कोलकाता : एक शीर्ष राजनयिक ने कहा कि राफेल-एम को यूएस-निर्मित सुपर हॉर्नेट के खिलाफ (Against the US made Super Hornet) खड़ा किया गया है. दोनों का मूल्यांकन भारतीय नौसेना द्वारा 44000 टन के आईएनएस विक्रांत पर तैनाती के लिए संभावित खरीद के लिए किया जा रहा है, जिसका अरब सागर और खाड़ी में परीक्षण चल रहा है.
भारत में फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनिन (Emmanuel Lenin, Ambassador of France to India) ने पत्रकारों से कहा कि आपके (भारत के) कैरियर के डेक से इसके (राफेल-मरीन) टेक-ऑफ (क्षमता) की जांच करने के लिए परीक्षण किए गए हैं और इसने बहुत अच्छा किया है. भारत के नए विमानवाहक पोत को स्की-जंप लॉन्च जहाज के रूप में डिजाइन किया गया है, जो ऐसे कई अन्य वाहकों से अलग है.
परिणामस्वरूप भारतीय नौसेना द्वारा चयनित विमान सभी हथियार प्रणालियों और पूर्ण ईंधन भार को ले जाने के लिए इस तरह से उड़ान भरने में सक्षम होने चाहिए. लेनिन ने कहा कि राफेल-एम जेट का पिछले महीने गोवा की आईएनएस हंसा सुविधा में 283 मीटर मॉक स्की-जंप सुविधा का उपयोग करके 12 दिनों के लिए परीक्षण किया गया. स्की-जंप रैंप उपयोग करता है जिसे नौसेना के विशेषज्ञ शॉर्ट टेक-ऑफ लेकिन अरेस्ट रिकवरी (STOBAR) तकनीक कहते हैं.
रक्षा सूत्रों ने कहा कि आपूर्तिकर्ताओं ने राफेल-एम और सुपर हॉर्नेट दोनों को भारतीय आदेश के लिए उपयुक्त बनाने के लिए संशोधन किया है. उन्होंने कहा कि नौसेना एक ऐसे विमान की तलाश में थी जो परमाणु भार, हवा से हवा और हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल और सटीक निर्देशित बम पहुंचाने में सक्षम हो. नौसेना शुरू में अपने विमानवाहक पोत के लिए 26 जेट खरीदना चाहती है. हालांकि उसने 2017 में वाहकों से लॉन्च होने में सक्षम 57 मल्टीरोल विमानों के लिए अनुरोध (आरएफआई) जारी किया था.
राजदूत लेनिन ने बताया कि भारतीय वायु सेना पहले से ही राफेल लड़ाकू जेट का उपयोग कर रही थी और विमान से बहुत संतुष्ट हैं. उन्होंने कहा कि चूंकि भारतीय वायुसेना के पास राफेल जेट हैं, इसलिए नौसेना का आदेश समानता पर आधारित होगा. उन्होंने कहा कि हमने पिछले ऑर्डर में पहले ही 35 राफेल की आपूर्ति कर दी है और 36 को अप्रैल की समय सीमा से पहले भेजकर पूरा कर लेंगे. भारत ने 2016 में डसॉल्ट के साथ जेट विमानों के लिए फ्लाई-अवे स्थिति में ऑर्डर दिया था.
(PTI)