वाशिंगटन (अमेरिका) : दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू ने रूस-यूक्रेन संघर्ष पर भारत के रुख पर अमेरिकी दृष्टिकोण को व्यक्त किया है. क्षेत्र के शीर्ष अमेरिकी राजनयिक ने इस बात पर जोर दिया कि अमेरिका को नहीं लगता कि भारत रूस के साथ संबंध समाप्त करने जा रहा है बल्कि अमेरिका आशा करता है कि भारत यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने के लिए रूस के साथ अपनी दोस्ती का इस्तेमाल करेगा.
शीर्ष अमेरिकी अधिकारी ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की भारत, कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान की यात्रा के बारे में पत्रकारों को जानकारी देते हुए यह बताया. गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में रूस-यूक्रेन पर मतदान से दूर रहने वाले 32 देशों में से तीन देशों के शामिल होने के सवाल के जवाब में, लू ने जवाब दिया कि यह हमारे लिए स्पष्ट है कि मध्य एशिया और भारत के देशों के बीच रूस के साथ लंबे, जटिल संबंध रहे हैं.
उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि वे जल्द ही उन संबंधों को समाप्त करने जा रहे हैं. लू ने कहा कि हम उनसे बात कर रहे हैं कि वे इस संघर्ष में क्या भूमिका निभा सकते हैं. बता दें कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव पर मतदान से दूर रहने का फैसला किया. यूक्रेन के साथ अमेरिका के रुख की फिर से पुष्टि करते हुए अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर के मूल्य के सिद्धांतों को परिभाषित करने के लिए दुनिया एक साथ आए.
जिसने संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों के अनुसार यूक्रेन में व्यापक, न्यायसंगत और स्थायी शांति प्राप्त करने की तात्कालिकता पर जोर दिया. लू ने जोर देकर कहा कि हम यूक्रेन पर एक ही दृष्टिकोण साझा नहीं कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि लेकिन उन्हें लगता है कि सभी देश इस बात पर सहमत हैं कि यह संघर्ष समाप्त हो. और ऐसा संयुक्त राष्ट्र चार्टर में सिद्धांतों के आधार पर हो. शीर्ष अमेरिकी राजनयिक ने जोर देकर कहा कि हमारी यही उम्मीद है कि भारत रूस के साथ अपनी दोस्ती को इस संघर्ष को समाप्त करने में सकारात्मक रूप से इस्तेमाल करेगा.
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G20 की अध्यक्षता भारत ने एक दिसंबर को ग्रहण की है. ब्लिंकन 1 मार्च को जी20 विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए नई दिल्ली आने वाले हैं. अमेरिकी विदेश विभाग ने हाल ही में एक बयान में कहा कि इस बैठक में बहुपक्षवाद को मजबूत करने और खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, सतत विकास, नशीले पदार्थों की तस्करी रोकने, ग्लोबल हेल्थ, लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण, मानवीय सहायता और आपदा राहत पर सहयोग को और गहरा करने पर ध्यान केंद्रित करेगी.
अमेरिकी विदेश विभाग ने आगे कहा कि वह हमारी मजबूत साझेदारी की पुष्टि करने के लिए भारत सरकार के अधिकारियों और सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधियों से मिलेंगे. मार्च में होने वाली आगामी विदेश मंत्रियों की बैठक G20 की सबसे महत्वपूर्ण बैठकों में से एक है. भारत अपनी अध्यक्षता के दौरान इस तथ्य पर ध्यान केंद्रित करेगा कि G20 किस आधार पर बनाया गया था. भारत की अध्यक्षता के दौरान कई देश आर्थिक स्थिरता के लिए भारत की ओर देख रहे हैं.
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खास तौर से ऐसे समय में जब संयुक्त राष्ट्र और UNSC जैसे बहुपक्षीय निकायों विश्व में शांति और सुरक्षा कायम रखने के अपने उद्देश्य में सफल होते नहीं दिख रहे हैं. बमुश्किल एक दिन से अधिक की बैठक में कई विषयों पर चर्चा होनी है. जानकारों की माने तो इस दौरान विदेश मंत्रियों का संयुक्त फोटो सेशन नहीं होगा. 2 मार्च को कई मुद्दों पर विचार-विर्मश होगा. ब्लिंकेन चीन और रूस समेत 20 देशों के विदेश मंत्रियों के समूह (जी20) की बैठक में हिस्सा लेंगे. नई दिल्ली में चीनी विदेश मंत्री किन गैंग या रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ ब्लिंकन के बैठने की संभावना है. हालांकि, इस बारे में अमेरिकी अधिकारियों ने फिलहाल कुछ नहीं कहा है.
विदेश विभाग के उप प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा कि जी-20 जैसा एक प्रमुख बहुपक्षीय शिखर सम्मेलन निश्चित रूप से हाशिये पर चले गये द्विपक्षीय संबंधों को नया जीवन देते हैं. पटेल ने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका का मानना है कि बातचीत होती रहनी चाहिए. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को वीडियो संदेश के जरिए भारत की जी20 अध्यक्षता के तहत वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की पहली बैठक को संबोधित किया.