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कोलंबिया के राजदूत विक्टर ने कहा - बढ़ रहे हैं भारत-लैटिन अमेरिका के संबंध

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 23, 2023, 4:22 PM IST

भारत और लैटिन अमेरिका के बीच संबंध पिछले वर्षों की तुलना में बढ़ रहे हैं और मजबूत हो रहे हैं. उक्त बातें कोलंबिया के राजदूत विक्टर ह्यूगो एचेवेरी (Colombian ambassador Victor Hugo Echeverri) ने ईटीवी भारत से बातचीत में कही. पढ़िए ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी की रिपोर्ट... ( Colombian ambassador to India)

Colombian ambassador Victor Hugo Echeverri
कोलंबिया के राजदूत विक्टर ह्यूगो एचेवेरी

नई दिल्ली: भारत में कोलंबिया के राजदूत विक्टर ह्यूगो एचेवेरी ( Colombian ambassador Victor Hugo Echeverri) ने कहा कि भारत और लैटिन अमेरिका के बीच संबंध पिछले वर्षों की तुलना में बढ़ रहे हैं और मजबूत हो रहे हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने बताया कि भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR), भारत में चिली के दूतावास, भारत में कोलंबिया के दूतावास और भारत में इक्वाडोर के दूतावास एकसाथ मिलकर इंडो-लैटिन अमेरिका सांस्कृतिक महोत्सव के चौथे संस्करण का आयोजन कर रहे हैं.

उन्होंने बताया कि महोत्सव की शुरुआत 28 सितंबर को चिली के बैले फोकलोरिक डी चिली बाफोली के मनमोहक प्रदर्शन के साथ होगी. इसके अलावा 29 सितंबर को भी सांस्कृतिक उत्सव जारी रहेगा. कोलंबिया के राजदूत ने कहा कि कोविड के बाद देशों के बीच में संबंध सभी क्षेत्रों में बहुत अधिक बढ़े हैं. इसमें न केवल वाणिज्य या निवेश के मामले हों बल्कि द्विपक्षीय संबंधों का सांस्कृतिक हिस्सा भी बहुत अहम है, क्योंकि यह प्रमुख कारक है जिसकी वजह से अधिक व्यापार हो सकता है. वहीं अधिक निवेश और बेहतर सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए लोगों को एक साथ लाना भी है.

राजदूत विक्टर ह्यूगो ने कहा कि भारत और कोलंबिया के बीच सांस्कृतिक संबंधों पर और भारत-लैटिन अमेरिका सांस्कृतिक उत्सव के आयोजन का उद्देश्य सांस्कृतिक संबंधों की गहराई तक जाना है. उन्होंने कहा कि इंडो-लैटिन अमेरिका सांस्कृतिक उत्सव के माध्यम से भारत में एक खुशी का माहौल लाएगा. कोलंबियाई राजदूत ने भारत और कनाडा के बीच राजनयिक विवाद पर टिप्पणी करने से इनकार किया और कहा कि हम सांस्कृतिक और द्विपक्षीय संबंधों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.

भारत की सांस्कृतिक कूटनीति उसकी विदेश नीति के प्रमुख पहलुओं में से एक रही है. भारत अन्य देशों के साथ राजनयिक संबंधों को मजबूत करने के लिए सांस्कृतिक कूटनीति को सक्रिय रूप से नियोजित करता है. यही वजह है कि भारत की सॉफ्ट पावर और सांस्कृतिक कूटनीति भूराजनीति को प्रभावित कर सकती है. विशेष रूप से, संस्कृति और कला के इस जीवंत उत्सव का उद्देश्य लैटिन अमेरिका की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करना है. महोत्सव का उद्घाटन भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) के अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्रबुद्धे करेंगे. यह महोत्सव नई दिल्ली के कमानी ऑडिटोरियम में आयोजित किया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि महोत्सव में इक्वाडोर की संगीत जोड़ी, जॉर्ज साडे और जुआन कार्लोस शामिल होंगे जो अपनी धुनों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देंगे. वहीं कोलंबिया के अबकोराओ लैटिन बैंड की लयबद्ध धुनों से यह संगीत यात्रा और समृद्ध होगी. इंडो-लैटिन अमेरिका महोत्सव के एक भाग के रूप में सांस्कृतिक और शैक्षिक सहयोग की संभावनाओं पर विचार-विमर्श करने के लिए भारत और लैटिन अमेरिका के प्रमुख हितधारकों को एक साथ लाते हुए अक्टूबर के पहले सप्ताह में नई दिल्ली में एक संगोष्ठी आयोजित होने की संभावना है.

