारे निरंतर जुड़े रहने से हम उन पर काबू पा सकेंगे (सीमा शांति के लिए) क्योंकि सीमा पर अशांति से किसी का भला नहीं होगा.

एलओसी की ऊंचाई पर बर्फ के पिघलते ही सीमा पार इंतजार कर रहे आतंकवादी घुसपैठ के प्रयास शुरू कर सकते थे. हालांकि बहुत सारे भारतीय सुरक्षा बलों को एलओसी से एलएसी तक तैनात किया गया है लेकिन पाकिस्तान की सेना के साथ बातचीत करना ठीक समझ आया.

इससे दोनों पक्षों भारत और पाकिस्तान के लिए यह स्पष्ट हुआ कि लगातार गोलाबारी के कारण दोनों तरफ के नागरिकों को हानि होगी.

इस साल 28 जनवरी, 2021 तक 299 संघर्षविराम उल्लंघन हुए. 2017 में 971, 2018 में 1,629, 2019 में 3,168, और 2020 में 5,133 संघर्षविराम उल्लंघन हुए.

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