नई दिल्ली : अफगानिस्तान में चले रहे संकट पर रूस के द्वारा बुलाई गई विस्तारित ट्रोइका' बैठक में भारत को आमंत्रित नहीं किया गया है. बैठक में पाकिस्तान, चीन और अमेरिका के शामिल होने की उम्मीद है.
'ट्रोइका' की बैठक 11 अगस्त को कतर में होगी.
बता दें कि अमेरिकी नेतृत्व वाली सेना के हटने के बाद अफगानिस्तान में तालिबान (Taliban in Afghanistan) रोजाना नए इलाकों पर कब्जा करने का दावा कर रहा है. रूस ने हिंसा को रोकने और अफगान शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं.
जानकारी के मुताबिक, अफगानिस्तान को एक और गृहयुद्ध की चपेट में जाने से रोकने के प्रयासों के तहत पाकिस्तान, अमेरिका, रूस और चीन के वरिष्ठ अधिकारी बैठक करेंगे. बैठक में एक समझौता वार्ता और स्थायी युद्धविराम तक पहुंचने के लिए इंट्रा-अफगान प्रक्रिया में प्रगति करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
पिछले महीने, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने ताशकंद में कहा था कि रूस-भारत और अन्य देशों के साथ काम करना जारी रखेगा, जो अफगानिस्तान की स्थिति को प्रभावित कर सकते हैं.
कौन है तालिबान
तालिबान का अफगानिस्तान में उदय 90 के दशक में हुआ. सोवियत सैनिकों के लौटने के बाद वहां अराजकता का माहौल पैदा हुआ, जिसका फायदा तालिबान ने उठाया. उसने दक्षिण-पश्चिम अफगानिस्तान से तालिबान ने जल्द ही अपना प्रभाव बढ़ाया. सितंबर 1995 में तालिबान ने ईरान सीमा से लगे हेरात प्रांत पर कब्ज़ा कर लिया. 1996 में अफगानिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति बुरहानुद्दीन रब्बानी को सत्ता से हटाकर काबुल पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद तालिबान ने इस्लामिक कानून को सख्ती लागू किया. मसलन मर्दों का दाढ़ी बढाना और महिलाओं का बुर्का पहनना अनिवार्य कर दिया. सिनेमा, संगीत और लड़कियों की पढ़ाई पर प्रतिबंध लगा दिया गया. बामियान में तालिबान ने यूनेस्को संरक्षित बुद्ध की प्रतिमा तोड़ दी.
(पीटीआई)