बता दें कि इंडो-लैटिन अमेरिका सांस्कृतिक महोत्सव भारत और लैटिन अमेरिका के बीच स्थायी सांस्कृतिक संबंधों के प्रमाण के रूप में कार्य करता है, जो दोनों क्षेत्रों की समृद्ध परंपराओं और कलात्मक अभिव्यक्तियों की आपसी समझ और सराहना को बढ़ावा देता है.

कोलंबिया का अबकोराओ बैंड
अबकोराओ कोलंबिया के सैंटियागो रामिरेज़ के नेतृत्व में एक लैटिन बैंड है, जिसमें दुनिया के विभिन्न हिस्सों के सदस्य शामिल हैं. राजदूत ने बताया कि इस बैंड ने यूरोप और लैटिन अमेरिका में कई मेलों, त्योहारों और राष्ट्रीय समारोहों में प्रदर्शन किया है. इतना ही नहीं इसमें पॉप और रॉक के साथ कैरेबियन प्रभावों के अपने विशिष्ट मिश्रण का प्रदर्शन किया जाता है, जिसमें साल्सा, मेरेंग्यू, बचाटा, कैरिब बेटा, रेगेटन और क्यूम्बिया जैसी उष्णकटिबंधीय शैलियों को शामिल किया गया है.

35 साल पहले स्थापित चिली लोकगीत बैले, बाफोची, सार्वभौमिकता दर्शाते हुए लोककथाओं का प्रदर्शन करता है. उन्होंने कहा कि वे भारत के लिए एक विशेष शो तैयार कर रहे हैं जिसमें चिली की विरासत और भारतीय संस्कृति से प्रेरित उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन शामिल होगा. उन्होंने कहा कि वे सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के अलावा पारंपरिक चिली नृत्य और संगीत को साझा करने के लिए सार्वजनिक कार्यशालाएं भी आयोजित करेंगे.

वहीं यामी विश्वविद्यालय और अमेरिका के कैथोलिक विश्वविद्यालय से डिग्री लिए हुए जॉर्ज साडे-स्कैफ़ इक्वाडोर के प्रमुख वायलिन वादक हैं. इनके द्वारा दुनिया भर के मशहूर स्थानों के अलावा ऑर्केस्ट्रा के साथ समन्वय है. इसी तरह वह गुआयाकिल में बेल्जियम के मानद कौंसल, इक्वाडोर के कला विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और वाशिंगटन डीसी में पैन अमेरिकन सिम्फनी ऑर्केस्ट्रा के सांस्कृतिक सलाहकार के रूप में कार्य करते हैं.

ये भी पढ़ें - लातिन अमेरिका के साथ व्यापार संबंध बढ़ाना चाहता है भारत: जयशंकर

नई दिल्ली: भारत में कोलंबिया के राजदूत विक्टर ह्यूगो एचेवेरी ( Colombian ambassador Victor Hugo Echeverri) ने कहा कि भारत और लैटिन अमेरिका के बीच संबंध पिछले वर्षों की तुलना में बढ़ रहे हैं और मजबूत हो रहे हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने बताया कि भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR), भारत में चिली के दूतावास, भारत में कोलंबिया के दूतावास और भारत में इक्वाडोर के दूतावास एकसाथ मिलकर इंडो-लैटिन अमेरिका सांस्कृतिक महोत्सव के चौथे संस्करण का आयोजन कर रहे हैं.

उन्होंने बताया कि महोत्सव की शुरुआत 28 सितंबर को चिली के बैले फोकलोरिक डी चिली बाफोली के मनमोहक प्रदर्शन के साथ होगी. इसके अलावा 29 सितंबर को भी सांस्कृतिक उत्सव जारी रहेगा. कोलंबिया के राजदूत ने कहा कि कोविड के बाद देशों के बीच में संबंध सभी क्षेत्रों में बहुत अधिक बढ़े हैं. इसमें न केवल वाणिज्य या निवेश के मामले हों बल्कि द्विपक्षीय संबंधों का सांस्कृतिक हिस्सा भी बहुत अहम है, क्योंकि यह प्रमुख कारक है जिसकी वजह से अधिक व्यापार हो सकता है. वहीं अधिक निवेश और बेहतर सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए लोगों को एक साथ लाना भी है.

