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भारत सिर्फ कोविड नहीं बल्कि विचारधारा के वायरस की चपेट में है : कांग्रेस

देश भर में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच कांग्रेस ने राहत कार्यों और टीकाकरण अभियान को लेकर सरकार पर निशाना साधा. कांग्रेस नेता ने कहा कि अभी तक टीकाकरण का सिर्फ 10 प्रतिशत लक्ष्य हासिल किया गया है.

कांग्रेस नेता
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Published : Apr 30, 2021, 5:12 PM IST

Updated : Apr 30, 2021, 6:29 PM IST

नई दिल्ली : देश में कोरोना के कारण मौजूदा हालात को लेकर कांग्रेस नेताओं ने केंद्र पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि भारत सिर्फ कोरोनवायरस की चपेट में नहीं है, बल्कि 'विचारधारा के वायरस' की चपेट में है क्योंकि सरकार इनकार की मुद्रा में है.

ये बात कांग्रेस नेता पवन खेड़ा, जयराम रमेश, सैम पित्रोदा ने कोरोना के हालात और राहत कार्यों को लेकर चर्चा के दौरान कही.

सुनिए कांग्रेस नेताओं ने क्या कहा

जयराम रमेश ने कहा, 'हमारे प्रधानमंत्री ने लक्ष्य निर्धारित किया था कि अगस्त 2021 तक तीन करोड़ भारतीयों को टीका लगा दिया जाएगा. आज तक सिर्फ 10 प्रतिशत लक्ष्य ही हासिल किया गया है. यह बाजार के अर्थशास्त्र के बारे में सोचने का समय नहीं है. यह राष्ट्रीय आपातकाल है.'

उन्होंने कहा कि 'हम न सिर्फ कोविड वायरस की चपेट में हैं बल्कि विचारधारा के वायरस की चपेट में हैं, जो सार्वजनिक क्षेत्र को संदेह से देखता है, जो सोचता है कि यह बाजार अर्थशास्त्र का समय है. हमे लोगों का टीकाकरण करना चाहिए.'

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने जोर देते हुए कहा, 'पूरी सरकारी मशीनरी अभी इनकार की मुद्रा में है, यह राज्य का पतन है. आप समाधान ट्रैक पर तब तक नहीं जा सकते हैं जब तक आप यह पहचान नहीं लेते कि समस्या क्या है. यह ऐसा समय है जब विशाल सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है.'
इस बीच सरकार को सुझाव देते हुए सैम पित्रोदा ने कहा, 'हमें लोगों की आवाज़ अवश्य सुननी चाहिए, हमें लोगों के विचार जानने चाहिए, हमारे पास वैज्ञानिक मानसिकता होनी चाहिए.'

उन्होंने सुझाव दिया कि डोमेन विशेषज्ञों की एक राष्ट्रीय विश्वसनीय टीम को तथ्य और सच्चाई बताने के लिए सरकार की ओर से दैनिक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करनी चाहिए. यह राजनीतिक ना होकर पेशेवर होनी चाहिए.'

टीकाकरण अभियान की आवश्यकता पर उन्होंने कहा, 'सभी उत्पादन सुविधाओं का बंदोबस्त करना चाहिए क्योंकि यह निजी या सरकारी के बारे में नहीं बल्कि राष्ट्रीय आपातकाल के बारे में है. निजी को उनके उचित लाभ दें, लेकिन इसे राष्ट्रीय आपातकालीन उत्पादन लाइन के रूप में चलाएं. इसका एक हिस्सा सभी के लिए एक मूल्य होगा. हमारे पास यह 3-स्तरीय मूल्य प्रणाली नहीं हो सकती.'

वितरण प्रणाली को लेकर पित्रोदा ने कहा कि 'चाजें आप संभालें लेकिन स्थानीय स्तर पर जो उन्हें हालात बनाने हैं उसके लिए राज्यों की सरकारों को भी स्वतंत्रता और लचीलेपन के लिए अनुमति दें. मूल रूप से कहा जाए तो विश्वसनीयता स्थापित करें.'

