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भारत और ईयू ने अफगानिस्तान में 'तत्काल एवं समग्र' संघर्षविराम की अपील की

विदेश मंत्री एस जयशंकर और विदेश मामलों के लिए यूरोपीय संघ (ईयू) के उच्च प्रतिनिधि जोसेप बोरेल फोंटेलेस के बीच लंदन में जी7 बैठक के इतर हुई वार्ता के दौरान अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया के मामले पर मुख्य रूप से चर्चा हुई.

एस जयशंकर
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Published : May 5, 2021, 10:34 AM IST

नई दिल्ली : भारत और यूरोपीय संघ ने अफगानिस्तान में 'तत्काल, स्थायी और समग्र' संघर्षविराम की अपील की और कहा कि देश में शांति प्रक्रिया के अनुकूल परिस्थितियां पैदा करने के लिए प्रभावशाली तरीके से और बिना शर्त युद्ध रोकना आवश्यक है.

विदेश मंत्री एस जयशंकर और विदेश मामलों के लिए यूरोपीय संघ (ईयू) के उच्च प्रतिनिधि जोसेप बोरेल फोंटेलेस के बीच लंदन में जी7 बैठक के इतर हुई वार्ता के दौरान अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया के मामले पर मुख्य रूप से चर्चा हुई.

जयशंकर और बोरेल ने प्रेस के लिए जारी एक संयुक्त बयान में यह सुनिश्चित करने की महत्ता को रेखांकित किया कि आतंकवादी संगठन अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल भारत एवं ईयू की सुरक्षा को खतरा पहुंचाने के लिए नहीं करें.

पढ़ें- विदेशी सहायता के उपयोग पर विपक्ष ने उठाए सवाल, पारदर्शिता की मांग की

बयान में कहा गया है कि एक सफल शांति प्रक्रिया के लिए तालिबान का सद्भावना और एक राजनीतिक समाधान तलाशने के प्रति गंभीर प्रतिबद्धता के साथ इसमें शामिल होना आवश्यक है.

इसमें कहा गया, विदेश मंत्री जयशंकर और बोरेल ने अफगानिस्तान के राष्ट्रीय बलों एवं आम नागरिकों के खिलाफ अस्वीकार्य हिंसा और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, मीडियाकर्मियों एवं उलेमा की निशाना बनाकर हत्या की कड़ी निंदा की.

बयान में कहा गया, वार्ता के लिए उचित परिस्थितियां पैदा करने के लिए युद्ध पर प्रभावशाली तरीके से और बिना शर्त विराम लगाना आवश्यक है, ताकि अर्थपूर्ण तरीके से आगे बढ़ा जा सके, पक्षों के बीच विश्वास पैदा किया जा सके, अफगानिस्तान के लोगों में भरोसा कायम हो सके और स्थायी सुलह के लिए तालिबान की असल प्रतिबद्धता दिख सके.

पढ़ें- जिसे आप सहायता के रूप में वर्णित करते हैं, उसे हम मित्रता कहते हैं : एस जयशंकर

दोनों पक्षों ने सभी आतंकवादी गतिविधियों की कड़े शब्दों में निंदा की और हर प्रकार के आतंकवाद को रोकने के लिए कड़ी प्रतिबद्धता की पुन: पुष्टि की.

जयशंकर और बोरेल ने इस बात पर सहमति जताई कि अफगानिस्तान के पड़ोसियों और क्षेत्रीय हितधारकों को सक्रिय होने और संघर्ष के स्थायी एवं शांतिपूर्ण समाधान को प्रोत्साहित करने के लिए 'ईमानदार समन्वयक' बनने की आवश्यकता चाहिए.

दोनों ने अफगानिस्तान की राष्ट्रीय सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान एवं रक्षा किए जाने की अपील की व एक बार फिर समावेशी, अफगान नीत शांति प्रक्रिया के प्रति समर्थन दोहराया.

नई दिल्ली : भारत और यूरोपीय संघ ने अफगानिस्तान में 'तत्काल, स्थायी और समग्र' संघर्षविराम की अपील की और कहा कि देश में शांति प्रक्रिया के अनुकूल परिस्थितियां पैदा करने के लिए प्रभावशाली तरीके से और बिना शर्त युद्ध रोकना आवश्यक है.

विदेश मंत्री एस जयशंकर और विदेश मामलों के लिए यूरोपीय संघ (ईयू) के उच्च प्रतिनिधि जोसेप बोरेल फोंटेलेस के बीच लंदन में जी7 बैठक के इतर हुई वार्ता के दौरान अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया के मामले पर मुख्य रूप से चर्चा हुई.

जयशंकर और बोरेल ने प्रेस के लिए जारी एक संयुक्त बयान में यह सुनिश्चित करने की महत्ता को रेखांकित किया कि आतंकवादी संगठन अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल भारत एवं ईयू की सुरक्षा को खतरा पहुंचाने के लिए नहीं करें.

पढ़ें- विदेशी सहायता के उपयोग पर विपक्ष ने उठाए सवाल, पारदर्शिता की मांग की

बयान में कहा गया है कि एक सफल शांति प्रक्रिया के लिए तालिबान का सद्भावना और एक राजनीतिक समाधान तलाशने के प्रति गंभीर प्रतिबद्धता के साथ इसमें शामिल होना आवश्यक है.

इसमें कहा गया, विदेश मंत्री जयशंकर और बोरेल ने अफगानिस्तान के राष्ट्रीय बलों एवं आम नागरिकों के खिलाफ अस्वीकार्य हिंसा और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, मीडियाकर्मियों एवं उलेमा की निशाना बनाकर हत्या की कड़ी निंदा की.

बयान में कहा गया, वार्ता के लिए उचित परिस्थितियां पैदा करने के लिए युद्ध पर प्रभावशाली तरीके से और बिना शर्त विराम लगाना आवश्यक है, ताकि अर्थपूर्ण तरीके से आगे बढ़ा जा सके, पक्षों के बीच विश्वास पैदा किया जा सके, अफगानिस्तान के लोगों में भरोसा कायम हो सके और स्थायी सुलह के लिए तालिबान की असल प्रतिबद्धता दिख सके.

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दोनों पक्षों ने सभी आतंकवादी गतिविधियों की कड़े शब्दों में निंदा की और हर प्रकार के आतंकवाद को रोकने के लिए कड़ी प्रतिबद्धता की पुन: पुष्टि की.

जयशंकर और बोरेल ने इस बात पर सहमति जताई कि अफगानिस्तान के पड़ोसियों और क्षेत्रीय हितधारकों को सक्रिय होने और संघर्ष के स्थायी एवं शांतिपूर्ण समाधान को प्रोत्साहित करने के लिए 'ईमानदार समन्वयक' बनने की आवश्यकता चाहिए.

दोनों ने अफगानिस्तान की राष्ट्रीय सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान एवं रक्षा किए जाने की अपील की व एक बार फिर समावेशी, अफगान नीत शांति प्रक्रिया के प्रति समर्थन दोहराया.

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