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भारत नवीकरणीय ऊर्जा, गैस ऊर्जा का इस्तेमाल कर कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन कम कर सकता है: रिपोर्ट

भारत नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable energy) एवं गैस ऊर्जा के इस्तेमाल के जरिए विद्युत क्षेत्र में होने वाले उत्सर्जन को काफी कम कर सकता है. जीई गैस पावर ने 'द की टू इंडियाज एनर्जी फ्यूचर' शीर्षक से जारी रिपोर्ट में ऐसा कहा है.

Renewable energy
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Published : Oct 11, 2021, 7:00 PM IST

नई दिल्ली : जीई गैस पावर ने सोमवार को कहा कि भारत नवीकरणीय ऊर्जा एवं गैस ऊर्जा के त्वरित और रणनीतिक इस्तेमाल के जरिए विद्युत क्षेत्र में होने वाले उत्सर्जन को काफी कम कर सकता है.

जीई गैस पावर ने 'द की टू इंडियाज एनर्जी फ्यूचर' (भारत के ऊर्जा भविष्य की कुंजी) शीर्षक से एक स्थिति पत्र जारी किया, जिसमें विद्युत क्षेत्र के कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कटौती करने और लगभग शून्य कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन वाली विद्युत उत्पादन प्रौद्योगिकी को अपनाने की भारत की तत्काल जरूरत पर चर्चा की गई है.

जीई गैस पावर के एक बयान के अनुसार, स्थिति पत्र नीतिगत कार्रवाइयों की वकालत करता है और रूपरेखा तैयार करता है जो भारत में सभी के लिए सस्ती, विश्वसनीय एवं सतत बिजली के साथ एक स्वच्छ अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने में मदद कर सकता है.

इसमें कहा गया, 'भारत नवीकरणीय ऊर्जा और गैस ऊर्जा के त्वरित एवं रणनीतिक इस्तेमाल के जरिए विद्युत क्षेत्र के उत्सर्जन में महत्वपूर्ण कमी ला सकता है.' स्थिति पत्र के मुताबिक भारत जीवाश्म ईंधन आधारित विद्युत उत्पादन के प्रभुत्व वाले विद्युत क्षेत्र से उत्सर्जन के कारण पर्यावरण से जुड़ी महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रहा है.

भारत में विद्युत क्षेत्र कुल कार्बन डाइऑक्साईड उत्सर्जन में 49 प्रतिशत का योगदान देता है, जबकि वैश्विक औसत 41 प्रतिशत है. दूसरी ओर, भारत में बिजली की मांग 2018 से 2040 के दौरान पांच प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ने की उम्मीद है. इसमें कहा गया कि ऐसे पैमाने पर स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को तत्काल अपनाना महत्वपूर्ण है जो एक दूसरे के पूरक हो पाएं और विद्युत सृजन के सतत स्रोतों के निर्माण की दिशा में वृद्धि के वाहक के तौर पर काम करें.

पढ़ें- रिपोर्ट : नवीकरणीय ऊर्जा को आसानी से हासिल कर सकता है भारत

जीई गैस पावर साउथ एशिया (दक्षिण एशिया) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) दीपेश नंदा ने कहा, 'विद्युत उत्पादन के लिए कम से शून्य तक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन करने वाले ईंधन का इस्तेमाल करने की दिशा में भारत की रणनीति, क्षेत्र के साथ-साथ विश्व स्तर पर ऊर्जा क्षेत्र में एक आमूलचूल बदलाव ला रही है.'

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : जीई गैस पावर ने सोमवार को कहा कि भारत नवीकरणीय ऊर्जा एवं गैस ऊर्जा के त्वरित और रणनीतिक इस्तेमाल के जरिए विद्युत क्षेत्र में होने वाले उत्सर्जन को काफी कम कर सकता है.

जीई गैस पावर ने 'द की टू इंडियाज एनर्जी फ्यूचर' (भारत के ऊर्जा भविष्य की कुंजी) शीर्षक से एक स्थिति पत्र जारी किया, जिसमें विद्युत क्षेत्र के कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कटौती करने और लगभग शून्य कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन वाली विद्युत उत्पादन प्रौद्योगिकी को अपनाने की भारत की तत्काल जरूरत पर चर्चा की गई है.

जीई गैस पावर के एक बयान के अनुसार, स्थिति पत्र नीतिगत कार्रवाइयों की वकालत करता है और रूपरेखा तैयार करता है जो भारत में सभी के लिए सस्ती, विश्वसनीय एवं सतत बिजली के साथ एक स्वच्छ अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने में मदद कर सकता है.

इसमें कहा गया, 'भारत नवीकरणीय ऊर्जा और गैस ऊर्जा के त्वरित एवं रणनीतिक इस्तेमाल के जरिए विद्युत क्षेत्र के उत्सर्जन में महत्वपूर्ण कमी ला सकता है.' स्थिति पत्र के मुताबिक भारत जीवाश्म ईंधन आधारित विद्युत उत्पादन के प्रभुत्व वाले विद्युत क्षेत्र से उत्सर्जन के कारण पर्यावरण से जुड़ी महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रहा है.

भारत में विद्युत क्षेत्र कुल कार्बन डाइऑक्साईड उत्सर्जन में 49 प्रतिशत का योगदान देता है, जबकि वैश्विक औसत 41 प्रतिशत है. दूसरी ओर, भारत में बिजली की मांग 2018 से 2040 के दौरान पांच प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ने की उम्मीद है. इसमें कहा गया कि ऐसे पैमाने पर स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को तत्काल अपनाना महत्वपूर्ण है जो एक दूसरे के पूरक हो पाएं और विद्युत सृजन के सतत स्रोतों के निर्माण की दिशा में वृद्धि के वाहक के तौर पर काम करें.

पढ़ें- रिपोर्ट : नवीकरणीय ऊर्जा को आसानी से हासिल कर सकता है भारत

जीई गैस पावर साउथ एशिया (दक्षिण एशिया) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) दीपेश नंदा ने कहा, 'विद्युत उत्पादन के लिए कम से शून्य तक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन करने वाले ईंधन का इस्तेमाल करने की दिशा में भारत की रणनीति, क्षेत्र के साथ-साथ विश्व स्तर पर ऊर्जा क्षेत्र में एक आमूलचूल बदलाव ला रही है.'

(पीटीआई-भाषा)

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