'पोलियो टीकाकरण की तरह सभी को विश्वास में लेना जरूरी'

जयराम रमेश ने पोलियो टीकाकरण अभियान का जिक्र करते हुए कहा कि इस मामले में भी देश में जागरूकता फैलाने के लिए राज्य सरकारों, सांसदों, विधायकों, स्थानीय मीडिया सहित सभी हितधारकों को विश्वास में लेना जरूरी है.

उन्होंने कहा, 'लोगों को भागीदारी की भावना देना वास्तव में संचार है. यह 'दीया जलाओ, तली बजाओ' नहीं हैं. वास्तव में यह राज्य सरकारों से बाहर जा रहा है. केंद्रीयकरण का कोई प्रयास नहीं किया गया. टीकाकरण कार्यक्रमों को पूरा करने के लिए राज्य सरकार को सशक्त बनाना था.'
उन्होंने कहा, 'वैज्ञानिक सहमति बनाना, उत्पादन स्थापित करना और उसी समय जैव प्रौद्योगिकी विभाग भी स्थापित किया गया था लेकिन 10 साल बाद यह बायोटेक विभाग के कारण है कि भारत बायोटेक एक वास्तविकता बन गया.'

वैज्ञानिकों की टीम बनाने का दिया सुझाव

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सरकार को एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया, नीति आयोग के सलाहकार वीके पॉल सहित विशेषज्ञों के एक समूह को एक साथ लेने की जरूरत है और उन्हें हर रोज देश को विश्वास में लेने दें. इसके अलावा, उन्होंने कहा कि अनिवार्य लाइसेंसिंग का कोई विकल्प नहीं है क्योंकि इन वैक्सीन का उत्पादन करने वाली भारत में और अधिक कंपनियां होनी चाहिए.

पढ़ें- कोरोना से मचा हाहाकार, 24 घंटे धधक रहे श्मशान, 3.86 लाख नए केस


उन्होंने कहा, 'मुझे लग रहा है कि पिछले कुछ दिनों से जिस तरह से हम अंतरराष्ट्रीय उपहास का विषय बने हैं अब सरकार कुछ सार्थक कार्य शुरू कर सकती है क्योंकि यह अजीब है. मुझे वास्तव में शर्म आ रही है कि भारत को किस तरह से कवर किया जा रहा है. मुझे उम्मीद है कि इसका कुछ असर होने वाला है. सिस्टम को इन आलोचनाओं का जवाब देना चाहिए और खंडन नहीं भेजना चाहिए.'

नई दिल्ली : देश में कोरोना के कारण मौजूदा हालात को लेकर कांग्रेस नेताओं ने केंद्र पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि भारत सिर्फ कोरोनवायरस की चपेट में नहीं है, बल्कि 'विचारधारा के वायरस' की चपेट में है क्योंकि सरकार इनकार की मुद्रा में है.

ये बात कांग्रेस नेता पवन खेड़ा, जयराम रमेश, सैम पित्रोदा ने कोरोना के हालात और राहत कार्यों को लेकर चर्चा के दौरान कही.

सुनिए कांग्रेस नेताओं ने क्या कहा

जयराम रमेश ने कहा, 'हमारे प्रधानमंत्री ने लक्ष्य निर्धारित किया था कि अगस्त 2021 तक तीन करोड़ भारतीयों को टीका लगा दिया जाएगा. आज तक सिर्फ 10 प्रतिशत लक्ष्य ही हासिल किया गया है. यह बाजार के अर्थशास्त्र के बारे में सोचने का समय नहीं है. यह राष्ट्रीय आपातकाल है.'

उन्होंने कहा कि 'हम न सिर्फ कोविड वायरस की चपेट में हैं बल्कि विचारधारा के वायरस की चपेट में हैं, जो सार्वजनिक क्षेत्र को संदेह से देखता है, जो सोचता है कि यह बाजार अर्थशास्त्र का समय है. हमे लोगों का टीकाकरण करना चाहिए.'

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने जोर देते हुए कहा, 'पूरी सरकारी मशीनरी अभी इनकार की मुद्रा में है, यह राज्य का पतन है. आप समाधान ट्रैक पर तब तक नहीं जा सकते हैं जब तक आप यह पहचान नहीं लेते कि समस्या क्या है. यह ऐसा समय है जब विशाल सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है.'
इस बीच सरकार को सुझाव देते हुए सैम पित्रोदा ने कहा, 'हमें लोगों की आवाज़ अवश्य सुननी चाहिए, हमें लोगों के विचार जानने चाहिए, हमारे पास वैज्ञानिक मानसिकता होनी चाहिए.'

