नई दिल्ली : भारत और अन्य देश एक बड़े और शक्तिशाली देश का भार महसूस कर रहे हैं और इन्हें साथ बैठकर विचार करना चाहिए कि स्थिति से कैसे निपटा जाए. भारत में जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन (German Ambassador Phillip Ackermann) ने हिंद-प्रशांत समेत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता के संदर्भ में यह बात कही. जर्मनी के राजदूत ने यह भी कहा कि भारत को एक स्वतंत्र, मुक्त और नियम-आधारित हिंद-प्रशांत सुनिश्चित करने के समग्र वैश्विक प्रयासों में एक मार्गदर्शक की भूमिका निभानी चाहिए.
एकरमैन ने कहा, 'भारत का एक अनसुलझा सीमा विवाद है. यह कुछ ऐसा है, जिसका भार भारत महसूस कर रहा है और स्पष्ट तौर पर इस कठिन अध्याय से निपटना आसान नहीं है. मुझे लगता है कि पूरा क्षेत्र इस बड़े और शक्तिशाली राष्ट्र के भार को महसूस कर रहा है.' वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) सहित क्षेत्र में चीन के आक्रामक रवैये के बारे में पूछे जाने पर राजदूत ने कहा कि क्षेत्र के सभी देशों को एक साथ बैठना चाहिए और यह पता लगाने की कोशिश करनी चाहिए कि 'एक शक्तिशाली पड़ोसी को रोकने के लिए प्रत्येक (देश) क्या कर सकता है.'
उन्होंने कहा, 'मुझे स्वीकार करना होगा कि यहां होने के नाते मैं (यह सब) देख पा रहा हूं. आप इस तनाव को महसूस करते हैं. यह कोई ऐसी चीज नहीं है जिसे नजरअंदाज करना चाहिए.' जून 2020 में गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद भारत और चीन के संबंधों में तनाव आया है.
एक समावेशी हिंद-प्रशांत के लिए भारत के दृष्टिकोण के बारे में पूछे जाने पर राजदूत ने चार देशों के गठबंधन 'क्वाड' और ऐसे अन्य मंचों में नई दिल्ली की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि देश (भारत) कई मायने में दूसरों का मार्गदर्शन कर सकता है.
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(पीटीआई-भाषा)