MP First Online Gaming Academy: देश में एक ओर पब्जी पर बैन है, तो वहीं दूसरी और मध्यप्रदेश का खेल विभाग अब ऑनलाइन गेमिंग के लिए अकादमी खोलने जा रहा है, जो संभवत देश में अपने आप में पहली अकादमी होगी. अभी तक आपने खेलों की अकादमी में उन खेलों को देखा होगा, जिसमें बच्चे आगे चलकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक हासिल करते हैं और अपने शारीर को बेहतर करते हैं, लेकिन मध्यप्रदेश का खेल विभाग ऑनलाइन गेमिंग के लिए अब अकादमी खोल रहा है.
ऑनलाइन गेमिंग के लिए देशभर से बच्चों का रजिस्ट्रेशन भी किया गया है, अभी तक 40,000 से अधिक बच्चों ने इसके लिए रजिस्ट्रेशन भी करा लिया है. तो वहीं दूसरी ओर स्पोर्ट्स चैंपियनशिप का आयोजन भी आज से शुरू हो गया है, 10 अगस्त तक चलने वाली इस चैंपियनशिप मैं 12 साल से 17 साल की गेमर्स हिस्सा ले सकते हैं, जो घर बैठे ही इस चैंपियनशिप में शामिल होंगे. इसके बाद इन सभी बच्चों में से 200 प्रतिभागियों का चयन किया जाएगा, जो इस ई गेमिंग अकादमी में शामिल होंगे.
नुकसानदायक नहीं है मोबाइल गेमिंग: स्पोर्ट्स अकादमी को लेकर बिगबैंग मीडिया वेंचर के सीईओ और एमडी रवनीत गिल से ईटीवी भारत से खास बातचीत की और बताया कि आखिर किस तरह से मोबाइल गेमिंग के माध्यम से बच्चे खेलों में भी पदक ला सकते हैं और इसके नुकसान क्यों नहीं हैं. बच्चों को आउटडोर खेल की जगह इनडोर मोबाइल देने के सवाल पर रवनीत गिल कहते हैं कि "आज के समय में ऐसा कोई भी देश या जगह नहीं है, जहां बच्चों मोबाइल का उपयोग नहीं करते हों. यह हर व्यक्ति की दिनचर्या में शुमार हो गया है, लेकिन इस एकेडमी में बच्चों को 250 घंटे की ट्रेनिंग दी जाएगी, जिसमें उन्हें यह भी बताया जाएगा कि वह अपने शरीर का कितना ध्यान रखें और कितनी देर मोबाइल का उपयोग करें."
लेकिन मोबाइल से होने वाले नुक्सान के सवालों को रवनीत टालते गए, उनसे जब पूछा गया कि एक ओर सरकार और अभिभावक मोबाइल के पब्जी जैसे गेमों को आपराधिक प्रवृत्ति से जोड़कर मानते हैं, तो कहीं ना कहीं बच्चे इन गैम से भी मानसिक रूप से आपराधिक गतिविधियों में नहीं जुड़ेंगे? इस पर उनका कहना था कि "इनके सॉफ्टवेयर में उस तरह से डिजाइन नहीं किया गया है कि बच्चे आपराधिक प्रवृत्ति से जुड़े, लेकिन गेमों को इस तरह से बनाया गया है कि बच्चे उसे खेल सकें, जिसमें पैसे का लेनदेन भी नहीं है."
मील का पत्थर साबित होगी एकेडमी: इधर खेल विभाग के डायरेक्टर रवि गुप्ता भी मानते हैं कि "इन खेलों को जब एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम में सिलेक्ट किया गया है, तो निश्चित ही आने वाले दिनों में मोबाइल गेमिंग कंपटीशन भी राष्ट्रीय खेलों में नजर आएंगे. इसलिए मध्यप्रदेश की यह अकादमी मील का पत्थर साबित होगी और इसके माध्यम से मध्यप्रदेश के साथ ही देश के खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक के साथ पैसा भी कमा पाएंगे."
