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कोवैक्स सिस्टम के तहत गरीब देशों को 33 मिलियन टीके निर्यात करेगा भारत - टीके निर्यात करेगा भारत

एशियन सोसाइटी फॉर इमेरंजेंसी मेडिसन के अध्यक्ष और वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ तमोरिश कोल ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि Gavi-Covax एलायंस गरीब देशों में टीकाकरण को बढ़ावा देने के लिए की गई एक सार्वजनिक-निजी वैश्विक स्वास्थ्य साझेदारी है. इसके तहत भारत ने 33 मिलियन डोज गरीब देशों में भेजा है.

कोवैक्स सिस्टम
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Published : Mar 8, 2021, 5:17 PM IST

नई दिल्ली : भारत के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सोमवार को कहा कि भारत को पूरी दुनिया के लिए वैक्सीन हब के रूप में उभरना चाहिए, क्योंकि यह पहले ही 33 मिलियन से अधिक वैक्सीन को विभिन्न देशों में Gavi-Covax प्रणाली के तहत निर्यात कर चुका है.

इस संबंध में एशियन सोसाइटी फॉर इमेरंजेंसी मेडिसन के अध्यक्ष और वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ तमोरिश कोल ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि Gavi-Covax एलायंस गरीब देशों में टीकाकरण को बढ़ावा देने के लिए की गई एक सार्वजनिक-निजी वैश्विक स्वास्थ्य साझेदारी है. इसके लिए भारत ने पहले ही 33 मिलियन शॉट्स का निर्यात किया है, जो कि देश में प्रशासित खुराक से तीन गुना ज्यादा है. यह विश्वभर में कोविड19 से लड़ने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

दो फरवरी को कोवैक्स कार्यक्रम के तहत सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) से कोरोना वायरस टीके के 600,000 खुराकों के शिपमेंट को प्राप्त करने वाला घाना दुनिया का पहला देश बना.

डॉ कोल ने कहा कि भारत को दुनिया के लिए एक वैक्सीन हब के रूप में उभरना चाहिए, गावी का लक्ष्य 2021 में दो बिलियन खुराक देने का है.भारत पूरी कोशिश कर रहा है, लेकिन दुनिया के नेताओं को वैक्सीन इक्विटी को ध्यान से देखना चाहिए. कोविड19 के खिलाफ वैश्विक रक्षा के लिए यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है.

डॉ कोले ने बताया कि 504,000 वैक्सीन की खुराक की एक शिपमेंट आइवरी कोस्ट तक पहुंच गई हैं. यह पहला मौका है, जब इतने सारे साथी एक साथ यह सुनिश्चित करने के लिए साथ आए हैं कि यह टीके, जिनमें अरबों लोगों की जान बचाने की क्षमता है, वे पूरी दुनिया में लोगों तक समान रूप से पहुंच सकें.

ईटीवी भारत में यूनिसेफ के प्रतिनिधि डॉ यास्मीन अली हक ने कहा कि इन जीवनरक्षक टीकों की समान वैश्विक पहुंच महामारी को मात देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है.

गावी द्वारा सह-नेतृत्व वाली कोविक्स की सुविधा महामारी संबंधी पूर्वप्रवृत्ति नवाचारों (CEPI) के लिए गठबंधन और डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ के साथ मिलकर मार्च तक 80 मिलियन खुराक भेजने और अनुमोदित कोविड 19 टीकों के कम से कम 2 बिलियन खुराक प्रदान करने का लक्ष्य रखते हैं. कोवैक्स सुविधा की मदद से UNICEF से 92 निम्न और निम्न मध्यम आय वाले देशों के लिए कोविड19 वैक्सीन की खरीद और आपूर्ति करने के लिए अन्य संगठनों के सहयोग से प्रयास कर रहा है, ताकि वे अपने स्वास्थ्य कर्मियों की देखभाल और सामाज को सुरक्षित कर सकें.

उल्लेखनीय है कि इन दो बिलियन खुराकों में से अधिकांश खुराक सीरम द्वारा दी जाएंगी.

पढ़ें - कोरोना काल में महिलाओं के योगदान को समर्पित है 'महिला दिवस 2021'

इसके अलावा पुणे जिसके पास एस्ट्रा जेनेका और नोवावैक्स का लाइसेंस समझौता है, भारत का विनिर्माण आधार अमीर और गरीब देशों के बीच अंतर को बंद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.

डॉ यास्मीन का कहना है कि यूनिसेफ भारत से 82 कम और मध्यम आय वाले देशों को कोवैक्स टीके भेजेगा. कोवैक्स डब्ल्यूएचओ प्रमाणित टीके प्रदान करती है.

डॉ यास्मीन ने कहा कि एस्ट्रा जेनेका के टीके को15 फरवरी को डब्ल्यूएचओ का सर्टिफिकेट मिला है और जैसे ही डब्ल्यूएचओ अन्य टीकों को सर्टिफिकेट मिलता है, उनकी कीमत और सामर्थ्य के आधार पर अन्य आपूर्तिकर्ताओं को इससे जोड़ा जाएगा.

