काठमांडू: नेपाल-भारत द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए दोनों पड़ोसी देशों ने 30 जून को रेलवे सेवा समझौते (Railway Service Agreement) में संशोधन किया. लेटर ऑफ एक्सचेंज के संशोधित भाग के अनुसार, सभी अधिकृत निजी कंटेनर ट्रेन ऑपरेटर (भारतीय और नेपाली) नेपाल के आयात या निर्यात के लिए भारतीय रेलवे नेटवर्क का उपयोग करने में सक्षम होंगे. इस फैसले से भारत सरकार के स्वामित्व वाले कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (कॉनकार) का स्वामित्व समाप्त हो जाएगा.
दअरसल, ये समझौता 2004 में हुआ था और दोनों पक्षों ने अतीत में कई बार इसमें संशोधन करने की कोशिश की है. नेपाली अधिकारी ने बताया कि चूंकि दोनों देश यात्रियों और कार्गो सुविधा को सीमा पार से अधिक रेलवे सेवा का विस्तार (Extension Of Railway Service) करने की योजना बना रहे हैं. ऐसे में समझौते को बिना किसी देरी के संशोधित करने की आवश्यकता थी. इस समझौते से विभिन्न भारतीय पोर्ट्स से सीमावर्ती नेपाली औद्योगिक क्षेत्रों तक कार्गो के सीमित आवाजाही और सुविधाओं का दायरा बढ़ाया गया है. नेपाली अधिकारियों, विशेषज्ञों और व्यापारिक समुदाय ने संशोधित समझौते का स्वागत किया है.
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रिपोर्ट में कहा गया है कि यह उदारीकरण हिमालयी राष्ट्र में रेल-कंटेनर-फ्रेट सेगमेंट में बाजार की ताकतों को आने की अनुमति देगा. साथ ही मध्यम अवधि में परिवहन लागत को कम करने की संभावना है, जिससे नेपाली उपभोक्ता को लाभ होगा. हालांकि ये नया समझौता दोनों देशों के मंत्रिमंडलों के समर्थन के बाद लागू होगा. इस समझौते के तहत अब भारतीय रेलवे की माल सेवाओं को (Railway Network In India) रक्सौल/ बीरगंज के अलावा अन्य सीमा बिंदुओं से माल लाने और माल ले जाने की भी अनुमति होगी.
विशेषज्ञों की राय में इस समझौते के लागू होने के बाद द्विपक्षीय व्यापार (Bilateral Trade) और पारगमन क्षेत्रों में सहयोग के नए रास्ते खुलेंगे. संशोधित समझौता लागू होने के बाद, सभी प्रकार के वैगन जो भारत के भीतर भारतीय रेलवे नेटवर्क पर माल ढुलाई करते हैं, वे भी नेपाल से माल ले जा सकते हैं. पहले यह सुविधा केवल कुछ प्रकार के वैगनों तक ही सीमित थी. इस समझौते के लागू होने के बाद विशेष रूप से ऑटोमोबाइल के लिए परिवहन लागत कम होगी, जो कि विशेष वैगनों के माध्यम से लाए जाते हैं. ये 2004 के रेलवे सेवा समझौते में सूचीबद्ध नहीं थे, क्योंकि वे तब मौजूद नहीं थे.
व्यापार करने में कठिनाई
नेपाल के पूर्व वाणिज्य सचिव चंद्र घिमिरे ने अखबार को बताया कि नए समझौते पर हस्ताक्षर के साथ, 2014 से कॉनकॉर का एकाधिकार समाप्त हो गया है. घिमिरे ने कहा कि चूंकि कॉनकॉर भी भारतीय कंपनियों के लिए काम कर रहा था, इसलिए उसने हमारे पक्ष पर कम ध्यान दिया.
भारत के साथ रेल सेवा समझौते (Indian Railway) के समय पर मूल्यांकन और संशोधन के अभाव में नेपाली व्यापारी लंबे समय से तीसरे देशों के साथ व्यापार करने में कठिनाइयों की शिकायत करते रहे हैं. अन्य देशों के साथ व्यापार में वृद्धि के साथ, नेपाल देश भर में सभी व्यापारिक बिंदुओं के लिए रेलवे सेवाओं के विस्तार की मांग कर रहा था.
अभी सिर्फ कोलकाता से हो रहा परिवहन
समझौते के लागू होने के बाद, भारतीय निजी ऑपरेटर विशाखापत्तनम और कोलकाता बंदरगाहों (Kolkata Port) से नेपाल जाने वाले माल का परिवहन कर सकते हैं. साथ ही अधिक बंदरगाहों से नेपाल को पश्चिमी और दूर-पश्चिमी नेपाल के प्रमुख सीमा शुल्क बिंदुओं के करीब भारतीय समुद्री बंदरगाहों का उपयोग करने की अनुमति मिलती है.
वर्तमान में रेल माल का परिवहन केवल कोलकाता-रक्सौल/बीरगंज मार्ग पर ही किया जा सकता है. दोनों देशों के बीच नियोजित चार और रेलवे लिंक के संचालन में आने के बाद नया समझौता अधिक महत्वपूर्ण होगा. इन चार क्रॉस लिंक में जोगबनी-विराटनगर, रूपैदिया-कोहलपुर, न्यू जलपाईगुड़ी-ककरभिट्टा और नौतनवा-भैरवाहा शामिल हैं.
(आईएएनएस)