ETV Bharat / bharat

आस्लो में अफगानिस्तान के प्रतिनिधियों से मिले भारत और पाकिस्तान के दूत, अफगानी नेताओं ने जताया विरोध - ओस्लो में तालिबान के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत

दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत हुई. विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि बैठक का तालिबान शासन पर भारत की स्थिति से कोई लेना-देना नहीं है. हालांकि, भारत ने पिछले साल काबुल में तकनीकी टीम तैनात की थी.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Jun 17, 2023, 7:59 AM IST

नई दिल्ली : अपनी तरह के पहले मामले में भारत और पाकिस्तान के विशेष दूत ने ओस्लो में तालिबान के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की. तालिबान के खिलाफ रहने वाले अफगान राजनयिकों और कार्यकर्ताओं ने इस बैठक का विरोध किया. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि भारत और पाकिस्तान काबुल में तालिबान शासन को वैध बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

हालांकि भारत अभी तक 2021 में काबुल पर कब्जा करने वाले तालिबान प्रशासन को मान्यता नहीं दी है. बैठक के बारे में पूछे जाने पर, विदेश मंत्रालय में घटनाक्रम से परिचित एक व्यक्ति ने कहा कि ओस्लो में पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा एक सम्मेलन आयोजित किया गया है, जिसमें भारत और पाकिस्तान के अलावा कई अन्य देशों ने भाग लिया. विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने माना की तालिबान के प्रतिनिधियों से भी बातचीत हुई है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इसका तालिबान शासन पर भारत की स्थिति से कोई लेना-देना नहीं है.

इस सवाल पर कि क्या भारत और पाकिस्तान के प्रतिनिधियों के बीच पर्दे के पीछे कोई बातचीत हुई, अधिकारी ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच कोई द्विपक्षीय बातचीत नहीं हुई. सूत्रों के अनुसार, संघर्ष और शांति कूटनीति पर केंद्रित दो दिवसीय वार्षिक शिखर सम्मेलन के हिस्से के रूप में तालिबान के अधिकारी सिविल सोसाइटी के सदस्यों और राजनयिकों के साथ बैठकों की एक श्रृंखला के लिए नॉर्वे में मौजूद थे.

इससे पहले, भारत और पाकिस्तान ने रूस द्वारा आयोजित मास्को प्रारूप में बातचीत और अफगानिस्तान की स्थिति पर दोहा में आयोजित चर्चा में भाग लिया था. 20 साल के युद्ध के बाद अफगानिस्तान के गंभीर मानवीय संकट की पृष्ठभूमि के बीच तालिबान के अधिकारियों ने नॉर्वे का दौरा किया. यह यात्रा महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पहली बार है जब भारत और पाकिस्तान को किसी यूरोपीय देश में चर्चा में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है.

विदेश, रक्षा और आंतरिक मंत्रालयों के अफगान अधिकारियों ने नॉर्वे की आधिकारिक यात्रा शुरू की, जहां वे बंद दरवाजे की बैठकों में लगे रहे. गौरतलब है कि इन चर्चाओं में तालिबान के विदेश मामलों के प्रवक्ता अब्दुल कहर बाल्खी भी मौजूद थे.

बैठक में भाग लेने वालों में संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, नॉर्वे, कतर, भारत और पाकिस्तान के विशेष दूतों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र महासचिव के अफगानिस्तान के विशेष प्रतिनिधि रोजा ओटुनबायेवा और अफगान नागरिक समाज के प्रतिनिधि शामिल थे.

ये भी पढ़ें

इस बीच, भारत ने गंभीर मानवीय संकट से जूझ रहे अफगानिस्तान को 20,000 मीट्रिक टन गेहूं भेजने का फैसला किया है. मानवीय सहायता ईरान के चाबहार बंदरगाह के माध्यम से भेजी जाएगी, जो भारत के लिए सामरिक महत्व रखता है.

नई दिल्ली : अपनी तरह के पहले मामले में भारत और पाकिस्तान के विशेष दूत ने ओस्लो में तालिबान के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की. तालिबान के खिलाफ रहने वाले अफगान राजनयिकों और कार्यकर्ताओं ने इस बैठक का विरोध किया. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि भारत और पाकिस्तान काबुल में तालिबान शासन को वैध बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

हालांकि भारत अभी तक 2021 में काबुल पर कब्जा करने वाले तालिबान प्रशासन को मान्यता नहीं दी है. बैठक के बारे में पूछे जाने पर, विदेश मंत्रालय में घटनाक्रम से परिचित एक व्यक्ति ने कहा कि ओस्लो में पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा एक सम्मेलन आयोजित किया गया है, जिसमें भारत और पाकिस्तान के अलावा कई अन्य देशों ने भाग लिया. विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने माना की तालिबान के प्रतिनिधियों से भी बातचीत हुई है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इसका तालिबान शासन पर भारत की स्थिति से कोई लेना-देना नहीं है.

इस सवाल पर कि क्या भारत और पाकिस्तान के प्रतिनिधियों के बीच पर्दे के पीछे कोई बातचीत हुई, अधिकारी ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच कोई द्विपक्षीय बातचीत नहीं हुई. सूत्रों के अनुसार, संघर्ष और शांति कूटनीति पर केंद्रित दो दिवसीय वार्षिक शिखर सम्मेलन के हिस्से के रूप में तालिबान के अधिकारी सिविल सोसाइटी के सदस्यों और राजनयिकों के साथ बैठकों की एक श्रृंखला के लिए नॉर्वे में मौजूद थे.

इससे पहले, भारत और पाकिस्तान ने रूस द्वारा आयोजित मास्को प्रारूप में बातचीत और अफगानिस्तान की स्थिति पर दोहा में आयोजित चर्चा में भाग लिया था. 20 साल के युद्ध के बाद अफगानिस्तान के गंभीर मानवीय संकट की पृष्ठभूमि के बीच तालिबान के अधिकारियों ने नॉर्वे का दौरा किया. यह यात्रा महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पहली बार है जब भारत और पाकिस्तान को किसी यूरोपीय देश में चर्चा में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है.

विदेश, रक्षा और आंतरिक मंत्रालयों के अफगान अधिकारियों ने नॉर्वे की आधिकारिक यात्रा शुरू की, जहां वे बंद दरवाजे की बैठकों में लगे रहे. गौरतलब है कि इन चर्चाओं में तालिबान के विदेश मामलों के प्रवक्ता अब्दुल कहर बाल्खी भी मौजूद थे.

बैठक में भाग लेने वालों में संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, नॉर्वे, कतर, भारत और पाकिस्तान के विशेष दूतों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र महासचिव के अफगानिस्तान के विशेष प्रतिनिधि रोजा ओटुनबायेवा और अफगान नागरिक समाज के प्रतिनिधि शामिल थे.

ये भी पढ़ें

इस बीच, भारत ने गंभीर मानवीय संकट से जूझ रहे अफगानिस्तान को 20,000 मीट्रिक टन गेहूं भेजने का फैसला किया है. मानवीय सहायता ईरान के चाबहार बंदरगाह के माध्यम से भेजी जाएगी, जो भारत के लिए सामरिक महत्व रखता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.