नई दिल्ली : भारत और मध्य एशियाई देशों ने चाबहार बंदरगाह पर अपने संयुक्त कार्यसमूह की पहली बैठक में इस बात को दोहराया कि संपर्क के कदमों में वैश्विक नियमों, पारदर्शिता, स्थानीय प्राथमिकताओं, वित्तीय स्थिरता तथा सभी देशों की संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता के लिए सम्मान का अनुपालन होना चाहिए.
भारत की मेजबानी में मुंबई में 12 और 13 अप्रैल को आयोजित बैठक के बाद जारी संयुक्त वक्तव्य में यह बात कही गई. चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशियेटिव (बीआरआई) की बढ़ती वैश्विक आलोचना के बीच बैठक हुई.
बयान में कहा गया कि बैठक में शामिल प्रतिभागियों ने कहा कि भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच व्यापार और वाणिज्य बढ़ाने के लिए क्षेत्रीय संपर्क का विकास जरूरी है.
इसमें 'इन देशों का भारत के साथ जमीनी संपर्क नहीं होने' का उल्लेख किया गया है, जिसे पाकिस्तान द्वारा भारत को अफगानिस्तान एवं उससे परे तक पहुंच प्रदान करने की अनिच्छा से परोक्ष रूप से जोड़कर देखा जा रहा है.
भारत क्षेत्रीय व्यापार को मजबूती प्रदान करने, विशेष रूप से अफगानिस्तान तक संपर्क को बढ़ाने के लिए चाबहार बंदरगाह परियोजना पर जोर दे रहा है. बैठक में संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (यूएनडब्ल्यूएफपी) के प्रतिनिधि ने अफगानिस्तान में गेहूं आपूर्ति सहायता के लिए भारत और यूएनडब्ल्यूएफपी के बीच चल रहे सहयोग पर प्रस्तुति दी.
बयान के अनुसार, अफगानिस्तान के महा वाणिज्यदूत ने अफगान लोगों के लिए मानवीय सहायता तथा अफगान व्यापारियों के लिए आर्थिक अवसर प्रदान करने के लिए चाबहार बंदरगाह के महत्व पर जोर दिया. ईरान के दक्षिणी तटीय क्षेत्र में सिस्तान-बलोचिस्तन प्रांत में स्थित चाबहार बंदरगाह का विकास भारत और ईरान मिलकर कर रहे हैं.
चाबहार बंदरगाह पर भारत-मध्य एशिया संयुक्त कार्य समूह की पहली बैठक की अध्यक्षता विदेश मंत्रालय में सचिव (आर्थिक संबंध) दम्मू रवि ने की. बैठक में कजाकिस्तान, किर्गीज गणराज्य, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के उप मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया.
पढ़ें- भारत ने चाबहार बंदरगाह के लिए ईरान से दोहराया समर्थन
(पीटीआई-भाषा)