राजदूत विक्टर ह्यूगो ने कहा कि भारत और कोलंबिया के बीच सांस्कृतिक संबंधों पर और भारत-लैटिन अमेरिका सांस्कृतिक उत्सव के आयोजन का उद्देश्य सांस्कृतिक संबंधों की गहराई तक जाना है. उन्होंने कहा कि इंडो-लैटिन अमेरिका सांस्कृतिक उत्सव के माध्यम से भारत में एक खुशी का माहौल लाएगा. कोलंबियाई राजदूत ने भारत और कनाडा के बीच राजनयिक विवाद पर टिप्पणी करने से इनकार किया और कहा कि हम सांस्कृतिक और द्विपक्षीय संबंधों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.

भारत की सांस्कृतिक कूटनीति उसकी विदेश नीति के प्रमुख पहलुओं में से एक रही है. भारत अन्य देशों के साथ राजनयिक संबंधों को मजबूत करने के लिए सांस्कृतिक कूटनीति को सक्रिय रूप से नियोजित करता है. यही वजह है कि भारत की सॉफ्ट पावर और सांस्कृतिक कूटनीति भूराजनीति को प्रभावित कर सकती है. विशेष रूप से, संस्कृति और कला के इस जीवंत उत्सव का उद्देश्य लैटिन अमेरिका की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करना है. महोत्सव का उद्घाटन भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) के अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्रबुद्धे करेंगे. यह महोत्सव नई दिल्ली के कमानी ऑडिटोरियम में आयोजित किया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि महोत्सव में इक्वाडोर की संगीत जोड़ी, जॉर्ज साडे और जुआन कार्लोस शामिल होंगे जो अपनी धुनों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देंगे. वहीं कोलंबिया के अबकोराओ लैटिन बैंड की लयबद्ध धुनों से यह संगीत यात्रा और समृद्ध होगी. इंडो-लैटिन अमेरिका महोत्सव के एक भाग के रूप में सांस्कृतिक और शैक्षिक सहयोग की संभावनाओं पर विचार-विमर्श करने के लिए भारत और लैटिन अमेरिका के प्रमुख हितधारकों को एक साथ लाते हुए अक्टूबर के पहले सप्ताह में नई दिल्ली में एक संगोष्ठी आयोजित होने की संभावना है.

बता दें कि इंडो-लैटिन अमेरिका सांस्कृतिक महोत्सव भारत और लैटिन अमेरिका के बीच स्थायी सांस्कृतिक संबंधों के प्रमाण के रूप में कार्य करता है, जो दोनों क्षेत्रों की समृद्ध परंपराओं और कलात्मक अभिव्यक्तियों की आपसी समझ और सराहना को बढ़ावा देता है.

कोलंबिया का अबकोराओ बैंड
अबकोराओ कोलंबिया के सैंटियागो रामिरेज़ के नेतृत्व में एक लैटिन बैंड है, जिसमें दुनिया के विभिन्न हिस्सों के सदस्य शामिल हैं. राजदूत ने बताया कि इस बैंड ने यूरोप और लैटिन अमेरिका में कई मेलों, त्योहारों और राष्ट्रीय समारोहों में प्रदर्शन किया है. इतना ही नहीं इसमें पॉप और रॉक के साथ कैरेबियन प्रभावों के अपने विशिष्ट मिश्रण का प्रदर्शन किया जाता है, जिसमें साल्सा, मेरेंग्यू, बचाटा, कैरिब बेटा, रेगेटन और क्यूम्बिया जैसी उष्णकटिबंधीय शैलियों को शामिल किया गया है.

35 साल पहले स्थापित चिली लोकगीत बैले, बाफोची, सार्वभौमिकता दर्शाते हुए लोककथाओं का प्रदर्शन करता है. उन्होंने कहा कि वे भारत के लिए एक विशेष शो तैयार कर रहे हैं जिसमें चिली की विरासत और भारतीय संस्कृति से प्रेरित उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन शामिल होगा. उन्होंने कहा कि वे सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के अलावा पारंपरिक चिली नृत्य और संगीत को साझा करने के लिए सार्वजनिक कार्यशालाएं भी आयोजित करेंगे.

वहीं यामी विश्वविद्यालय और अमेरिका के कैथोलिक विश्वविद्यालय से डिग्री लिए हुए जॉर्ज साडे-स्कैफ़ इक्वाडोर के प्रमुख वायलिन वादक हैं. इनके द्वारा दुनिया भर के मशहूर स्थानों के अलावा ऑर्केस्ट्रा के साथ समन्वय है. इसी तरह वह गुआयाकिल में बेल्जियम के मानद कौंसल, इक्वाडोर के कला विश्वविद्यालय में प्रोफेसर और वाशिंगटन डीसी में पैन अमेरिकन सिम्फनी ऑर्केस्ट्रा के सांस्कृतिक सलाहकार के रूप में कार्य करते हैं.

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