उन्होंने सुझाव दिया कि डोमेन विशेषज्ञों की एक राष्ट्रीय विश्वसनीय टीम को तथ्य और सच्चाई बताने के लिए सरकार की ओर से दैनिक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करनी चाहिए. यह राजनीतिक ना होकर पेशेवर होनी चाहिए.'

टीकाकरण अभियान की आवश्यकता पर उन्होंने कहा, 'सभी उत्पादन सुविधाओं का बंदोबस्त करना चाहिए क्योंकि यह निजी या सरकारी के बारे में नहीं बल्कि राष्ट्रीय आपातकाल के बारे में है. निजी को उनके उचित लाभ दें, लेकिन इसे राष्ट्रीय आपातकालीन उत्पादन लाइन के रूप में चलाएं. इसका एक हिस्सा सभी के लिए एक मूल्य होगा. हमारे पास यह 3-स्तरीय मूल्य प्रणाली नहीं हो सकती.'

वितरण प्रणाली को लेकर पित्रोदा ने कहा कि 'चाजें आप संभालें लेकिन स्थानीय स्तर पर जो उन्हें हालात बनाने हैं उसके लिए राज्यों की सरकारों को भी स्वतंत्रता और लचीलेपन के लिए अनुमति दें. मूल रूप से कहा जाए तो विश्वसनीयता स्थापित करें.'

'पोलियो टीकाकरण की तरह सभी को विश्वास में लेना जरूरी'

जयराम रमेश ने पोलियो टीकाकरण अभियान का जिक्र करते हुए कहा कि इस मामले में भी देश में जागरूकता फैलाने के लिए राज्य सरकारों, सांसदों, विधायकों, स्थानीय मीडिया सहित सभी हितधारकों को विश्वास में लेना जरूरी है.

उन्होंने कहा, 'लोगों को भागीदारी की भावना देना वास्तव में संचार है. यह 'दीया जलाओ, तली बजाओ' नहीं हैं. वास्तव में यह राज्य सरकारों से बाहर जा रहा है. केंद्रीयकरण का कोई प्रयास नहीं किया गया. टीकाकरण कार्यक्रमों को पूरा करने के लिए राज्य सरकार को सशक्त बनाना था.'
उन्होंने कहा, 'वैज्ञानिक सहमति बनाना, उत्पादन स्थापित करना और उसी समय जैव प्रौद्योगिकी विभाग भी स्थापित किया गया था लेकिन 10 साल बाद यह बायोटेक विभाग के कारण है कि भारत बायोटेक एक वास्तविकता बन गया.'

वैज्ञानिकों की टीम बनाने का दिया सुझाव

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सरकार को एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया, नीति आयोग के सलाहकार वीके पॉल सहित विशेषज्ञों के एक समूह को एक साथ लेने की जरूरत है और उन्हें हर रोज देश को विश्वास में लेने दें. इसके अलावा, उन्होंने कहा कि अनिवार्य लाइसेंसिंग का कोई विकल्प नहीं है क्योंकि इन वैक्सीन का उत्पादन करने वाली भारत में और अधिक कंपनियां होनी चाहिए.

पढ़ें- कोरोना से मचा हाहाकार, 24 घंटे धधक रहे श्मशान, 3.86 लाख नए केस


उन्होंने कहा, 'मुझे लग रहा है कि पिछले कुछ दिनों से जिस तरह से हम अंतरराष्ट्रीय उपहास का विषय बने हैं अब सरकार कुछ सार्थक कार्य शुरू कर सकती है क्योंकि यह अजीब है. मुझे वास्तव में शर्म आ रही है कि भारत को किस तरह से कवर किया जा रहा है. मुझे उम्मीद है कि इसका कुछ असर होने वाला है. सिस्टम को इन आलोचनाओं का जवाब देना चाहिए और खंडन नहीं भेजना चाहिए.'

Last Updated : Apr 30, 2021, 6:29 PM IST
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