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कोरोना वैक्सीन की डिलिवरी के लिए होगा ड्रोन का इस्तेमाल

देश में कोरोना के मामलों के बीच स्वास्थ्य सुविधाओं को ग्रामीण क्षेत्र के लोगों तक पहुंचाना एक चुनौती से कम नहीं है. ऐसे में देश के कई हिस्सों में ड्रोन से वैक्सीन पहुंचाने के प्रयास को अंतिम रूप दिया जा रहा है. पढ़ें विस्तार से...

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Published : May 28, 2021, 5:19 AM IST

ड्रोन का इस्तेमाल
ड्रोन का इस्तेमाल

हैदराबाद : भारत में कोरोना मामलों में अब कमी देखी जा रही है. केंद्र सरकार लोगों तक कोविड वैक्सीन पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. इस क्रम में कई जगहों पर ड्रोन से टीके के डिलिवरी के लिए प्रयास किया जा रहा है.

ग्रामीण भारत के दूरदराज क्षेत्रों में कोरोना वायरस के मामलों में घातक उछाल देखने को मिला था. इस बीच स्वास्थ्य विशेषज्ञ अलग-अलग समुदायों को कोविड ​​​​-19 टीके देने के लिए ड्रोन का परीक्षण करते देखे गए हैं.

दक्षिणी राज्य तेलंगाना, जो वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) के मेडिसिन फ्रॉम द स्काई प्रोजेक्ट का हिस्सा है. वह नीति आयोग और अपोलो हॉस्पिटल के साथ, एक ट्रायल चलाएगा, जिसके बाद ड्रोन के माध्यम से कोविड-19 वैक्सीन की डिलीवरी शुरू की जाएगी.

कर्नाटक भी कोविड-19 टीकों की ड्रोन से डिलीवरी के विकल्प तलाश कर रहा है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद को इसपर अध्ययन करने की अनुमति दी गई है.

मंत्रालय ड्रोन के इस्तेमाल को नियंत्रित करता है, जिसे मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) भी कहा जाता है, क्योंकि इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दे के रूप में देखा जाता है.

दुनिया भर में, ड्रोन कई वर्षों से चिकित्सा सामान वितरित कर रहे हैं, चैरिटी डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने 2014 में पापुआ न्यू गिनी में तपेदिक के प्रकोप के दौरान उनका परीक्षण किया और लाइबेरिया में इबोला से निपटने में मदद की. रवांडा ने ग्रामीण क्लीनिकों में रक्त पहुंचाने के लिए जिपलाइन ड्रोन का इस्तेमाल किया.

कोरोना वायरस महामारी के दौरान, जिपलाइन ड्रोन भी घाना में एस्ट्राजेनेका के कोविड-19 टीकों को पहुंचा रहे हैं. जल्द ही उन्हें रवांडा और संयुक्त राज्य अमेरिका में वितरित करना शुरू कर देंगे, नाइजीरिया ने भी इस वर्ष के अंततक इसके इस्तेमाल की योजना बनाई है.

गावी के प्रमुख मोज सिद्दीकी ने कहा कि, गावी द वैश्विक वैक्सीन एलायंस ने टीके वितरित करने के लिए कैलिफ़ोर्निया स्थित जिपलाइन और यूपीएस फाउंडेशन के साथ करार किया है.

ड्रोन की जबरदस्त क्षमता

भारत में डब्ल्यूईएफ की एयरोस्पेस और ड्रोन इकाई में विगनेश संथानम ने कहा कि महामारी ने ग्रामीण और गरीब समुदायों तक पहुंचने में चुनौती को उजागर किया है. स्वास्थ्य और चिकित्सा आपूर्ति श्रृंखला तक पहुंच में सुधार करने में ड्रोन की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है.

उन्होंने कहा कि 2019 में शुरू की गई 'द मेडिसिन फ्रॉम द स्काई' पहल, जल्द ही तेलंगाना राज्य में अपना परीक्षण शुरू करने की उम्मीद करती है. इसके साथ ही अन्य राज्यों के साथ साझेदारी करने से पहले राज्य के भीतर अपने नेटवर्क का विस्तार करने की योजना है.

