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भारत को पड़ोस में फैली अस्थिरता के परिणामों से निपटने की जरूरत : जनरल रावत

अफगानिस्तान के हालातों के देखते हुए सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने कहा कि इस अस्थिरता के परिणामों से निपटना होगा. पढ़ें पूरी खबर...

CDS rawat
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Published : Oct 24, 2021, 6:31 AM IST

गुवाहाटी : प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने शनिवार को इस बात पर जोर दिया कि देश को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि उसके पड़ोस में फैली अस्थिरता के परिणामों से निपटा जाए.

उन्होंने यह भी कहा कि काबुल में तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद अफगानिस्तान की स्थिति की वजह से जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के लिए भी खतरे की आशंका है, लेकिन आंतरिक निगरानी पर काम करके इस खतरे से निपटा जा सकता है.

जनरल रावत ने कहा, 'उपमहाद्वीप में व्याप्त खतरों से उभर रहे सुरक्षा परिदृश्य के कारण भारत का राष्ट्रीय सुरक्षा परिदृश्य दबाव में आ गया है. हमें अपने करीब और दूर के पड़ोसी देशों में फैली अस्थिरता के परिणामों से निपटने की जरूरत है और यह हमारी तात्कालिक प्राथमिकता है.'

पढ़ें :- तालिबान वही सिर्फ साथी बदल गए, हर चुनौती के लिए भारत तैयार : CDS बिपिन रावत

उन्होंने यहां पहला रविकांत सिंह स्मृति व्याख्यान देते हुए कहा कि म्यांमार और बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों की स्थिति पर कड़ी नजर रखी जानी चाहिए, क्योंकि कट्टरपंथी तत्वों द्वारा रोहिंग्या शरणार्थियों का बेजा इस्तेमाल किये जाने का खतरा है.

(पीटीआई-भाषा)

गुवाहाटी : प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने शनिवार को इस बात पर जोर दिया कि देश को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि उसके पड़ोस में फैली अस्थिरता के परिणामों से निपटा जाए.

उन्होंने यह भी कहा कि काबुल में तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के बाद अफगानिस्तान की स्थिति की वजह से जम्मू-कश्मीर के साथ-साथ उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के लिए भी खतरे की आशंका है, लेकिन आंतरिक निगरानी पर काम करके इस खतरे से निपटा जा सकता है.

जनरल रावत ने कहा, 'उपमहाद्वीप में व्याप्त खतरों से उभर रहे सुरक्षा परिदृश्य के कारण भारत का राष्ट्रीय सुरक्षा परिदृश्य दबाव में आ गया है. हमें अपने करीब और दूर के पड़ोसी देशों में फैली अस्थिरता के परिणामों से निपटने की जरूरत है और यह हमारी तात्कालिक प्राथमिकता है.'

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उन्होंने यहां पहला रविकांत सिंह स्मृति व्याख्यान देते हुए कहा कि म्यांमार और बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों की स्थिति पर कड़ी नजर रखी जानी चाहिए, क्योंकि कट्टरपंथी तत्वों द्वारा रोहिंग्या शरणार्थियों का बेजा इस्तेमाल किये जाने का खतरा है.

(पीटीआई-भाषा)

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