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भारत का लक्ष्य ओपन सोर्स RISC-V डिज़ाइन का उपयोग करके विश्व स्तरीय माइक्रोप्रोसेसरों का निर्माण करना

भारत ने आरआईएससी-वी नामक ओपन सोर्स आर्किटेक्चर का उपयोग करके दिसंबर 2023 तक अगली पीढ़ी के सेमीकंडक्टर डिजाइन विकसित करने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है. अभी तक आईआईटी मद्रास ने 32 बिट माइक्रोप्रोसेसर SHAKTI विकसित किया है और RISC V ओपन सोर्स आर्किटेक्चर का उपयोग करके 64 बिट माइक्रोप्रोसेसर VEGA विकसित किया है.

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर
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Published : Apr 28, 2022, 1:19 PM IST

नई दिल्ली: भारत नेआरआईएससी-वी नामक ओपन सोर्स आर्किटेक्चर का उपयोग करके अगले साल के अंत तक नई पीढ़ी के सेमीकंडक्टर डिजाइन विकसित करने के लिए एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम शुरू की है. जिसकी शुरूआत इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने नई दिल्ली में डिजिटल इंडिया RISC-V (DIR-V) कार्यक्रम के रूप में बुधवार को किया है. देश को आरआईएससी-वी आधारित प्रौद्योगिकी में अग्रणी बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) स्विट्जरलैंड स्थित RISC-V इंटरनेशनल की प्रीमियर बोर्ड की सदस्यता लेने जा रहा है. बता दें कि RISC-V इंटरनेशनल एक गैर-लाभकारी माइक्रोप्रोसेसर आर्किटेक्चर डिजाइनर है.

राज्य मंत्री चंद्रशेखर ने कहा कि डीआईआर-वी भारत के सेमीकंडक्टर स्टार्टअप को प्रोत्साहित करेगा और देश सेमीकंडक्टर राष्ट्र बनकर उभरेगा. डिजिटल इंडिया आरआईएससी-वी कार्यक्रम में भारतीय स्टार्टअप, अकादमिक और शोध संस्थान और वैश्विक तकनीकी दिग्गज शामिल होंगे जो आरआईएससी-वी आधारित अर्धचालकों का उपयोग भारत को प्रौद्योगिकी के लिए एक प्रतिभा केंद्र के रूप में विकसित करेगा. इसका उद्देश्य देश में विश्व स्तरीय माइक्रोप्रोसेसर बनाना है जो अगले साल दिसंबर तक उद्योग-ग्रेड सिलिकॉन और डिजाइन पर जीत हासिल करना है.

सरकार के इस लक्ष्य में वाणिज्यिक सिलिकॉन SHAKTI और VEGA प्रोसेसर एक मील का पत्थर सावित होगा जो दिसंबर 2023 तक उनके डिजाइन पर जीत भी दिलाएगा. यह देश को सर्वर, मोबाइल उपकरणों, ऑटोमोटिव, IoT और माइक्रोकंट्रोलर के लिए RISC-V SoC (सिस्टम ऑन चिप्स) का आपूर्तिकर्ता बनने में सहयोगी बनेगा. इंटेल में x-86 प्रोसेसर चिप डिजाइनर के शुरुआती दिनों की बात करते हुए राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि कई नए प्रोसेसर आर्किटेक्चर इनोवेशन की लहर के प्रारंभिक चरणों से गुजरे हैं. हालांकि कुछ प्वाइंट पर वे सभी एक प्रमुख डिजाइन तक सीमित हो गए थे. एआरएम और एक्स-86 दो ऐसे आर्किटेक्चर सेट हैं- जिनमें से एक लाइसेंस प्राप्त है और दूसरा बेचा जा चुका है.

उन्होंने कहा कि आरआईएससी-वी पिछले दशक में एआरएम और एक्स-86 दोनों के लिए एक मजबूत विकल्प के रूप में उभरा है क्योंकि यह एक ओपन सोर्स सिस्टम है. इसके लिए किसी लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है. इसी कारणवश विभिन्न डिजाइन बनाने के लिए सेमीकंडक्टर उद्योग इसको अपनाते हैं. भारत में स्थित IIT मद्रास वैश्विक RISC-V समुदाय के पांच भागीदारों में से एक है, जबकि राज्य के स्वामित्व वाले C-DAC ने भी RISC-V प्रोसेसर और इन कोर सेमीकंडक्टर्स की एक श्रृंखला विकसित की है ताकि ओपन-सोर्स RISC-V द्वारा कोर सत्यापन उपकरण को जारी रखा जा सके.

IIT मद्रास ने एक 32 बिट माइक्रोप्रोसेसर SHAKTI, सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ एडवांस कंप्यूटिंग (CDAC) विकसित किया, जबकि RISC-V ओपन सोर्स आर्किटेक्चर का उपयोग करके 64 बिट माइक्रोप्रोसेसर VEGA विकसित किया है. आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रोफेसर वी कामकोटि को मुख्य वास्तुकार के रूप में नामित किया गया है और एस कृष्णकुमार राव को इस कार्यक्रम के लिए कार्यक्रम प्रबंधक के रूप में नामित किया गया है.