  • ड्रोन सेवाओं के लिए वैश्विक बाजार में उत्पाद वितरण से लेकर हवाई फोटोग्राफी, मानचित्रण, पर्यावरण निगरानी और तूफान ट्रैकिंग में किया जाता है. साल 2025 तक ड्रोन से कारोबार 64 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जो साल 2018 में केवल 4.4 बिलियन डॉलर था.
  • पिछले साल से ड्रोन में लोगों की दिलचस्पी बढ़ी थी, क्योंकि महामारी ने लोगों को घर में रखा था और फिर से टीके लगाए गए थे.
  • जर्मन स्टार्ट-अप विंगकॉप्टर कोविड-19 टीके देने के लिए अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया में परीक्षण परियोजनाओं पर काम कर रहा है.
  • उत्तरी अमेरिकी कंपनी ड्रैगनफ्लाई भी कोविड-19 टीकों का परिवहन कर रही है, जबकि स्टार्ट-अप वोलांसी ने ग्रामीण उत्तरी कैरोलिना में वैक्सीन देने के लिए दवा निर्माता मर्क के साथ भागीदारी की है.
  • कोरोना के मामलों ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों के सामने एक चुनौती खड़ी कर दी है, जहां खराब स्वास्थ्य केंद्रों, कर्मचारियों की कमी और लंबी यात्रा के कारण ग्रामीणों के लिए उपचार और टीके तक पहुंचना कठिन हो गया है.
  • ड्रोन उन जगहों पर विशेष रूप से उपयोगी होते हैं जहां सड़क संपर्क और परिवहन एक चुनौती है.

• भारत में स्वास्थ्य विशेषज्ञ देश के कोविड-19 संकट से निपटने में मदद करने के लिए अलग-थलग पड़े समुदायों तक टीके पहुंचाने के लिए ड्रोन का परीक्षण कर रहे हैं.

  • इन ड्रोनों का उद्देश्य नागरिकों के दरवाजे तक सीधे तेजी से वैक्सीन वितरण प्राप्त करना और स्वास्थ्य सेवा की पहुंच में सुधार करना है.

• दुनिया के कई हिस्सों में कई वर्षों से, ड्रोन चिकित्सा सामान वितरित कर रहे हैं. उदाहरण के लिए, लाइबेरिया में इबोला के प्रकोप में मदद करने के लिए इसका इस्तेमाल किया गया था.

  • सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के लिए भारत के ड्रोन प्रयोगों पर सहयोग करना समय की मांग है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार किया जा सके.

हैदराबाद : भारत में कोरोना मामलों में अब कमी देखी जा रही है. केंद्र सरकार लोगों तक कोविड वैक्सीन पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. इस क्रम में कई जगहों पर ड्रोन से टीके के डिलिवरी के लिए प्रयास किया जा रहा है.

ग्रामीण भारत के दूरदराज क्षेत्रों में कोरोना वायरस के मामलों में घातक उछाल देखने को मिला था. इस बीच स्वास्थ्य विशेषज्ञ अलग-अलग समुदायों को कोविड ​​​​-19 टीके देने के लिए ड्रोन का परीक्षण करते देखे गए हैं.

दक्षिणी राज्य तेलंगाना, जो वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) के मेडिसिन फ्रॉम द स्काई प्रोजेक्ट का हिस्सा है. वह नीति आयोग और अपोलो हॉस्पिटल के साथ, एक ट्रायल चलाएगा, जिसके बाद ड्रोन के माध्यम से कोविड-19 वैक्सीन की डिलीवरी शुरू की जाएगी.

कर्नाटक भी कोविड-19 टीकों की ड्रोन से डिलीवरी के विकल्प तलाश कर रहा है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद को इसपर अध्ययन करने की अनुमति दी गई है.

मंत्रालय ड्रोन के इस्तेमाल को नियंत्रित करता है, जिसे मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) भी कहा जाता है, क्योंकि इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दे के रूप में देखा जाता है.

दुनिया भर में, ड्रोन कई वर्षों से चिकित्सा सामान वितरित कर रहे हैं, चैरिटी डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने 2014 में पापुआ न्यू गिनी में तपेदिक के प्रकोप के दौरान उनका परीक्षण किया और लाइबेरिया में इबोला से निपटने में मदद की. रवांडा ने ग्रामीण क्लीनिकों में रक्त पहुंचाने के लिए जिपलाइन ड्रोन का इस्तेमाल किया.

