नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र की दूसरी समिति में 'सतत विकास, वैश्वीकरण और परस्पर निर्भरता के लिए आईसीटी' पर एक चर्चा के दौरान भारत की प्रथम सचिव स्नेहा दुबे ने कहा कि 'महामारी के दौरान भी भारत ने गरीबों के लिए अद्वितीय सामाजिक सुरक्षा पहल की. इसकी पहुंच व्यापक रही.'
महामारी के दौरान भी भारत ने आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया. भारत 20 करोड़ से अधिक महिलाओं को वित्तीय प्रणाली की मुख्यधारा में लाया. स्नेहा दुबे ने बताया कि महामारी के दौरान लगभग 80 करोड़ लोगों को मुफ्त भोजन कराया गया. इसके साथ ही 40 करोड़ लोगों को आर्थिक सहायता दी गई. राशि उनके खातों में सीधे ट्रांसफर की गई. यह संभव हो सका डिजिटल रूप से सक्षम प्रौद्योगिकी के जरिए.
उन्होंने कहा कि 'वित्तीय समावेशन में तेजी लाई गई है और डिजिटल लेनदेन में तेजी लाई गई है, जिससे 20 करोड़ से अधिक भारतीय महिलाओं को वित्तीय प्रणाली की मुख्यधारा में लाया गया है और इस तरह आर्थिक सशक्तिकरण की शुरुआत हुई है.'
उन्होंने कहा कि 'लगभग दो वर्षों से दुनिया वैश्विक महामारी से जूझ रही है. भारत ने इस स्थिति से निपटने के लिए कारगर प्रयास किए हैं. इस संकट से निपटने के हमारे अब तक के साझा अनुभव ने दिखाया है कि जब हम साथ मिलकर काम करते हैं तो हम और मजबूत होते हैं. लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है.'
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र जनरल की नवीनतम रिपोर्ट इस बात की पुष्टि करती है कि सतत विकास के लिए विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार कोविड से मुकाबला करने में महत्वपूर्ण रहे हैं.
स्नेहा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि जैसे-जैसे भारत महामारी से निपटने के लिए आगे बढ़ा है, उसने अन्य देशों को भी सहयोग देने का प्रयास किया. दुबे ने कहा, चाहे वह 150 से अधिक देशों के लिए चिकित्सा सहायता हो या दुनिया के साथ अपनी वैक्सीन उत्पादन वितरण क्षमताओं को साझा करना हो.
आरोग्य सेतु, कोविन एप का किया जिक्र
दुबे ने कहा, 'हमारे स्वदेशी आईटी प्लेटफॉर्म आरोग्य-सेतु ने कोविड संपर्क की पहचान के लिए प्रभावी सुविधा प्रदान की. भारत का कोविन एप टीकाकरण के प्रबंधन के लिए एक खुला मंच है जो लाखों लोगों को टीके की सुविधा प्रदान करता है.'
राजनयिक ने कहा कि भारत ने इस प्रकार एक मजबूत, पारदर्शी और जीवंत डिजिटल सिस्टमैटिक्स बनाया है जो समावेशी और सशक्त है. गरीबी से निपटने, आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और कोविड के समय में उत्पादकता में सुधार के लिए यह बहुत आवश्यक समाधान पेश करता है.
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उन्होंने कहा, 'हालांकि, हम इस बात से इनकार नहीं कर सकते हैं कि प्रौद्योगिकियां भी अभूतपूर्व चुनौतियां पैदा कर रही हैं. इनमें गोपनीयता पर हमला, गलत सूचना और दुष्प्रचार को बढ़ावा देना, साइबर हमलों के माध्यम से महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की घुसपैठ, मानवाधिकारों के लिए खतरा और डिजिटल विभाजन को बढ़ाना शामिल हैं.