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भारत ने किया एस्ट्रा प्रणाली पर आधारित मिसाइल का पहला परीक्षण - वर्टिकली लॉन्च्ड शॉर्ट रेंज सर्फेस-टू-एयर मिसाइल

भारत ने सोमवार को ओडिशा के बालासोर तट से वर्टिकली लॉन्च्ड शॉर्ट रेंज सर्फेस-टू-एयर मिसाइल (VLSRSAM) का पहला परीक्षण किया. इस मिसाइल को डीआरडीओ द्वारा विकसित किया गया है.

एस्ट्रा प्रणाली पर आधारित मिसाइल
एस्ट्रा प्रणाली पर आधारित मिसाइल
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Published : Feb 22, 2021, 6:32 PM IST

Updated : Feb 22, 2021, 8:55 PM IST

बालासोर : भारत ने सोमवार को ओडिशा के बालासोर तट से वर्टिकली लॉन्च्ड शॉर्ट रेंज सर्फेस-टू-एयर मिसाइल (VLSRSAM) का पहला परीक्षण किया. इसे डीआरडीओ द्वारा विकसित किया गया है.

यह मिसाइल एस्ट्रा प्रणाली पर आधारित है और हवाई खतरों को बेअसर करने में सक्षम है.

बता दें कि भारत ने इससे पहले स्वदेश में विकसित टैंक रोधी गाइडेड मिसाइल प्रणालियों 'हेलिना' और 'ध्रुवास्त्र' का सफल परीक्षण किया था. इन मिसाइलों को थल सेना और वायु सेना में शामिल किया जाना है.

रक्षा मंत्रालय ने इन मिसाइलों को विश्व में सबसे उन्नत टैंक रोधी हथियारों में से एक बताया है. इन मिसाइलों का राजस्थान के पोखरण रेगिस्तान में परीक्षण किया गया था. यह प्रणाली सभी मौसम में और दिन या रात में लक्ष्य साधने में सक्षम है और इससे टैंकों को निशाना बनाया जा सकता है.

यह भी पढ़ें- हेलीकॉप्टर से स्वदेश में निर्मित हेलीना टैंक रोधी मिसाइल का प्रक्षेपण सफल

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, न्यूनतम और अधिकतम रेंज में मिसाइलों की क्षमताओं के मूल्यांकन के लिए पांच मिशन संचालित किए गए. मिसाइल प्रणालियों को डीआरडीओ द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है.

बालासोर : भारत ने सोमवार को ओडिशा के बालासोर तट से वर्टिकली लॉन्च्ड शॉर्ट रेंज सर्फेस-टू-एयर मिसाइल (VLSRSAM) का पहला परीक्षण किया. इसे डीआरडीओ द्वारा विकसित किया गया है.

यह मिसाइल एस्ट्रा प्रणाली पर आधारित है और हवाई खतरों को बेअसर करने में सक्षम है.

बता दें कि भारत ने इससे पहले स्वदेश में विकसित टैंक रोधी गाइडेड मिसाइल प्रणालियों 'हेलिना' और 'ध्रुवास्त्र' का सफल परीक्षण किया था. इन मिसाइलों को थल सेना और वायु सेना में शामिल किया जाना है.

रक्षा मंत्रालय ने इन मिसाइलों को विश्व में सबसे उन्नत टैंक रोधी हथियारों में से एक बताया है. इन मिसाइलों का राजस्थान के पोखरण रेगिस्तान में परीक्षण किया गया था. यह प्रणाली सभी मौसम में और दिन या रात में लक्ष्य साधने में सक्षम है और इससे टैंकों को निशाना बनाया जा सकता है.

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रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, न्यूनतम और अधिकतम रेंज में मिसाइलों की क्षमताओं के मूल्यांकन के लिए पांच मिशन संचालित किए गए. मिसाइल प्रणालियों को डीआरडीओ द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है.

Last Updated : Feb 22, 2021, 8:55 PM IST
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