कोरोना वायरस महामारी के दौरान, जिपलाइन ड्रोन भी घाना में एस्ट्राजेनेका के कोविड-19 टीकों को पहुंचा रहे हैं. जल्द ही उन्हें रवांडा और संयुक्त राज्य अमेरिका में वितरित करना शुरू कर देंगे, नाइजीरिया ने भी इस वर्ष के अंततक इसके इस्तेमाल की योजना बनाई है.

गावी के प्रमुख मोज सिद्दीकी ने कहा कि, गावी द वैश्विक वैक्सीन एलायंस ने टीके वितरित करने के लिए कैलिफ़ोर्निया स्थित जिपलाइन और यूपीएस फाउंडेशन के साथ करार किया है.

ड्रोन की जबरदस्त क्षमता

भारत में डब्ल्यूईएफ की एयरोस्पेस और ड्रोन इकाई में विगनेश संथानम ने कहा कि महामारी ने ग्रामीण और गरीब समुदायों तक पहुंचने में चुनौती को उजागर किया है. स्वास्थ्य और चिकित्सा आपूर्ति श्रृंखला तक पहुंच में सुधार करने में ड्रोन की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है.

उन्होंने कहा कि 2019 में शुरू की गई 'द मेडिसिन फ्रॉम द स्काई' पहल, जल्द ही तेलंगाना राज्य में अपना परीक्षण शुरू करने की उम्मीद करती है. इसके साथ ही अन्य राज्यों के साथ साझेदारी करने से पहले राज्य के भीतर अपने नेटवर्क का विस्तार करने की योजना है.

  • ड्रोन सेवाओं के लिए वैश्विक बाजार में उत्पाद वितरण से लेकर हवाई फोटोग्राफी, मानचित्रण, पर्यावरण निगरानी और तूफान ट्रैकिंग में किया जाता है. साल 2025 तक ड्रोन से कारोबार 64 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जो साल 2018 में केवल 4.4 बिलियन डॉलर था.
  • पिछले साल से ड्रोन में लोगों की दिलचस्पी बढ़ी थी, क्योंकि महामारी ने लोगों को घर में रखा था और फिर से टीके लगाए गए थे.
  • जर्मन स्टार्ट-अप विंगकॉप्टर कोविड-19 टीके देने के लिए अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया में परीक्षण परियोजनाओं पर काम कर रहा है.
  • उत्तरी अमेरिकी कंपनी ड्रैगनफ्लाई भी कोविड-19 टीकों का परिवहन कर रही है, जबकि स्टार्ट-अप वोलांसी ने ग्रामीण उत्तरी कैरोलिना में वैक्सीन देने के लिए दवा निर्माता मर्क के साथ भागीदारी की है.
  • कोरोना के मामलों ने देश के ग्रामीण क्षेत्रों के सामने एक चुनौती खड़ी कर दी है, जहां खराब स्वास्थ्य केंद्रों, कर्मचारियों की कमी और लंबी यात्रा के कारण ग्रामीणों के लिए उपचार और टीके तक पहुंचना कठिन हो गया है.
  • ड्रोन उन जगहों पर विशेष रूप से उपयोगी होते हैं जहां सड़क संपर्क और परिवहन एक चुनौती है.

• भारत में स्वास्थ्य विशेषज्ञ देश के कोविड-19 संकट से निपटने में मदद करने के लिए अलग-थलग पड़े समुदायों तक टीके पहुंचाने के लिए ड्रोन का परीक्षण कर रहे हैं.

  • इन ड्रोनों का उद्देश्य नागरिकों के दरवाजे तक सीधे तेजी से वैक्सीन वितरण प्राप्त करना और स्वास्थ्य सेवा की पहुंच में सुधार करना है.

• दुनिया के कई हिस्सों में कई वर्षों से, ड्रोन चिकित्सा सामान वितरित कर रहे हैं. उदाहरण के लिए, लाइबेरिया में इबोला के प्रकोप में मदद करने के लिए इसका इस्तेमाल किया गया था.

  • सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के लिए भारत के ड्रोन प्रयोगों पर सहयोग करना समय की मांग है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार किया जा सके.
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