यह भी पढ़ें-डिजिटल रुपया न केवल वित्तीय समावेशन बल्कि वाणिज्यिक उद्देश्यों को भी पूरा करेगा: FM

नई दिल्ली: भारत नेआरआईएससी-वी नामक ओपन सोर्स आर्किटेक्चर का उपयोग करके अगले साल के अंत तक नई पीढ़ी के सेमीकंडक्टर डिजाइन विकसित करने के लिए एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम शुरू की है. जिसकी शुरूआत इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने नई दिल्ली में डिजिटल इंडिया RISC-V (DIR-V) कार्यक्रम के रूप में बुधवार को किया है. देश को आरआईएससी-वी आधारित प्रौद्योगिकी में अग्रणी बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) स्विट्जरलैंड स्थित RISC-V इंटरनेशनल की प्रीमियर बोर्ड की सदस्यता लेने जा रहा है. बता दें कि RISC-V इंटरनेशनल एक गैर-लाभकारी माइक्रोप्रोसेसर आर्किटेक्चर डिजाइनर है.

राज्य मंत्री चंद्रशेखर ने कहा कि डीआईआर-वी भारत के सेमीकंडक्टर स्टार्टअप को प्रोत्साहित करेगा और देश सेमीकंडक्टर राष्ट्र बनकर उभरेगा. डिजिटल इंडिया आरआईएससी-वी कार्यक्रम में भारतीय स्टार्टअप, अकादमिक और शोध संस्थान और वैश्विक तकनीकी दिग्गज शामिल होंगे जो आरआईएससी-वी आधारित अर्धचालकों का उपयोग भारत को प्रौद्योगिकी के लिए एक प्रतिभा केंद्र के रूप में विकसित करेगा. इसका उद्देश्य देश में विश्व स्तरीय माइक्रोप्रोसेसर बनाना है जो अगले साल दिसंबर तक उद्योग-ग्रेड सिलिकॉन और डिजाइन पर जीत हासिल करना है.

सरकार के इस लक्ष्य में वाणिज्यिक सिलिकॉन SHAKTI और VEGA प्रोसेसर एक मील का पत्थर सावित होगा जो दिसंबर 2023 तक उनके डिजाइन पर जीत भी दिलाएगा. यह देश को सर्वर, मोबाइल उपकरणों, ऑटोमोटिव, IoT और माइक्रोकंट्रोलर के लिए RISC-V SoC (सिस्टम ऑन चिप्स) का आपूर्तिकर्ता बनने में सहयोगी बनेगा. इंटेल में x-86 प्रोसेसर चिप डिजाइनर के शुरुआती दिनों की बात करते हुए राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि कई नए प्रोसेसर आर्किटेक्चर इनोवेशन की लहर के प्रारंभिक चरणों से गुजरे हैं. हालांकि कुछ प्वाइंट पर वे सभी एक प्रमुख डिजाइन तक सीमित हो गए थे. एआरएम और एक्स-86 दो ऐसे आर्किटेक्चर सेट हैं- जिनमें से एक लाइसेंस प्राप्त है और दूसरा बेचा जा चुका है.

उन्होंने कहा कि आरआईएससी-वी पिछले दशक में एआरएम और एक्स-86 दोनों के लिए एक मजबूत विकल्प के रूप में उभरा है क्योंकि यह एक ओपन सोर्स सिस्टम है. इसके लिए किसी लाइसेंस की आवश्यकता नहीं है. इसी कारणवश विभिन्न डिजाइन बनाने के लिए सेमीकंडक्टर उद्योग इसको अपनाते हैं. भारत में स्थित IIT मद्रास वैश्विक RISC-V समुदाय के पांच भागीदारों में से एक है, जबकि राज्य के स्वामित्व वाले C-DAC ने भी RISC-V प्रोसेसर और इन कोर सेमीकंडक्टर्स की एक श्रृंखला विकसित की है ताकि ओपन-सोर्स RISC-V द्वारा कोर सत्यापन उपकरण को जारी रखा जा सके.

IIT मद्रास ने एक 32 बिट माइक्रोप्रोसेसर SHAKTI, सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ एडवांस कंप्यूटिंग (CDAC) विकसित किया, जबकि RISC-V ओपन सोर्स आर्किटेक्चर का उपयोग करके 64 बिट माइक्रोप्रोसेसर VEGA विकसित किया है. आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रोफेसर वी कामकोटि को मुख्य वास्तुकार के रूप में नामित किया गया है और एस कृष्णकुमार राव को इस कार्यक्रम के लिए कार्यक्रम प्रबंधक के रूप में नामित किया गया है.

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