बेहतर प्रदर्शन करने वालों को मिलेगी स्कॉलरशिप: खेल विभाग के डायरेक्टर रवि गुप्ता बताते हैं कि "मध्य प्रदेश का खेल विभाग पहली जूनियर ई स्पोर्ट्स चैंपियनशिप आयोजित कर रही है, इसके माध्यम से चयनित बच्चों को मध्य प्रदेश की ई गेमिंग अकादमी में शामिल किया जाएगा. इसके लिए मध्य प्रदेश के युवाओं को 80% तथा 20% सीट देश के अन्य युवाओं के लिए रिजर्व की गई है, यह सभी युवा बैटल ग्राउंड मोबाइल इंडिया गेम के माध्यम से इस प्रतियोगिता में शामिल होंगे. चयनित इन 200 प्रतिभागियों को खेल अकादमी में ऑनलाइन गेमिंग की ट्रेनिंग भी दी जाएगी, साथ ही बेहतर प्रदर्शन करने वालों को स्कॉलरशिप भी विभाग की ओर से दी जाएगी. यह सभी खिलाड़ी आगे चलकर ऑनलाइन गेमिंग के डेवलपर, डाटा एनालिस्ट और ऑनलाइन गेमिंग में प्रोफेशनल करियर बना सकेंगे."
ऑनलाइन चैंपियनशिप में चयन की प्रक्रिया: ऑनलाइन चैंपियनशिप में 12 से 17 साल के कोई भी बच्चे हिस्सा ले सकते हैं, यह घर बैठे इस चैंपियनशिप में शामिल हो सकते हैं. 1 अगस्त से 10 अगस्त तक यह चैंपियनशिप चलेगी, इसके लिए मध्यप्रदेश के खेल विभाग ने ऑनलाइन गेमिंग स्पोर्ट्स कंपनी से टाइअप किया है. कंपनी ने बैटल ग्राउंड के माध्यम से ऐसा गेम तैयार किया है, जिसमें एक लिंक क्लिक करने पर खिलाड़ी उसमें शामिल हो सकते हैं. इसमें उसकी अलग से एक आईडी होगी, इस आईडी के माध्यम से उसके परफॉर्मेंस के हिसाब से ही उसे व्यक्तिगत रूप से चयन किया जाएगा. इसके साथ ही टीम बनाकर भी इस खेल को खेला जा सकेगा.
वहीं दूसरी ओर इस अकादमी को लेकर अभिभावकों में विरोध देखा जा रहा है, मध्य प्रदेश पालक संघ के अध्यक्ष कमल विश्वकर्मा ने इस अकादमी को बंद करने की मांग की है. कमल का कहना है कि "एक और बच्चे वैसे ही मोबाइल में दिनभर लगे रहते हैं, तो वहीं दूसरी और मोबाइल गेम के माध्यम से बच्चों में आपराधिक और हिंसक प्रवृत्ति विकसित होती है. जिसका सबसे बड़ा उदाहरण पब्जी गेम था, जिस वजह से बच्चे और हिंसक व अपराधिक गतिविधियों में लिप्त हो जाएंगे, इसलिए इस अकादमी को शुरू नहीं किया जाना चाहिए."
अभिभावकों को रास नहीं आई अकादमी: वहीं दूसरी और अभिभावक राजकुमार जैन कहते हैं कि "आज के समय में बच्चे वैसे ही बाहर खेले जाने वाले खेलों से दूर हो गए हैं और घर ही घर में रहते हैं. अगर खेल विभाग ही घर बैठे मोबाइल खेलों को बढ़ावा देगा, तो बच्चे आउटडोर खेलों की ओर कैसे आकर्षित होंगे. क्योंकि दौड़ भाग आदि करने से बच्चों का व्यायाम होता है और वह स्वस्थ रहते हैं, लेकिन मोबाइल हाथ में रहने से और कई घंटे उसके सामने बैठने से बच्चे मोटापे का भी शिकार होते हैं और शारीरिक रूप से कमजोर भी हो जाते हैं. इसलिए ऐसी अकादमिओं की जगह अन्य खेलो में बच्चों को आगे बढ़ाना चाहिए."
शुरुआत से पहले ही सवालों से घिरी अकादमी: फिलहाल तो इस ई गेमिंग चैंपियनशिप का शुभारंभ आज शाम से हुआ है, जिसे शुरुआत खेल विभाग के डायरेक्टर और गेमिंग कंपनी के अधिकारी ने की है, इसमें चयनित छात्रों को मध्य प्रदेश की ई गेमिंग स्पोर्ट अकैडमी में सिलेक्शन दिया जाएगा. लेकिन यह अकादमी शुरू होने के पहले ही सवालों में आ गई है.