उन्होंने कहा कि टीकों की न्यायसंगत पहुंच महामारी को रोकने में बहुत योगदान देगी.

डॉ यास्मीन ने कहा कि महामारी के कारण बच्चों और महिलाओं को वह आवश्यक सेवाएं नहीं मिली हैं, जिनकी उनकी जरूरत है. अब फ्रंटलाइन वर्करस का टीकाकरण हो गया है, अब जल्द ही यह सेवांए शुरू की हैं.

नई दिल्ली : भारत के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सोमवार को कहा कि भारत को पूरी दुनिया के लिए वैक्सीन हब के रूप में उभरना चाहिए, क्योंकि यह पहले ही 33 मिलियन से अधिक वैक्सीन को विभिन्न देशों में Gavi-Covax प्रणाली के तहत निर्यात कर चुका है.

इस संबंध में एशियन सोसाइटी फॉर इमेरंजेंसी मेडिसन के अध्यक्ष और वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ तमोरिश कोल ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि Gavi-Covax एलायंस गरीब देशों में टीकाकरण को बढ़ावा देने के लिए की गई एक सार्वजनिक-निजी वैश्विक स्वास्थ्य साझेदारी है. इसके लिए भारत ने पहले ही 33 मिलियन शॉट्स का निर्यात किया है, जो कि देश में प्रशासित खुराक से तीन गुना ज्यादा है. यह विश्वभर में कोविड19 से लड़ने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

दो फरवरी को कोवैक्स कार्यक्रम के तहत सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) से कोरोना वायरस टीके के 600,000 खुराकों के शिपमेंट को प्राप्त करने वाला घाना दुनिया का पहला देश बना.

डॉ कोल ने कहा कि भारत को दुनिया के लिए एक वैक्सीन हब के रूप में उभरना चाहिए, गावी का लक्ष्य 2021 में दो बिलियन खुराक देने का है.भारत पूरी कोशिश कर रहा है, लेकिन दुनिया के नेताओं को वैक्सीन इक्विटी को ध्यान से देखना चाहिए. कोविड19 के खिलाफ वैश्विक रक्षा के लिए यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है.

डॉ कोले ने बताया कि 504,000 वैक्सीन की खुराक की एक शिपमेंट आइवरी कोस्ट तक पहुंच गई हैं. यह पहला मौका है, जब इतने सारे साथी एक साथ यह सुनिश्चित करने के लिए साथ आए हैं कि यह टीके, जिनमें अरबों लोगों की जान बचाने की क्षमता है, वे पूरी दुनिया में लोगों तक समान रूप से पहुंच सकें.

ईटीवी भारत में यूनिसेफ के प्रतिनिधि डॉ यास्मीन अली हक ने कहा कि इन जीवनरक्षक टीकों की समान वैश्विक पहुंच महामारी को मात देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है.

गावी द्वारा सह-नेतृत्व वाली कोविक्स की सुविधा महामारी संबंधी पूर्वप्रवृत्ति नवाचारों (CEPI) के लिए गठबंधन और डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ के साथ मिलकर मार्च तक 80 मिलियन खुराक भेजने और अनुमोदित कोविड 19 टीकों के कम से कम 2 बिलियन खुराक प्रदान करने का लक्ष्य रखते हैं. कोवैक्स सुविधा की मदद से UNICEF से 92 निम्न और निम्न मध्यम आय वाले देशों के लिए कोविड19 वैक्सीन की खरीद और आपूर्ति करने के लिए अन्य संगठनों के सहयोग से प्रयास कर रहा है, ताकि वे अपने स्वास्थ्य कर्मियों की देखभाल और सामाज को सुरक्षित कर सकें.

उल्लेखनीय है कि इन दो बिलियन खुराकों में से अधिकांश खुराक सीरम द्वारा दी जाएंगी.

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इसके अलावा पुणे जिसके पास एस्ट्रा जेनेका और नोवावैक्स का लाइसेंस समझौता है, भारत का विनिर्माण आधार अमीर और गरीब देशों के बीच अंतर को बंद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.

डॉ यास्मीन का कहना है कि यूनिसेफ भारत से 82 कम और मध्यम आय वाले देशों को कोवैक्स टीके भेजेगा. कोवैक्स डब्ल्यूएचओ प्रमाणित टीके प्रदान करती है.

डॉ यास्मीन ने कहा कि एस्ट्रा जेनेका के टीके को15 फरवरी को डब्ल्यूएचओ का सर्टिफिकेट मिला है और जैसे ही डब्ल्यूएचओ अन्य टीकों को सर्टिफिकेट मिलता है, उनकी कीमत और सामर्थ्य के आधार पर अन्य आपूर्तिकर्ताओं को इससे जोड़ा जाएगा.

उन्होंने कहा कि टीकों की न्यायसंगत पहुंच महामारी को रोकने में बहुत योगदान देगी.

डॉ यास्मीन ने कहा कि महामारी के कारण बच्चों और महिलाओं को वह आवश्यक सेवाएं नहीं मिली हैं, जिनकी उनकी जरूरत है. अब फ्रंटलाइन वर्करस का टीकाकरण हो गया है, अब जल्द ही यह सेवांए शुरू की हैं.

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